IPO से पहले डबल हुई जेप्टो की सेल्स, जानें- कितना बढ़ गया घाटा; इंस्टामार्ट-ब्लिकिंट के मुकाबले कहां खड़ी है कंपनी?
यह ऐसे समय में हुआ है जब भारत के क्विक कॉमर्स मार्केट में FY25 के बाद कॉम्पिटिशन बहुत तेजी से बढ़ा है और FY26 की पहली और दूसरी तिमाही तक जारी रहा. जेप्टो के 450 मिलियन डॉलर फंडरेज के बाद दबाव और बढ़ गया, जिससे प्रतिद्वंद्वियों को मार्केट शेयर बचाने के लिए विस्तार और कैपेसिटी बढ़ाने में तेजी लानी पड़ी.
क्विक कॉमर्स की दिग्गज कंपनी जेप्टो ने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 (FY25) में अपनी कुल सेल्स को डबल से भी ज्यादा कर दिया, जबकि इस साल कंपनी का नुकसान भी तेजी से बढ़ा क्योंकि कंपनी भारत के तेजी से बढ़ते कॉम्पिटिटिव क्विक कॉमर्स मार्केट में अपने ऑपरेशंस को बढ़ा रही थी. मनीकंट्रोल में छपी रिपोर्ट के अनुसार, जेप्टो के ऑडिटेड फाइनेंशियल के अनुसार, कंपनी ने FY25 में कुल बिक्री (अन्य इनकम सहित टर्नओवर) 9,668.8 करोड़ रुपये बताई, जो फाइनेंशियल ईयर 2023-24 (FY24) में 4,223.9 करोड़ रुपये से सालाना 129% ज्यादा है. इसका नेट लॉस 177 फीसदी बढ़कर 3,367.3 करोड़ रुपये हो गया, जबकि एक साल पहले यह 1,214.7 करोड़ रुपये था.
जेप्टो की तुलना ब्लिंकिट और इंस्टामार्ट से कैसे की जाती है?
क्विक कॉमर्स में प्लेटफॉर्म आमतौर पर ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) का लगभग 15-20 फीसदी रेवेन्यू के तौर पर पहचानते हैं. उस आधार पर जेप्टो का FY25 के लिए ऑपरेशनल रेवेन्यू 1,495 करोड़ रुपये और 1,994 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है, जबकि कुल बिक्री लगभग 10,000 करोड़ रुपये बताई गई है. इसकी तुलना में Eternal के मालिकाना हक वाली ब्लिंकिट ने FY25 में 5,206 करोड़ रुपये का रेवेन्यू बताया, जबकि स्विगी ने उस साल 2,252 करोड़ रुपये का रेवेन्यू बताया.
क्या क्विक कॉमर्स कंपनियों के नुकसान की तुलना की जा सकती है?
क्विक कॉमर्स कंपनियों के नुकसान के आंकड़ों की सीधे तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि खुलासे में अंतर है. जहां जेप्टो कंपनी लेवल पर नेट लॉस बताती है, वहीं स्विगी और Eternal अपने क्विक कॉमर्स बिजनेस के लिए अलग से नुकसान का खुलासा नहीं करती हैं, बल्कि इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमोर्टाइजेशन से पहले एडजस्टेड कमाई (एडजस्टेड EBITDA) बताती हैं.
FY25 में इंस्टामार्ट ने 2,095 करोड़ रुपये का एडजस्टेड EBITDA लॉस बताया, जबकि ब्लिंकिट का एडजस्टेड EBITDA लॉस 292 करोड़ रुपये रहा. जेप्टो के लिए, नुकसान सेल्स से अधिक तेजी से बढ़ा, FY25 में नेट लॉस टर्नओवर का लगभग 35 फीसदी हो गया, जबकि FY24 में यह लगभग 29 फीसदी था.
FY25 के बाद कॉम्पिटिशन इतना क्यों बढ़ गया है?
यह ऐसे समय में हुआ है जब भारत के क्विक कॉमर्स मार्केट में FY25 के बाद कॉम्पिटिशन बहुत तेजी से बढ़ा है और FY26 की पहली और दूसरी तिमाही तक जारी रहा. बड़े प्लेयर्स ने डार्क स्टोर जोड़ना, डिलीवरी कैपेसिटी बढ़ाना और कस्टमर को ज्यादा इंसेंटिव देना जारी रखा है, जबकि मार्केट भी तेजी से बढ़ा है. जेप्टो के 450 मिलियन डॉलर फंडरेज के बाद दबाव और बढ़ गया, जिससे प्रतिद्वंद्वियों को मार्केट शेयर बचाने के लिए विस्तार और कैपेसिटी बढ़ाने में तेजी लानी पड़ी.
जेप्टो के IPO प्लान और बोर्ड में क्या बदलाव हैं?
FY25 का परफॉर्मेंस ऐसे समय में आया है जब जेप्टो पब्लिक मार्केट के करीब जा रही है. कंपनी 26 दिसंबर, 2025 को गोपनीय रूप से ड्राफ्ट इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) पेपर फाइल करने वाली है. इसके अलावा, जेप्टो ने 23 दिसंबर को हुई एक असाधारण आम बैठक में शेयरधारकों की मंजूरी के बाद अपने फाउंडर्स आदित पालिचा और कैवल्य वोहरा, साथ ही मुख्य वित्तीय अधिकारी रमेश बाफना को पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त किया है.
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