बिटकॉइन पर मिलेगा लोन! क्या है Crypto Lending, जानें क्या हैं इसके फायदे और नुकसान?

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के साथ ही क्रिप्टो लेंडिंग का चलन भी बढ़ रहा है. इसे डिजिटल एसेट्स के बदले उधारी या कर्ज भी कहा जा सकता है. यहां क्रिप्टो कर्ज के बारे में बताया गया है. खासतौर पर इसके फायदे और नुकसानों के बारे में बताया गया है. इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए.

क्रिप्टो लोन Image Credit: Money9live

Bitcoin को भविष्य का डॉलर कहा जाता है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी को ग्लोबल पेमेंट की भावी व्यवस्था बताया जाता है. इन दावों के बीच दुनियाभर में क्रिप्टो लैंडिंग तेजी से बढ़ रही है. क्रिप्टो लैंडिंग का मतलब क्रिप्टोकरेंसी के बदले मिलने वाला उधार या कर्ज है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित तमाम DeFi यानी डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस प्लेटफॉर्म यह सुविधा देते हैं.

क्रिप्टो लेंडिंग ब्लॉकचेन और क्रिप्टो स्पेस में सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट है. इसमें पारंपरिक कर्ज की तरह ही डिजिटल एसेट्स के बदले लेनदेन होता है. क्रिप्टो लेंडिंग असल में DeFi प्लेटफॉर्म या एक्सचेंज के जरिये बिटकॉइन जैसी करेंसी को गिरवी रखकर दिए जाने वाला कर्ज है. इससे यूजर को तुरंत कर्ज मिलता है. इसके अलावा कई प्लेटफॉर्म बिना कुछ गिरवी रखे भी कर्ज मुहैया कराते हैं, जिन्हें फ्लैश लोन कहा जाता है. यह पूरी प्रक्रिया स्मार्ट कॉन्ट्रैक्टस के जरिये होती है. बायनेंस और कॉइन डीसीएक्स जैसे प्लेटफॉर्म भारत में क्रिप्टो लैंडिग को सपोर्ट करते हैं.

क्या भारत में है लीगल?

भारत में क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही क्रिप्टो लोन भी अनरेगुलेटेड है. यानी इस तरह के लेनदेन किसी नियामकीय ढांचे में नहीं आते हैं. हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन को जब आप रुपये में बदलकर बैंक खाते में जमा करते हैं, तो उस ट्रांजैक्शन पर आपको 30 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना होता है. ऐसे में अगर आप क्रिप्टो करेंसी के बदले लोन लेकर उसका इस्तेमाल क्रिप्टोएक्सचेंज से बाहर की दुनिया में करना चाहते हैं, तो यह काफी खर्चीला साबित हो सकता है.

क्रिप्टो लैंडिंग के फायदे

क्रिप्टो लैंडिंग के नुकसान

इन बातों का रखें ध्यान

अगर आपको क्रिप्टो लैंडिंग के जरिये फंड जुटाना है, तो यह सुनिश्चित करें कि आप जो क्रिप्टो करेंसी गिरवी रख रहे हैं, वह बहुत अस्थिर न हो. इसके अलावा अलग-अलग ट्रस्टेड प्लेटफॉर्म पर ब्याज दरों पर रिसर्च करें. कर्ज की शर्तों के बारे में विस्तार से जानकारी जुटाएं. कर्ज देने वाला प्लेटफॉर्म कितना सुरक्षित है इसकी जांच जरूर करें. इसके अलावा रेगुलेटरी नियमों का पालन करने वाले प्लेटफॉर्म से ही ऐसा फंड जुटाएं.