रियल एस्टेट ने दिया 15% का रिटर्न, हाउसिंग सेक्टर का जोरदार प्रदर्शन; कई पारंपरिक इन्वेस्टमेंट पर भारी
Real Estate Returns: 1 फाइनेंस हाउसिंग टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) के डेटा से पता चलता है कि इंडेक्स सितंबर 2024 में 228 से बढ़कर सितंबर 2025 में 263 हो गया, जो भारत के बड़े शहरों में रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी को दिखाता है. हैदराबाद में औसत कीमतों में साल-दर-साल 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
Real Estate Returns: भारत के रेसिडेंशियल रियल एस्टेट मार्केट ने पिछले एक साल में 15 फीसदी का मजबूत टोटल रिटर्न दिया है, जो कई पारंपरिक इन्वेस्टमेंट के तरीकों से बेहतर है. 1 फाइनेंस की एक नई स्टडी के अनुसार, ये नतीजे बताते हैं कि बड़े शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर के नेतृत्व वाला डेवलपमेंट कैसे घरों की डिमांड और कीमतों के ट्रेंड को बदल रहा है. 1 फाइनेंस हाउसिंग टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) के डेटा से पता चलता है कि इंडेक्स सितंबर 2024 में 228 से बढ़कर सितंबर 2025 में 263 हो गया, जो भारत के बड़े शहरों में रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी को दिखाता है.
रियल एस्टेट परफॉर्मेंस का व्यू
यह इंडेक्स भारत का पहला निष्पक्ष हाउसिंग बेंचमार्क है, जो RERA-रजिस्टर्ड रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स से रियल ट्रांजैक्शन डेटा को ट्रैक करता है, जिससे मार्केट ट्रेंड्स की अधिक सटीक तस्वीर मिलती है. हाउसिंग TRI एक वेटेड एवरेज मेथोडोलॉजी का इस्तेमाल करता है, जो हर शहर के प्रति स्क्वायर फुट (PSF) रेजिडेंशियल रेट, रेंटल यील्ड और आबादी को ध्यान में रखता है. यह बैलेंस्ड तरीका यह पक्का करता है कि इंडेक्स प्राइस एप्रिसिएशन और इनकम पोटेंशियल दोनों को कैप्चर करे, जिससे रेसिडेंशियल रियल एस्टेट परफॉर्मेंस का एक पूरा नजरिया मिलता है.
सेल्स की वैल्यू 1.52 लाख करोड़ रुपये पहुंची
ईटी में छपी 1 फाइनेंस की स्टडी के अनुसार, Q3 2025 में रेजिडेंशियल एक्टिविटी मजबूत बनी रही, जिसमें सेल्स की वैल्यू 1.52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई. ग्रेटर मुंबई भारत का सबसे महंगा रेसिडेंशियल मार्केट बना रहा, जहां औसत कीमतें 33,762 रुपये प्रति वर्ग फुट थीं. इस बीच, पुणे में बिना बिके इन्वेंट्री बढ़कर 2,69,348 यूनिट हो गई, जो यह दिखाता है कि मांग स्थिर रहने के बावजूद सप्लाई बढ़ रही है.
हैदराबाद में 12 फीसदी की बढ़ोतरी
हैदराबाद में औसत कीमतों में साल-दर-साल 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 9,100 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गया. आने वाले रीजनल रिंग रोड से आसपास के जिलों से कनेक्टिविटी में काफी सुधार होने की उम्मीद है, जिससे आगे रेसिडेंशियल डेवलपमेंट को सपोर्ट मिलेगा. दिल्ली NCR में लगभग 60 फीसदी बिना बिके इन्वेंट्री पांच साल से ज्यादा पुरानी है, जो नए लॉन्च किए गए प्रीमियम घरों के लिए खरीदारों की साफ पसंद को दिखाता है, जो आधुनिक सुविधाएं और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सेस देते हैं.
क्यों बढ़ रही हैं रेसिडेंशियल की कीमतें?
यह स्टडी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को रेसिडेंशियल कीमतों में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण बताती है. जैसे-जैसे शहर अपना कमर्शियल दायरा बढ़ा रहे हैं, नई मेट्रो लाइनें, रिंग रोड और ट्रांजिट कॉरिडोर रोज़गार केंद्रों और रिहायशी इलाकों के बीच की दूरी कम कर रहे हैं, खासकर बाहरी इलाकों में इसका असर नजर आ रहा है.
बेंगलुरु में चालू नम्मा मेट्रो फेज 2 येलो लाइन और आने वाली ब्लू लाइन, जिसके 2026 तक चालू होने की उम्मीद है – टेक्नोलॉजी कॉरिडोर में भीड़ कम कर रही है. इस बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से ग्रेटर बेंगलुरु में कीमतों में 24% की बढ़ोतरी हुई है, जिससे कमर्शियल हब किफायती हाउसिंग जोन से जुड़ गए हैं.
हैदराबाद में, रीजनल रिंग रोड के उत्तरी चरण पर हो रही प्रगति और 2026 की शुरुआत तक दक्षिणी चरण के निर्माण की शुरुआत से फार्मा सिटी के लिए एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स कॉरिडोर बन रहा है. इससे आस-पास के छोटे बाजारों में रेसिडेंशियल डिमांड में काफी बढ़ोतरी हुई है.
ग्रेटर मुंबई में आरे JVLR को कफ परेड से जोड़ने वाली एक्वा लाइन मेट्रो ने सेंट्रल सबर्ब्स में कीमतों में 13 फीसदी की बढ़ोतरी को सपोर्ट किया है, जहां औसत दरें बढ़कर 40,735 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई हैं.
मार्केट की रफ्तार
भले ही टॉप आठ शहरों में बिना बिके इन्वेंट्री 11 लाख यूनिट्स को पार कर गई है, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे बड़े मार्केट की रफ्तार पर कोई असर नहीं पड़ा है. इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कनेक्टिविटी शहरों के बाहरी इलाकों में बने घरों की अपील को लगातार बेहतर बना रही है, जिससे रिहायशी और कमर्शियल इलाकों के बीच का अंतर कम हो रहा है.
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