New Labour Code: अब आपकी सैलरी में शामिल होंगे ये तीन कंपोनेंट, इन फैसिलिटी का सिर्फ 15% ही वेतन में जोड़ा जाएगा

New Labour Code 21 नवंबर से लागू हो गए हैं, जिनमें Code on Wages, 2019 के तहत वेतन की परिभाषा बदल दी गई है. अब बेसिक पे, डीए और रिटेनिंग अलाउंस कुल सैलरी का कम से कम 50 फीसदी होना जरूरी है. इससे PF, ग्रेच्युटी और पेंशन बढ़ सकती हैं, जबकि टेक-होम सैलरी कम होने की संभावना है.

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New Labour Code: सरकार ने 21 नवंबर से चार नए श्रम कोड लागू कर दिए हैं. इनमें Code on Wages, 2019 के तहत वेतन (Wages) की परिभाषा में बड़ा बदलाव हुआ है. यानी नए कानून के हिसाब से तय होगा कि आपके वेतन में कौन-कौन से हिस्से शामिल होंगे. अब बेसिक पे, महंगाई भत्ता और रिटेनिंग भत्ता मिलाकर कुल वेतन का कम से कम 50% होना जरूरी है. इससे कर्मचारियों की पीएफ, ग्रेच्युटी और पेंशन जैसी सुविधाएं बढ़ सकती हैं, तो वहीं दूसरी ओर इन हैंड या टेक होम सैलरी कम हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि PF आपकी बेसिक सैलरी पर ही कैलकुलेट होता है.

Code on Wages, 2019 के तहत वेतन में क्या शामिल है?

नए कानून में वेतन का मतलब सभी तरह के नकद भुगतान से है. इसमें बेसिक पे, महंगाई भत्ता (DA) और रिटेनिंग भत्ता शामिल हैं. इसके साथ ही कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपकी सैलरी और वेतन का हिस्सा नहीं होगा.

इन चीजों को वेतन में नहीं गिना जाएगा

  • एचआरए (HRA)
  • ट्रैवल अलाउंस
  • बोनस
  • ओवरटाइम अलाउंस
  • कमीशन
  • कंपनी का पीएफ कंट्रीब्यूशन
  • ग्रेच्युटी
  • मकान, बिजली-पानी, मेडिकल सुविधा
  • रिटायरमेंट बेनिफिट या एक्स-ग्रेशिया पेमेंट

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50% का नियम क्या है?

नया लेवर कानून कहता है कि कुल वेतन (CTC) का कम से कम 50% हिस्सा बेसिक पे + DA + रिटेनिंग भत्ता का होना चाहिए. अगर कोई कंपनी दूसरे भत्तों को 50% से ज्यादा रखती है तो उस अतिरिक्त राशि को अपने आप वेतन में जोड़ दिया जाएगा. इससे कंपनी पीएफ और ग्रेच्युटी की राशि कम नहीं कर सकेगी.

15% का नियम क्या है?

अगर कंपनी कर्मचारी को मुफ्त खाना, सब्सिडी वाला मकान, मुफ्त गाड़ी, यूनिफॉर्म जैसी सुविधाएं देती है तो इनका मूल्य भी वेतन में जोड़ा जाएगा. लेकिन सिर्फ 15% तक ही जोड़ा जाएगा. इससे ज्यादा का मूल्य वेतन में नहीं गिना जाएगा. इस नए नियम से पीएफ, ग्रेच्युटी, बोनस जैसी सुविधाएं बेसिक पे और DA पर आधारित होंगी. जितना ज्यादा बेसिक पे होगा उतनी ही ज्यादा इन सुविधाओं की राशि बनेगी. नए लेवर कोड के आने के बाद कई कंपनियों को अब सैलरी स्ट्रक्चर बदलना पड़ेगा ताकि कानून का पालन हो सके.