8th Pay Commission: कैसे तय होता है सैलरी स्‍ट्रक्‍चर, क्‍यों है ToR का महत्‍व, देखें वीडियो

सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Pay Commission) को मंजूरी दे दी है, जो लगभग 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स के लिए सैलरी, भत्तों और पेंशन में बड़े बदलाव ला सकता है. जनवरी 2025 में इसकी घोषणा के बाद से इसकी तैयारियां जोरों पर हैं, और अब सवाल उठ रहे हैं कि यह बदलाव कर्मचारियों की जेब पर कैसे असर डालेगा. आइए, सैलरी स्ट्रक्चर, टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) और इसके प्रभाव को विस्तार से समझते हैं.

आधार से लेकर भत्ते तक केंद्र सरकार के कर्मचारी की सैलरी कई हिस्सों से मिलकर बनती है. इसमें बेसिक पे (Basic Pay) मुख्य आधार होता है, जो उनकी ग्रेड और पद के आधार पर तय होता है और कुल आय का लगभग 51.5% होता है. इसके अलावा डियरनेस अलाउंस (DA) करीब 30.9%, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) लगभग 15.4%, और ट्रांसपोर्ट अलाउंस (TA) करीब 2.2% हिस्सा होता है. 8वें वेतन आयोग में टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) जरूरी है. ToR एक ऐसा फ्रेमवर्क है, जो वेतन आयोग के कामकाज का दायरा तय करता है. यह बताता है कि आयोग को सैलरी स्ट्रक्चर, भत्तों, पेंशन संशोधन, और रिटायरमेंट बेनिफिट्स जैसे कौन-कौन से पहलुओं पर सुझाव देना है. अभी ToR को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है, जिससे कर्मचारी और पेंशनर्स चिंतित हैं.