रेडी टू मूव या अंडर कंस्ट्रक्शन? घर लेने से पहले जान लें GST, TDS और टैक्स छूट का पूरा खेल, यहीं तय होती है असली लागत

अक्सर खरीदार सिर्फ कीमत और लोकेशन देखते हैं. वे टैक्स और नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं. यहीं पर सबसे ज्यादा भ्रम होता है रेडी-टू-मूव फ्लैट लें या अंडर-कंस्ट्रक्शन. दोनों में GST, TDS और होम लोन के टैक्स फायदे बिल्कुल अलग होते हैं.

रेडी टू मूव या अंडर कंस्ट्रक्शन? Image Credit: Money 9 Live

Ready-to-move vs. under-construction flats: घर खरीदना जिंदगी का बड़ा फैसला होता है, लेकिन अक्सर खरीदार सिर्फ कीमत और लोकेशन देखते हैं. वे टैक्स और नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं. यहीं पर सबसे ज्यादा भ्रम होता है रेडी-टू-मूव फ्लैट लें या अंडर-कंस्ट्रक्शन. दोनों में GST, TDS और होम लोन के टैक्स फायदे बिल्कुल अलग होते हैं. ऐसे में उदाहरण से समझने कि कोशिश करते है कि अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो किस विकल्प में आपकी जेब पर कितना असर पड़ेगा.

मान लीजिए बिहार के रवि ने ₹85 लाख का अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट लिया, जबकि मुंबई की सलोनी ने ₹1.2 करोड़ का रेडी-टू-मूव घर खरीदा. दोनों की टैक्स जिम्मेदारियां अलग हैं. किसी को GST देना पड़ता है, किसी को नहीं; किसी को प्री-EMI पर इंतजार करना पड़ता है, किसी को तुरंत टैक्स छूट मिल जाती है.

अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी

अगर आप अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट खरीदते हैं, तो बिल्डर हर किस्त पर 5 फीसदी GST लेता है (अफोर्डेबल हाउसिंग में 1%). यह GST आपकी कुल लागत बढ़ाता है. साथ ही, अगर फ्लैट की कीमत ₹50 लाख से ज्यादा है, तो हर किस्त पर 1% TDS काटना जरूरी होता है. यह पैसा सरकार को Form 26QB के जरिए जमा करना पड़ता है. TDS कोई अतिरिक्त खर्च नहीं है, लेकिन समय पर जमा न करने पर पेनल्टी लग सकती है.

अंडर-कंस्ट्रक्शन में होम लोन और टैक्स छूट

निर्माण पूरा होने से पहले बैंक से लिए गए लोन पर जो ब्याज (प्री-EMI) आप देते हैं, उस पर तुरंत टैक्स छूट नहीं मिलती. घर का कब्जा मिलने के बाद, पूरा प्री-कंस्ट्रक्शन ब्याज जोड़कर उसे 5 बराबर हिस्सों में हर साल क्लेम किया जा सकता है. लेकिन ध्यान रखें हर साल अधिकतम ₹2 लाख की ही छूट मिलेगी (पुराने टैक्स सिस्टम में). यानी सीमा वही रहती है.

रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी

रेडी-टू-मूव फ्लैट, जिसके पास कम्प्लीशन सर्टिफिकेट है, उस पर कोई GST नहीं लगता. यह खरीदारों के लिए बड़ी राहत है. हालांकि, अगर कीमत ₹50 लाख से ऊपर है, तो यहां भी 1% TDS काटना होगा और Form 26QB फाइल करना पड़ेगा.

रेडी-टू-मूव में टैक्स फायदे

रेडी-टू-मूव घर में होम लोन का फायदा तुरंत मिलता है.

  • ब्याज पर छूट: सेल्फ-ऑक्यूपाइड घर के लिए सालाना ₹2 लाख तक
  • प्रिंसिपल पर छूट: Section 80C के तहत (सीमा के भीतर)
  • खरीद के उसी साल से टैक्स बेनिफिट शुरू हो जाता है, जिससे कैश फ्लो बेहतर रहता है.

नया टैक्स सिस्टम

नए टैक्स सिस्टम में नियम कड़े हैं.

  • सेल्फ-ऑक्यूपाइड घर पर होम लोन ब्याज की कोई छूट नहीं.
  • अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में प्री-कंस्ट्रक्शन ब्याज को 5 साल में क्लेम करने का विकल्प भी नहीं.
पॉइंटअंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैटरेडी-टू-मूव फ्लैट
GST5% GST देना पड़ता हैGST नहीं लगता
TDS (₹50 लाख से ऊपर)हर किस्त पर 1% TDSभुगतान पर 1% TDS
होम लोन ब्याज पर टैक्स छूटकब्जे के बाद हीतुरंत मिलती है
प्री-EMI ब्याजदेना पड़ता हैनहीं देना पड़ता

अगर आप टैक्स बचत और सरल नियम चाहते हैं, तो रेडी-टू-मूव घर ज्यादा आसान साबित होता है. अंडर-कंस्ट्रक्शन में GST और देरी से मिलने वाली टैक्स छूट का असर आपकी जेब पर पड़ सकता है. घर खरीदने से पहले इन नियमों को समझना आपको भविष्य की परेशानी से बचा सकता है.

डेटा सोर्स: HT

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