कंपनियां क्यों लाती हैं IPO, कौन तय करता है प्राइस बैंड और SEBI का क्या होता है रोल? जानें-सबकुछ
What is IPO: निवेशक IPO के लिए आवेदन करने के लिए काफी उत्सुक नजर आ रहे हैं, लेकिन उन्हें यह भी समझना चाहिए कि IPO क्या है और यह कैसे काम करता है. 2025 की पहली छमाही में 25 मेनबोर्ड इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) दलाल स्ट्रीट पर आ चुके हैं. आइए समझते हैं इसका हिसाब-किताब और काम करने का तरीका.
What is IPO: भारतीय प्राइमरी में हलचल मची हुई है. 2025 की पहली छमाही में 25 मेनबोर्ड इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) दलाल स्ट्रीट पर आ चुके हैं. जबकि SME IPO की संख्या 100 का आंकड़ा पार कर गई है. निवेशक IPO के लिए आवेदन करने के लिए काफी उत्सुक नजर आ रहे हैं, लेकिन उन्हें यह भी समझना चाहिए कि IPO क्या है और यह कैसे काम करता है. आइए समझते हैं इसका हिसाब-किताब.
आईपीओ क्या है?
इनिशियल पब्लिक ऑफर या IPO निवेशकों को शेयर जारी करके किसी प्राइवेट स्वामित्व वाले ऑर्गेनाइजेशन को पब्लिक ऑर्गेनाइजेशन में बदलने की प्रक्रिया है. IPO के रूप में, किसी कंपनी के शेयर पहली बार जनता को जारी किए जाते हैं. पब्लिक ऑफर पेश करने वाली कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाती है और कर्ज चुकौती, कैपिटल एक्सपेंडिचर और अपने मुख्य निवेशकों के लिए बाहर निकलने का रास्ता प्रदान करने के लिएइनिशियल पब्लिक ऑफर के माध्यम से धन प्राप्त करती है.
कंपनियां क्यों लाती हैं IPO?
इससे न केवल कंपनी को वित्तीय लाभ होता है, बल्कि कंपनी की ब्रांड इक्विटी में भी सुधार होता है. निजी फर्म पब्लिक को नए शेयर जारी करके IPO के जरिए इक्विटी कैपिटल प्राप्त कर सकती हैं, जिससे रिटेल और इंस्टीट्यूशनल निवेशकों को ऑफर में भाग लेने और कंपनी के शेयरधारक बनने का मौका मिलता है. जुटाई गई नकदी का उपयोग फर्म द्वारा विस्तार और डेवलपमेंट के लिए किया जाता है, जबकि निवेशक अपने निवेश से मुनाफा कमा सकते है.
कौन तय करता है प्राइस बैंड?
कंपनी अपने वित्तीय पहलुओं का वैल्यूएशन करने में गाइडेंस के लिए अंडरराइटर नियुक्त करती है. वे कंपनी के एसेट्स और देनदारियों सहित सभी फैक्टर्स की सावधानीपूर्वक जांच करते हैं और शेयरों की संख्या और कीमत या प्राइस बैंड तय करते हैं, जिस पर शेयरों की पेशकश की जानी चाहिए. अंडरराइटर IPO जारी करने के लिए सेबी से मंजूरी प्राप्त करने के लिए आवेदन का मसौदा तैयार करने में भी अपनी सहायता प्रदान करते हैं.
सेबी को भेजे गए ड्राफ्ट में कंपनी की सभी वित्तीय जानकारी होती है, जिसमें उनकी नेट वर्थ, संपत्ति, देनदारियां आदि शामिल हैं. कंपनी आवेदन में यह भी बताती है कि वे सिक्योरिटीज की बिक्री के माध्यम से एकत्र किए गए धन को कैसे आवंटित करने की योजना बनाई है.
SEBI की क्या है IPO में भूमिका?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) कंपनी द्वारा प्रस्तुत आवेदन को ध्यान से देखता है. कानूनी और वित्तीय फैक्टर्स, जुटाए गए फंड के उपयोग की योजना सहित आवेदन के सभी डिटेल्स की विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा जांच की जाती है. अगर कोई गड़बड़ी नहीं पाई जाती है, तो सेबी कंपनी को ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) जारी करने की अनुमति देता है.