SBI Mutual Fund के डिप्टी MD ने बताया कोविड के बाद कैसे बदला निवेश का तरीका, F&O ट्रेडिंग पर दी चेतावनी
SBI म्यूचुअल फंड के डिप्टी एमडी और जॉइंट सीईओ डीपी सिंह ने कहा है कि पैसा सिर्फ खर्च या जमा करने का जरिया नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और जीवन की सुरक्षा का मजबूत आधार है. उन्होंने कोविड के बाद निवेश की आदतों में आए बदलाव, छोटे निवेशकों के लिए 250 रुपये SIP की सुविधा और लंबी अवधि के अनुशासित निवेश की अहमियत पर जोर दिया.
SBI Mutual Fund Deputy MD: SBI म्यूचुअल फंड के डिप्टी एमडी और जॉइंट सीईओ डीपी सिंह ने हाल ही में मनी9लाइव के साथ पॉडकास्ट की. उसमें सिंह ने पैसों की सेविंग्स और निवेश से जुड़े तमाम पहलुओं पर खुलकर बात की. उन्होंने कोविड के बाद से निवेश को लेकर लोगों के बदलते मिजाज पर भी अपनी राय रखी साथ ही अपने 25 साल एक ही संस्थान में रहने और काम करने के अनुभव पर भी रोशनी डाली. सिंह का मानना है कि पैसा सिर्फ खर्च करने या जमा करने की चीज नहीं, बल्कि यह व्यक्ति के आत्मविश्वास और जीवन की सुरक्षा का मजबूत आधार है.
उनका कहना है कि सही सोच यह होनी चाहिए कि पैसा इंसान को कंट्रोल न करे, बल्कि इंसान पैसे को गाइड करे. जब आपके पास पर्याप्त आर्थिक संसाधन होते हैं, तो जीवन की अनिश्चितताएं भी कम हो जाती हैं और फैसले लेने का आत्मविश्वास बढ़ जाता है.
कोविड ने कैसे बदला निवेश की आदत को?
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने SBI म्यूचुअल फंड जॉइन किया था, तब कंपनी का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) महज ₹2,300 करोड़ था, जो आज लाखों करोड़ में पहुंच चुका है. इसी के साथ सिंह ने बताया कि कोविड महामारी के बाद भारत में निवेश की संस्कृति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. डिमैट अकाउंट्स की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई और सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) करने वाले निवेशकों की संख्या भी लगातार बढ़ी. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि कई लोग केवल ट्रेडिंग और कुछ समय के मुनाफे के लिए बाजार में आते हैं, जबकि म्यूचुअल फंड में निवेश गंभीर सोच और रिसर्च के साथ होना चाहिए.
250 रुपये का SIP
उन्होंने बताया कि छोटे निवेशकों को ध्यान में रखते हुए SBI म्यूचुअल फंड ने 250 रुपये से SIP शुरू करने की सुविधा दी है, जिससे दैनिक मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले और ऑटो रिक्शा चालक जैसे लोग भी निवेश की शुरुआत कर पा रहे हैं. वर्तमान में करीब 1.5 लाख निवेशक इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं. डीपी सिंह का मानना है कि यह अभी शुरुआत भर है और भारत में लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंचने की जरूरत है. वे खुद अपना पूरा निवेश SBI म्यूचुअल फंड में रखते हैं और सेबी की “स्किन इन द गेम” नीति का पालन करते हैं.
क्या होनी चाहिए निवेश की रणनीति?
अपने बच्चों को उन्होंने शुरुआत से ही यह सिखाया है कि एसेट और लायबिलिटी में फर्क समझें और छोटी उम्र से ही निवेश की आदत डालें. उनका मानना है कि औसत SIP राशि को 2,500 रुपये से 3,000 रुपये से आगे बढ़ाने के लिए टॉप-अप SIP को बढ़ावा देना जरूरी है. फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग के रिस्क पर भी उन्होंने चेतावनी दी. सेबी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 90 फीसदी रिटेल निवेशक इसमें पैसा गंवा रहे हैं. उनके मुताबिक, सट्टेबाजी की बजाय लंबी अवधि का अनुशासित निवेश ही निवेशकों को सही दिशा देता है.
क्या है बड़ी चुनौती?
भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर वे बेहद आशावादी हैं. उनका कहना है कि निवेशकों की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन बाजार में लिस्टेड कंपनियों और नए निवेश अवसरों की कमी एक चुनौती है. साथ ही, अंतरराष्ट्रीय निवेश में रेगुलेटरी लिमिट्स भी एक संरचनात्मक मुद्दा हैं, जिन पर सरकार और नियामक विचार कर रहे हैं. पिछले 25 साल से एक ही संस्था में काम करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लीडरशिप का भरोसा, नए अवसर और चुनौतियां, और काम में आनंद ही उन्हें SBI म्यूचुअल फंड से जोड़े रखे हैं. घर में निवेश के फैसले वे खुद लेते हैं, जबकि अन्य खर्चों से जुड़े फैसले उनकी पत्नी के जिम्मे होते हैं.
क्या है संदेश?
उनका साफ संदेश है कि छोटा निवेश भी समय के साथ बड़ा बन सकता है, बस शुरुआत करने और अनुशासन बनाए रखने की जरूरत है. पैसा केवल खर्च करने के लिए नहीं, बल्कि जीवन को सुरक्षित और आत्मविश्वासी बनाने का साधन है, और इसके लिए सट्टेबाजी से दूरी बनाकर सोची-समझी निवेश रणनीति अपनानी चाहिए.
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