अब बचत खाते में पैसे ना रखने पर भी नहीं लगेगा फाइन, बैंकों ने दी अपने ग्राहकों को मिनिमम बैलेंस शर्त से राहत
अगर आप भी हर महीने बैंक में मिनिमम बैलेंस बनाए रखने के झंझट से परेशान हैं, तो आपके लिए एक बड़ी राहत की खबर है. देश के कई बड़े बैंक अब ग्राहकों के लिए नियमों में बदलाव कर रहे हैं. क्या आपके बैंक का नाम इस लिस्ट में है?
अब अगर आपके सेविंग अकाउंट में बैलेंस कम हो जाता है, तो घबराने की जरूरत नहीं. कई बड़े सरकारी बैंकों ने मिनिमम बैलेंस की शर्त को हटाने का फैसला लिया है. यानी अगर खाते में तय रकम से कम बैलेंस रहता है, तो भी अब ग्राहकों को पेनल्टी नहीं देनी होगी. यह कदम ऐसे वक्त में आया है जब बैंक जमा में करंट और सेविंग अकाउंट का हिस्सा घट रहा है और वित्त मंत्रालय इस मुद्दे पर चिंता जता चुका है.
किन बैंकों ने हटाई शर्त?
Canara Bank, Bank of Baroda, Punjab National Bank और Indian Bank ने हाल ही में मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की अनिवार्यता खत्म कर दी है. इससे पहले, देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक SBI साल 2020 में ही यह शर्त हटा चुका है.
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने हाल ही में बैंकों के साथ एक बैठक की थी जिसमें यह सवाल उठाया गया कि खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर ग्राहकों से पेनल्टी क्यों ली जाती है. मंत्रालय की चिंता थी कि सस्ते फंड यानी सेविंग और करंट अकाउंट डिपॉजिट में गिरावट आ रही है.
RBI की रिपोर्ट का असर
RBI की हालिया फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में भी कहा गया है कि बैंकों की जमा प्रोफाइल में बदलाव हो रहा है. कम लागत वाले CASA (करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट) डिपॉजिट की तुलना में अब महंगे टर्म डिपॉजिट और सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CD) का हिस्सा बढ़ रहा है.
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बैंक अधिकारियों के मुताबिक, जनधन खातों के आंकड़ों से यह बात सामने आई कि शुरुआत में भले ही ये खाते निष्क्रिय रहे हों, लेकिन बाद में उनमें संतुलित राशि steadily बढ़ी. इसी अनुभव ने भी नीतिगत बदलाव को प्रभावित किया है.