क्या No Cost EMI में सच में नहीं लगता कोई चार्ज? जानें कैसे आपके साथ होता है खेल
नो कॉस्ट ईएमआई( No Cost EMI) के जरिए कस्टमर को कोई सामान ब्याज रहित किस्तों में खरीदने की सुविधा मिलती है. लेकिन बाजार का कटु सत्य यह है कि यहां मुफ्त में कुछ भी नहीं मिलता है. बल्कि बाजार में नो-कॉस्ट ईएमआई की भी कीमत होती है. क्या यह एक धोखा है? ग्राहक सोचते हैं कि ब्याज नहीं लगेगा, लेकिन असल में लागत किसी और तरीके से वसूली जाती है. आइये इसे डिटेल में समझते हैं.

No Cost EMI: नो कॉस्ट ईएमआई का ऑफर सुनते ही ग्राहकों को लगता हैं कि उन्हें बिना ब्याज के किस्तों में सामान खरीदने का मौका मिल रहा है. लेकिन यह पूरा सच नहीं है. असल में कंपनियां ब्याज को छिपे हुए चार्ज या डिस्काउंट के रुप में समायोजित कर देती हैं. कुछ सामान पर MRP में छूट नहीं दी जाती तो कुछ पर प्रोसेसिंग फीस जोड़ दी जाती है. यानी कि ये ऑफर ग्राहक को लुभाने का तरीका होते हैं. आइये जानते हैं कि इसमें कैसे आपके साथ खेल होता है.
प्रोडक्ट की कीमत में हेरफेर
टैक्समैनेजर.इन के फाउंडर-सीईओ दीपक कुमार जैन के अनुसार, नो-कॉस्ट EMI का मतलब यह होता है कि जब आप कोई प्रोडक्ट किस्तों (EMI) में खरीदते हैं, तो आपको अतिरिक्त ब्याज (interest) नहीं देना पड़ता. लेकिन हकीकत में ‘नो कॉस्ट’ EMI पूरी तरह से फ्री नहीं होती. बल्कि इसमें ब्याज या चार्जेज को अलग तरीके से एडजस्ट कर दिया जाता है.
बैंक और NBFC इस ऑफर को सीधे नहीं देते बल्कि कंपनियां प्रोडक्ट की कीमत में हेरफेर करके ब्याज को पहले ही एडजस्ट कर देती हैं. या फिर प्रोसेसिंग फीस के रूप में ब्याज लिया जा सकता है. यानी ग्राहकों को ब्याज दिखता नहीं है पर वसूला जरूर जाता है.
ऐसा भी होता है
कई ऑफर में ब्याज सीधे नहीं दिखाया जाता है. आपको लगता है नो कॉस्ट EMI है तो कोई ब्याज नहीं लगेगा लेकिन असल में EMI पर सामान खरीदने पर आप वाजिब डिस्काउंट नहीं पाते हैं.
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी प्रोडक्ट का कैश प्राइस 20,000 रुपये है और डिस्काउंट के साथ वह 17,000 रुपये में मिलता है. तो EMI पर उस प्रोडक्ट को 20,000 रुपये की EMI में ही बांट दिया जाता है. आपको लगता है कि नो कॉस्ट EMI मिल गई है लेकिन आप 3000 रुपये की बचत गंवा रहे हैं जो कैश खरीदारी पर मिलती.
क्रेडिट कार्ड और NBFC की भूमिका
यह ऑफर क्रेडिट कार्ड EMI या NBFC लोन के जरिए मिलता है. क्रेडिट कार्ड कंपनियां और फाइनेंसर ब्याज न लेने का दावा तो करते हैं लेकिन उनकी कमाई रिटेलर से वसूले गए मार्जिन और चार्जेज से होती है.
खरीदारी से पहले ग्राहक करें ये काम
ग्राहकों को नो-कॉस्ट EMI पर खरीदारी से पहले हमेशा प्रोडक्ट के कैश प्राइस और EMI प्राइस की तुलना करनी चाहिए. ऑफर में छिपे हुए प्रोसेसिंग चार्ज, GST और मिसिंग डिस्काउंट की जानकारी को भी जरूर चेक करना चाहिए. इसके बाद ही तय करें कि वह प्रोडक्ट EMI पर लेना फायदेमंद है या नकद खरीदना.
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