टैक्स सेविंग के लिए NSC या FD, जानें कौन है बेहतर ऑप्शन
NSC और टैक्स-सेविंग FD दोनों 5 साल के लॉक-इन के साथ सुरक्षित निवेश विकल्प हैं और धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट देते हैं. NSC पर TDS नहीं कटता, जबकि FD पर TDS लागू होता है. NSC की ब्याज दर 7.7 फीसदी है, जबकि कुछ बैंक FD पर तिमाही कंपाउंडिंग से 7.71 फीसदी तक का वास्तविक रिटर्न देते हैं. टैक्स बचाने के लिए NSC बेहतर, लेकिन उच्च वास्तविक ब्याज दर होने पर FD फायदेमंद हो सकता है.

Tax-Saving Option: अगर आप सुरक्षित और टैक्स बचाने वाले निवेश ऑप्शन ढूंढ रहे हैं, तो नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) और टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) दो सबसे लोकप्रिय विकल्पों में से हैं. दोनों में निश्चित रिटर्न मिलता है, इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है और 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है. लेकिन, ब्याज दर, कंपाउंड इंटरेस्ट और टैक्स नियम अलग-अलग होने के कारण इनका कुल रिटर्न अलग हो सकता है. तो आइये दोनों में एक तुलना कर के देखते है कि कौन से ऑप्शन में ज्यादा टैक्स बचाता है.
ब्याज दरों की तुलना
जनवरी से मार्च 2025 तिमाही के लिए NSC की ब्याज दर 7.7 फीसदी प्रति वर्ष तय की गई है. दूसरी ओर, बड़े बैंक टैक्स-सेविंग FD पर 6.5 फीसदी से 7.5 फीसदी तक का ब्याज देते हैं. उदाहरण के लिए HDFC Bank, ICICI Bank 7 फीसदी, SBI, PNB 6.5 फीसदी, DCB Bank 8 फीसदी और IndusInd Bank, Yes Bank 7.25 फीसदी ब्याज दे रहे हैं.
तो वहीं अगर किसी बैंक की FD तिमाही कंपाउंडिंग के साथ दी जाती है, तो इसका कुल वार्षिक रिटर्न अधिक हो सकता है. उदाहरण के लिए, अगर कोई FD 7.5 फीसदी की वार्षिक दर से तिमाही कंपाउंडिंग के साथ दी जा रही है, तो उसका असली रिटर्न 7.71 फीसदी तक हो सकता है, जो NSC की 7.7 फीसदी ब्याज दर के लगभग बराबर है.
NSC और टैक्स-सेविंग FD की तुलना
विषय | NSC | Tax-Saving FD |
---|---|---|
TDS (Tax Deduction at Source) | कोई TDS नहीं कटता | TDS लागू होता है (₹40,000 से ज्यादा ब्याज पर सामान्य नागरिकों के लिए, ₹50,000 वरिष्ठ नागरिकों के लिए) 2025-26 से नई सीमा: ₹50,000 (सामान्य) और ₹1,00,000 (वरिष्ठ नागरिक) |
ब्याज गणना (Interest Calculation) | सालाना कंपाउंडिंग, मैच्योरिटी पर भुगतान | तिमाही/वार्षिक कंपाउंडिंग, तिमाही ब्याज भुगतान या पुनर्निवेश का विकल्प |
टैक्स लाभ (Tax Benefits) | ₹1.5 लाख तक की धारा 80C छूट | ₹1.5 लाख तक की धारा 80C छूट |
ब्याज पर टैक्स | पहले 4 साल का ब्याज पुनर्निवेश होकर धारा 80C के तहत टैक्स-फ्री, 5वें साल का ब्याज टैक्सेबल | पूरा ब्याज टैक्सेबल (Income Tax Slab के अनुसार) |
लॉक-इन पीरियड (Lock-in Period) | 5 साल (Premature Withdrawal केवल मृत्यु या कोर्ट आदेश पर) | 5 साल (Premature Withdrawal की अनुमति नहीं) |
सुरक्षा (Safety) | सरकार द्वारा गारंटी | DICGC बीमा (₹5 लाख तक की सुरक्षा) |
बेहतर विकल्प कब? | अगर आप टैक्स सेविंग और बिना TDS कटने वाले विकल्प की तलाश में हैं | अगर बैंक FD की Annual Yield (वार्षिक यील्ड) NSC से ज्यादा हो |
कौन-सा बेहतर है?
अगर आप चाहते हैं कि TDS न कटे और रिटर्न सुरक्षित हो, तो NSC एक बेहतर विकल्प है. लेकिन अगर FD की वास्तविक ब्याज दर (Annual Yield) NSC से अधिक हो, तो बैंक FD को चुन सकते हैं. अपनी टैक्स स्थिति, ब्याज दर और लॉक-इन अवधि को देखकर सही विकल्प चुनें.
ये भी पढ़ें- L&T चेयरमैन पुरुषों से चाहते हैं 90 घंटे काम, महिलाओं को दे दिया 1 दिन का एक्स्ट्रा आराम
Latest Stories

मुस्लिम महिला अगर गैर-मुस्लिम से करती है शादी तो क्या मिलेगी बाप दादा की जायदाद?

शादी और बच्चों की पढ़ाई के लिए भी निकाल सकते हैं PF से पैसा, जानें क्या है आंशिक निकासी और कैसे करें आवेदन

कॉर्पोरेट NPS क्या है, कर्मचारियों का बनेगा बेहतर पेंशन प्लान; इनकम टैक्स में 2 लाख से ज्यादा की छूट
