केंद्रीय कर्मचारियों के DA कैलकुलेशन का बदलेगा तरीका! जानें क्या मांग कर रहा है कंफेडरेशन
कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स ने केंद्र सरकार से केंद्रीय कर्मचारियों की DA कैलकुलेशन मेथड में बदलाव की अपील की है. उनका कहना है कि केंद्रीय कर्मचारियों की DA की कैलकुलेशन पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSUs) के कर्मचारियों के समान होना चाहिए.

DA Calculation : 8वें वेतन आयोग के गठन का ऐलान होने के बाद से केंद्रीय कर्मचारियों में सरकार से कई उम्मीदें जगी हैं. वे अपनी मांगों को लेकर अब पहले से ज्यादा मुखर नजर आ रहे हैं. इसी कड़ी में कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स ने केंद्र सरकार से अपील की है कि केंद्रीय कर्मचारियों की DA की कैलकुलेशन मेथड में बदलाव किया जाए और इसे पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSUs) में काम करने वाले कर्मचारियों के DA की तरह कैलकुलेट किया जाए.
PSU कर्मचारियों की तरह हो कैलकुलेशन
महासंघ ने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में मांग की है कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की DA की कैलकुलेशन भी पब्लिक सेक्टर यूनिट्स में काम करने वाले कर्मचारियों की तरह की जाए और उनके जैसे ही DA कैलकुलेशन 12 महीने की जगह हर तीन महीने में हो.
PSU कर्मचारियों और केंद्रीय कर्मचारियों के लिए DA कैलकुलेशन के फार्मूले
- केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए:
DA = { (AICPI का औसत (बेस ईयर 2016=100) पिछले 12 महीनों का – 115.76)/115.76 } × 100 - पब्लिक सेक्टर कर्मचारियों के लिए:
DA = { (AICPI का औसत (बेस ईयर 2001=100) पिछले 3 महीनों का – 126.33)/126.33 } × 100
तीन महीने में तय हो DA
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के रिपोर्ट के मुताबिक, महासंघ ने यह भी कहा कि बैंक कर्मचारियों का DA हर तीन महीने में संशोधित किया जाता है (फरवरी-अप्रैल, मई-जुलाई, अगस्त-अक्टूबर, नवम्बर-जनवरी) और केंद्रीय कर्मचारियों की DA 12 महीने में संशोधित होती है. इसलिए अगर अगर कोई मूल्य वृद्धि जनवरी में होती है तो कर्मचारियों को उसके लिए 12 महीने बाद DA में वृद्धि मिलती है. इसलिए DA की कैलकुलेशन हर तीन महीने में की जानी चाहिए और कर्मचारियों को प्वाइंट-टू-प्वाइंट DA दिया जाना चाहिए.
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केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अलग CPI
महासंघ ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अलग CPI की मांग की है. महासंघ का कहना है कि सरकार ने 2016 में एक नया सीरीज अपनाया था, जिसमें 465 वस्तुएं शामिल की गई थीं, जिनमें से बहुत सी वस्तुएं केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के रोजमर्रा के जीवन में उपयोग नहीं होती हैं. इसी कारण से कर्मचारियों और पेंशनर्स को वास्तविक मूल्य वृद्धि के हिसाब से कम DA मिलता है.
क्या है लेबर ब्यूरो का रुख
इस मामले में श्रम मंत्रालय के अधीन काम करने वाली लेबर ब्यूरो का कहना है कि बहुत से केंद्रों पर खुदरा मूल्य काफी अधिक है और यह लेबर ब्यूरो द्वारा प्रकाशित खुदरा मूल्य से मेल नहीं खाते हैं, जिससे केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को सही DA नहीं मिल पाता है. लेबर ब्यूरो हर महीने खुदरा मूल्य इंडेक्स तैयार करती है.
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