बैंक डूबा तो कहां मिलेगा ज्यादा पैसा, जानें प्राइवेट-सरकारी-पेमेंट-कोऑपरेटिव में कौन है सबसे सेफ
मुंबई स्थित न्यू इंडियन कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद RBI ने 6 महीने का मोरेटोरियम लगाया है. भारत का डिपॉजिट इंश्योरेंस फंड ₹2 लाख करोड़ है, लेकिन यह केवल 46.3% बैंक डिपॉजिट कवर करता है, डिपॉजिट इंश्योरेंस स्कीम के तहत, जमाकर्ताओं को ₹5 लाख तक का बीमा कवर मिलता है.

Deposit Insurance Fund: मुंबई स्थित न्यू इंडियन कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद, आरबीआई ने बैंक पर 6 महीने का मोरेटोरियम (बैन) लगा दिया. इस घटना के बाद बैंक में अपना पैसा जमा करने वाले लोग चिंतित हैं. हालांकि, अगर बैंक डूब जाता है, तो डिपॉजिट इंश्योरेंस के अनुसार, जमाकर्ताओं को सरकार की तरफ से 5 लाख रुपये दिए जाएंगे. अगर किसी ने 5 लाख रुपये से ज्यादा जमा किया है या फिर एक से ज्यादा खाता है, तब भी डिपॉजिट इंश्योरेंस के तहत उसे सिर्फ 5 लाख रुपये का ही कवर मिलेगा. आपको जानकर हैरानी होगी कि बैंकों के डूबने पर सुरक्षा के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस फंड 2 लाख करोड़ रुपये है, इसके बावजूद देश के करीब 54 फीसदी बैंक डिपॉजिट कवर नहीं है. यानी केवल 46 फीसदी को ही पैसा मिलेगा.
इंश्योरेंस कवर के मामले में 8वां स्थान
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का डिपॉजिट इंश्योरेंस फंड 2 लाख करोड़ रुपये के करीब है, जो दुनिया में तीसरी सबसे बड़ा फंड है. इसके बावजूद यह केवल 46.3 फीसदी बैंक डिपॉजिट्स को कवर करता है, जिससे यह कवरेज के मामले में आठवें स्थान पर है. बैंकरों का कहना है कि यह स्कीम पर्याप्त है, क्योंकि अधिकांश जमा पब्लिक सेक्टर के बैंकों या सिस्टमेटिकली-इंपोर्टेंट बैंकों में हैं, जो फेल होने की संभावना कम है.कोऑपरेटिव बैंकों में भी अधिकांश ग्राहकों का जमा पूरी तरह कवर है.
किस बैंक को कितना कवर
डिपॉजिटरी इंश्योरेंस फंड के तहत पेमेंट बैंकों के खाताधारकों को डिपॉजिट (2 लाख रुपये अधिकतम जमा कर सकते हैं कस्टमर )पर लगभग 100 फीसदी इंश्योरेंस कवर मिलता है. वहीं, ग्रामीण बैंकों का 80.3 फीसदी, कोऑपरेटिव बैंकों का 63.2 फीसदी, पब्लिक सेक्टर बैंकों का 48.9 फीसदी, निजी बैंकों को 32.7 फीसदी जबकि विदेशी बैंकों का केवल 5 फीसदी डिपॉजिट कवर हैं
समय-समय पर बढ़ाई गई सीमा
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने अगस्त 2024 में कहा था कि डिपॉजिट लेने वाले संस्थानों की प्रीमियम को समय-समय पर संशोधित किया जाना चाहिए, और कुछ सेगमेंट्स जैसे छोटे डिपॉजिट और वरिष्ठ नागरिकों के लिए पूर्ण कवर दिया जाना चाहिए. देश में डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा 1962 में 1,500 रुपये से शुरू हुई थी, जो 1980 में 30,000 रुपये तक बढ़ी. फिर 1993 में इसे 1 लाख रुपये तक बढ़ाया गया और 2020 में इसे 5 लाख रुपये किया गया.
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क्या हैं वैश्विक रेशियो?
वैश्विक स्तर पर, डिपॉजिट इंश्योरेंस का अनुपात बहुत अलग-अलग है. तुर्की में यह 21.5 फीसदी है, जबकि बेल्जियम में यह 71 फीसदी है. औसतन, डिपॉजिट इंश्योरर्स विश्वभर में लगभग 41 फीसदी पात्र डिपॉजिट्स को कवर करते हैं, जबकि 59 फीसदी डिपॉजिट्स बिना कवर के रहते हैं.भारत में, 31 मार्च 2024 तक अनइंशर्ड डिपॉजिट्स का अनुपात 80 फीसदी से कम था, जो “80/20” नियम के अनुरूप है. 1969 से 2009 तक यह अनुपात 50 फीसदी से कम था, और अब यह 56.9फीसदी है, जो वैश्विक औसत के बराबर है.
देश | वैश्विक DIF रैंक | IDR (फीसदी) |
---|---|---|
बेल्जियम | 9 | 71 |
जापान | 2 | 69.1 |
स्पेन | 10 | 66 |
संयुक्त राज्य | 1 | 56.6 |
ब्राजील | 4 | 51.7 |
कोरिया | 6 | 51.7 |
इंडोनेशिया | 5 | 46.9 |
भारत | 3 | 46.3 |
स्विट्जरलैंड | 8 | 37 |
तुर्की | 7 | 21.5 |
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