PNB और BOI ने दी लोन लेने वालों को राहत, MCLR दरों में कटौती, कम होगी EMI

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और बैंक ऑफ इंडिया (BoI) ने लोन लेने वालों को बड़ी राहत दी है. दोनों बैंकों ने अपनी MCLR दरों में कटौती की, जिससे होम, पर्सनल और ऑटो लोन की EMI कम हो सकती है. यह बदलाव 1 सितंबर 2025 से लागू है. RBI के रेपो रेट 5.5 फीसदी पर स्थिर रहने के बावजूद बैंकों ने यह कदम उठाया.

PNB & BOI reduced MCLR Image Credit: Canva/ Money9

PNB & BOI reduced MCLR: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने अपने ग्राहकों को लोन मुहैया कराने के मोर्चे पर बड़ी राहत दी है. इन बैंकों ने अपनी MCLR यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट में कटौती की है. इससे होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटोमोबाइल लोन जैसी फ्लोटिंग रेट वाली लोन की EMI कम हो सकती है. यह बदलाव 1 सितंबर 2025 से लागू हो गया है. पिछले महीने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था फिर भी इन बैंकों ने ब्याज दरें घटाकर उधार लेने वालों को राहत दी है.

6 अगस्त को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 5.5 फीसदी पर स्थिर रखा. अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने के बाद RBI ने सतर्क रुख अपनाते हुए यह फैसला लिया. पहले से ही यह अनुमान था कि इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा.

PNB ने MCLR में 15 बेसिस पॉइंट तक की कटौती की

PNB (Punjab National Bank) ने सभी टाइम पीरियड की MCLR दरों में बदलाव किया है. इसमें 15 बेसिक प्वाइंट की कटौती की गई है. ओवरनाइट MCLR 8.15 फीसदी से 8 फीसदी, एक महीने की MCLR 8.30 फीसदी से 8.25 फीसदी, तीन महीने की MCLR 8.50 फीसदी से 8.45 फीसदी, छह महीने की MCLR 8.70 फीसदी से 8.65 फीसदी, एक साल की MCLR 8.85 फीसदी से 8.80 फीसदी, और तीन साल की MCLR 9.15 फीसदी से 9.10 फीसदी हो गई है.

Source – PNB

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बैंक ऑफ इंडिया ने भी घटाईं दरें

बैंक ऑफ इंडिया ने ओवरनाइट को छोड़कर सभी अवधियों की MCLR में 5 से 15 बेसिस पॉइंट की कटौती की है. ये नई दरें भी 1 सितंबर 2025 से लागू हैं.

Source – BOI

MCLR क्या है?

MCLR यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट, एक तरह का बेंचमार्क रेट है, जिसके आधार पर बैंक होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटोमोबाइल लोन जैसी फ्लोटिंग रेट वाली लोन की ब्याज दरें तय करते हैं. अगर MCLR कम होता है, तो लोन की EMI भी कम हो सकती है, जिससे उधार लेने वालों को राहत मिलती है. हालांकि, नए लोन अब MCLR से नहीं, बल्कि एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) से जुड़े होते हैं.

MCLR और EBLR में क्या अंतर है?


MCLR वह बेंचमार्क रेट है, जिसके आधार पर बैंक पुराने फ्लोटिंग रेट लोन की ब्याज दरें तय करते हैं. कम MCLR से EMI कम हो सकती है. नए लोन अब एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) से जुड़े होते हैं. बैंक पुराने MCLR लोन को EBLR में बदलने का विकल्प भी दे रहे हैं.

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