HDFC Mutual Fund का ‘Barni Se Azadi’ अभियान, निवेश से महिलाओं को मिल रही असली वित्तीय आजादी
आजादी के 79 साल बाद भी महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता का सफर जारी है. HDFC म्यूचुअल फंड का ‘Barni Se Azadi’ अभियान उन्हें पारंपरिक बचत से आगे बढ़कर निवेश के जरिए अपने सपनों को साकार करने की दिशा में प्रेरित कर रहा है. जानें पूरी कहानी.

HDFC Mutual Fund Barni Se Azadi: आजादी के 79 साल बाद भी, देश में महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता का सफर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. हालांकि, अब परंपरागत बचत के तरीकों से आगे बढ़कर निवेश के जरिए अपने सपनों को पूरा करने का विचार महिलाओं के बीच तेजी से बढ़ रहा है. इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए HDFC म्यूचुअल फंड ने अपने प्रमुख अभियान ‘BarniSeAzadi’ का पांचवां संस्करण लॉन्च किया है. इस पहल का मकसद महिलाओं को यह समझाना है कि सच्ची आर्थिक आजादी सिर्फ पैसे बचाने से नहीं, बल्कि उन्हें सही तरीके से निवेश करने से मिलती है. HDFC AMC के MD और CEO नवनीत मुनोत ने कहा, “यह अभियान अब एक सामाजिक आंदोलन बन चुका है, जो महिलाओं को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.”
कहानियां जिसने तोड़ी बरनी की सोच
इसी कड़ी में मनी9लाइव ने एक विशेष बातचीत का आयोजन किया, जिसमें ऐसी तीन प्रेरणादायक महिलाएं शामिल हुईं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी जिंदगी में ‘बरनी’ जैसी पुरानी सोच को तोड़ा, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी आर्थिक रूप से आजाद करने में योगदान दिया है. इस चर्चा में नवनीत मुनोत के साथ तात्विक आयुर्वेद की एमडी रिमझिम सैकिया, दिशा क्लोदिंग की फाउंडर दिशा गर्ग और 11:11 स्लिमिंग वर्ल्ड की फाउंडर प्रतिभा शर्मा मौजूद थीं.
महिलाओं की आंखों में नए भारत का जज्बा
बातचीत की शुरुआत में नवनीत मुनोत ने बदलते भारत पर रोशनी डाली. उन्होंने कहा, “30-35 साल पहले और आज के भारत में बहुत बदलाव आया है. आज आपको महिलाओं की आंखों में आशा दिखती है, महत्वाकांक्षा दिखती है और कुछ बड़ा कर डालने का जज्बा दिखता है.” अपने 30 साल के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि महिलाएं हमेशा से बचत में माहिर रही हैं. पहले, महीने के खर्च से बचाए हुए पैसे बरनी, अलमारी या यहां तक कि सोफे के नीचे छुपाकर रखती थीं, ताकि जरूरत पड़ने पर परिवार के काम आ सके. लेकिन अब वक्त बदल गया है, वही महिलाएं समझ चुकी हैं कि इन बचतों को निवेश में लगाकर पैसे को बढ़ाया भी जा सकता है.
रिमझिम सैकिया- बदलाव की मिसाल
तात्विक आयुर्वेद एंड वेलनेस लिमिटेड की एमडी रिमझिम सैकिया ने बताया कि वह लंबे समय तक कॉर्पोरेट सेक्टर में एक आरामदायक नौकरी कर रही थीं, लेकिन उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें ऐसा काम करना चाहिए जो समाज में बदलाव लाए. इसी सोच से उन्होंने तात्विक आयुर्वेद की शुरुआत की, जिसके तहत वह 22 तरह के उत्पाद बनाती हैं. खास बात यह है कि उनकी फैक्ट्री में 90% कर्मचारी महिलाएं हैं.
दिशा गर्ग- गृहिणी से उद्यमी तक
दिशा क्लोदिंग की फाउंडर दिशा गर्ग की कहानी भी प्रेरणादायक है. NIFT से ग्रेजुएशन करने के बाद जिम्मेदारियों के कारण वह करियर शुरू नहीं कर पाईं. 10 साल तक गृहिणी की भूमिका निभाने के बाद उन्होंने अपना बुटीक सेंटर खोला और अपने सपनों को नई दिशा दी.
प्रतिभा शर्मा- मुश्किलों को अवसर में बदला
11:11 स्लिमिंग वर्ल्ड की फाउंडर प्रतिभा शर्मा ने भी अपनी चुनौतियों को अवसर में बदलने की मिसाल पेश की. वह बताती हैं कि अब तक वह 1000 से ज्यादा क्लाइंट्स को सेवा दे चुकी हैं और उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाया है. उन्होंने बताया कि उनके भीतर बचत की ये आदत को लाने में उनकी मां की भूमिका कैसे अहम रही है.
“यही है उभरते भारत की पहचान”
इन कहानियों को सुनकर नवनीत मुनोत ने कहा, “यही उभरते हुए भारत की पहचान है. समय के साथ अगर वित्तीय मामलों में पुरुषों के साथ महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर चलें, तो तस्वीर और भी मजेदार होगी.”
निवेश के जरिए आजादी की राह
जब रिमझिम सैकिया ने पूछा कि वह जिन महिलाओं को वित्तीय सहयोग देती हैं, उनके लिए स्वतंत्र भविष्य कैसे सुनिश्चित करती हैं. इसपर मुनोत ने कहा कि जागरूकता और सही दिशा में मार्गदर्शन सबसे जरूरी है. वह कहते हैं कि, “हमारी मुहिम का यहीं मकसद है- ‘बरनी से आजादी’. महिलाओं की बचत को सही दिशा में लगाना ही हमारा काम है. आज अगर कोई पूंजी बाजार में पैसा लगाता है, तो वह समय के साथ बढ़ता जाएगा. इसके लिए कम से कम रकम से भी SIP शुरू की जा सकती है, लेकिन इसके लिए किसी वित्तीय सलाहकार की राय लेना जरूरी है.”
सही निवेश का फॉर्मूला
मुनोत का मानना है कि महिलाओं को वित्तीय फैसलों में ज्यादा जागरूक और अपडेटेड रहना होगा. उनके मुताबिक, “बड़ा पैसा बनाने का फॉर्मूला है- सही निवेश, संयम और लंबा समय. महिलाओं में संयम और लंबा सोचने की क्षमता है, अगर निवेश को इसमें मिला दें तो नतीजे बेहतरीन होंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि बदलाव सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है, गांव-देहात की महिलाएं भी अब निवेश को अपनाने लगी हैं.
“पैसा कितना पैसा कमाता है, यह मायने रखता है”
बातचीत के अंत में मुनोत ने सभी महिलाओं को संदेश देते हुए कहा, “आज की महिलाओं के लिए कोई रास्ता मुश्किल नहीं है. मीडिया से लेकर दूसरे सभी क्षेत्रों में महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास कितनी संपत्ति है, उससे ज्यादा जरूरी है कि आपका पैसा कितना पैसा कमाता है. इसीलिए, सिर्फ बचत करना ही काफी नहीं, बल्कि अच्छा निवेशक बनना भी जरूरी है.”
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