टैक्स जांच का डिजिटल युग, अब अलमारी ही नहीं, इनबॉक्स भी रडार पर, 2026 से बदलेगा इनकम टैक्स का तरीका
आज के समय में पैसा और लेनदेन ज्यादातर ऑनलाइन हो चुका है, इसलिए टैक्स जांच को भी डिजिटल होना जरूरी है. हालांकि, इस बदलाव ने आम टैक्सपेयर्स के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या अब आपकी प्राइवेसी खतरे में है?
New income tax Rule: डिजिटल इंडिया के दौर में अब टैक्स जांच भी पूरी तरह डिजिटल होने जा रही है. 1 अप्रैल 2026 से इनकम टैक्स विभाग की ताकत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ने वाली है. नए इनकम टैक्स बिल, 2025 के तहत अगर टैक्स अधिकारियों को शक हुआ कि किसी व्यक्ति ने अपनी इनकम छिपाई है या टैक्स चोरी की है, तो वे सिर्फ घर, लॉकर या अलमारी तक ही सीमित नहीं रहेंगे. अब वे आपके बैंक अकाउंट, ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट, क्लाउड स्टोरेज और ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तक भी पहुंच बना सकेंगे.
इंडिया टुडे के मुताबिक, सरकार का कहना है कि आज के समय में पैसा और लेनदेन ज्यादातर ऑनलाइन हो चुका है, इसलिए टैक्स जांच को भी डिजिटल होना जरूरी है. हालांकि, इस बदलाव ने आम टैक्सपेयर्स के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या अब आपकी प्राइवेसी खतरे में है? क्या अधिकारी कभी भी आपके ईमेल या सोशल मीडिया देख सकते हैं? और सबसे अहम सवाल, इसका असर आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर कितना पड़ेगा? आइए, विस्तार से समझते हैं.
क्या है नया इनकम टैक्स नियम?
अभी तक इनकम टैक्स की छापेमारी इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 132 के तहत होती है. इसके तहत अधिकारी नकद, गहने, दस्तावेज या संपत्ति जैसी फिजिकल चीजें जब्त कर सकते हैं. लेकिन नया इनकम टैक्स बिल, 2025 इस सिस्टम को अपडेट करता है. अब इसमें “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” को भी शामिल किया गया है. इसका मतलब है कि ईमेल, सोशल मीडिया, बैंक अकाउंट, डिजिटल वॉलेट, क्लाउड ड्राइव और ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्म भी जांच के दायरे में आ जाएंगे.
सरकार यह बदलाव क्यों ला रही है?
सरकार का तर्क साफ है. आज ज्यादातर पैसा ऑनलाइन घूम रहा है. सैलरी, निवेश, ट्रेडिंग, क्रिप्टो, यहां तक कि बिजनेस भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चल रहा है. ऐसे में टैक्स चोरी के तरीके भी बदल गए हैं. अगर जांच सिर्फ घर और ऑफिस तक सीमित रहेगी, तो कई बार असली जानकारी सामने नहीं आ पाएगी. डिजिटल जांच से सरकार टैक्स चोरी के नए और जटिल तरीकों पर लगाम लगाना चाहती है.
क्या अधिकारी जब चाहें तब आपके अकाउंट देख सकते हैं?
नहीं, नया कानून अधिकारियों को मनमानी ताकत नहीं देता. जैसे फिजिकल रेड के लिए “वाजिब कारण” होना जरूरी होता है, वैसे ही डिजिटल जांच के लिए भी अधिकारी को पहले ठोस वजह दर्ज करनी होगी. यानी बिना शक और बिना कारण कोई भी आपके ईमेल या सोशल मीडिया को नहीं देख सकता. डिजिटल जांच में निजी ईमेल, चैट और सोशल मीडिया मैसेज शामिल हो सकते हैं. यही वजह है कि कुछ लोग इसे निजता के अधिकार से जोड़कर देख रहे हैं. अगर साफ नियम और मजबूत निगरानी नहीं हुई, तो इस ताकत का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है.
आम टैक्सपेयर्स पर इसका क्या असर पड़ेगा?
अगर आप ईमानदारी से टैक्स भरते हैं, सही जानकारी देते हैं और अपनी आय नहीं छिपाते, तो घबराने की जरूरत नहीं है. आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा. लेकिन अगर किसी व्यक्ति पर टैक्स चोरी का शक हुआ, तो अधिकारी उसके ऑनलाइन लेनदेन, ईमेल और डिजिटल रिकॉर्ड की जांच कर सकते हैं. यहां तक कि जरूरी होने पर सोशल मीडिया मैसेज भी देखे जा सकते हैं.
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