धनतेरस पर सिर्फ फिजिकल नहींं बल्कि इन तरीकों से खरीदें सोना, जानें कौन है सबसे फायदेमंद?
भारत में धनतेरस पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. परंपरागत गहनों के अलावा अब निवेशक डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ETF, गोल्ड म्यूचुअल फंड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) जैसे आधुनिक विकल्प चुन सकते हैं. ये सुरक्षित, सुविधाजनक और बेहतर रिटर्न देने वाले निवेश माध्यम साबित हो सकते हैं.

भारत में दिवाली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है और अनगिनत परिवार इसे सौभाग्य और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाते हैं. इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है और लोग अपने घरों में शुभ और सौभाग्य लाने के लिए सोने के आभूषण या सिक्के खरीदते हैं. सोना खरीदना इस दौरान मनाए जाने वाले कई रीति-रिवाजों में से एक है. भारत में सोना खरीदने को धार्मिक परंपरा के रूप में तो देखा ही जाता है और साथ ही इसे निवेश के लिए एक सुरक्षित और भरोसेमंद साधन भी माना जाता है. लेकिन आज के आधुनिक समय में निवेश के लिए सोने के कई विकल्प मौजूद हैं तो इस धनतेनस पर आप सिर्फ पारंपरिक तरीके से ज्वैलरी न खरीदकर गोल्ड ईटीएफ (ETF), डिजिटल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेश कर सकते हैं. आइये जानते हैं कि सोने में निवेश के लिए कौन सा विकल्प सबसे उपयुक्त है.
फिजिकल गोल्ड
फिजिकल गोल्ड खरीदना निवेश का सबसे पारंपरिक तरीका है. ज्वैलरी, सिक्के या गोल्ड बार खरीदने पर GST और मेकिंग चार्ज अलग से देना पड़ता है. इसे खरीदारी के 3 साल के भीतर बेचने पर मुनाफे पर Short-Term Capital Gain (STCG) के तहत टैक्स देना पड़ता है जो आपकी आयकर स्लैब के अनुसार तय होता है. वहीं, 3 साल से अधिक अवधि के बाद बेचे गए फिजिकल गोल्ड पर Long-Term Capital Gain के तहत पर 12.5% टैक्स लगेगा.
डिजिटल गोल्ड
डिजिटल गोल्ड, छोटी मात्रा में सोने में निवेश करने का एक सरल और सुविधाजनक तरीका है. डिजिटल गोल्ड को PhonePe, Google Pay और Paytm पर आसानी से खरीदा जा सकता है. डिजिटल गोल्ड को आरबीआई या सेबी द्वारा रेगुलेट नहीं किया जाता है इसलिए इसमें निवेश में सावधानी बरतना जरूरी है. 3 साल से कम में बिक्री पर STCG और 3 साल के बाद LTCG 12.5% टैक्स लागू होता है.
गोल्ड ईटीएफ
गोल्ड ईटीएफ गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) सीधे फिजिकल गोल्ड में निवेश करते हैं जिससे निवेशक सोने को अपने पास रखे बिना ही सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव से लाभ उठा सकते हैं. इन फंडों का स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की तरह ही कारोबार किया जा सकता है, बशर्ते निवेशक के पास डीमैट खाता हो. इसमें बेहतरीन लिक्विडिटी होती है और चोरी का डर नहीं रहता है. गोल्ड ईटीएफ केवल बाजार समय के दौरान ही खरीदे या बेचे जा सकते हैं. 12 महीने से पहले बिक्री पर STCG और 12 महीने बाद LTCG 12.5% टैक्स लगता हैं.
गोल्ड म्यूचुअल फंड
गोल्ड म्यूचुअल फंड गोल्ड ईटीएफ की यूनिट्स में निवेश करते हैं. ये फंड-ऑफ-फंड दृष्टिकोण के माध्यम से शुद्ध सोने में निवेश प्रदान करते हैं. निवेशक या तो एकमुश्त निवेश कर सकते हैं या धीरे-धीरे अपनी होल्डिंग बढ़ाने के लिए एसआईपी का विकल्प चुन सकते हैं. ये फंड विशेष रूप से उन नए निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो बिना फिजिकल मेटल खरीदे सोने में निवेश करना चाहते हैं. इसमें टैक्स नियम ETF की तरह ही लागू होते हैं.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी की जाने वाली सरकारी सिक्योरटीज हैं. ये 999 शुद्धता वाले सोने द्वारा समर्थित होती हैं. इनकी मैच्योरिटी अवधि 8 वर्ष होती है और जारी होने की डेट से 5 वर्ष बाद इन्हें जल्दी भुनाने का विकल्प होता है. वर्तमान में, SGB में नए निवेश बंद हैं और ये बॉन्ड केवल सेकेंड्री मार्केट के माध्यम से ही प्राप्त किए जा सकते हैं.
Latest Stories

पिछले साल धनतेरस-दिवाली पर ऑनलाइन गोल्ड खरीदारी पर हुए थे ये फ्रॉड, इस बार ना करें गलतियां

PPF से लें लोन या पर्सनल लोन? कौन है ज्यादा फायदेमंद, दोनों में क्या है फर्क

अब सभी दस्तावेज होंगे डिजिटल! जानें डिजिलॉकर के फायदे और इस्तेमाल का तरीका
