यूपी में अब टाइटल बेस्ड रजिस्ट्री, मालिकाना हक को लेकर नहीं होगी धोखाधड़ी! ऐसे निकलेगी जमीन की कुंडली
घर या जमीन खरीदने पर अक्सर मालिकाना हक को लेकर कई विवाद रहते हैं. इसमें फजीवाड़े के कई मामले सामने आते हैं, इन्हीं पर लगाम लगाने के मकसद से यूपी सरकार ने Title Based Property Registration प्रणाली को मंजूरी दी है. इससे प्रॉपर्टी खरीदना और सुरक्षित होता. तो नई व्यवस्था से क्या होंगे फायदे, जानें डिटेल.
Title-Based Property Registration in UP: घर या जमीन खरीदने पर अक्सर प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को लेकर विवाद रहता है. एक ही जमीन कई लोगों को बेच दी जाती है. कागजातों के हेरफेर से भी इसमें फर्जीवाड़ा होता रहता है. इन्हीं सब धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के मकसद से यूपी सरकार रजिस्ट्री से जुड़े नियमों को बदलने जा रही है. उत्तर प्रदेश सरकार ने संपत्ति खरीद–फरोख्त को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए टाइटल बेस्ड प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन Title-Based Property Registration प्रणाली को मंजूरी दे दी है, जिसे जल्द ही लागू किया जाएगा.
इन चीजों पर लगेगी लगाम
इस नई व्यवस्था में संपत्ति की रजिस्ट्री से पहले सरकार यह जांच करेगी कि संपत्ति का असली मालिक कौन है. इससे फर्जी दस्तावेजों, डुप्लीकेट बिक्री और लंबे कानूनी विवादों पर लगाम लगेगी. इससे मालिकाना हक को लेकर भ्रम, एक ही संपत्ति पर कई दावे और वर्षों तक चलने वाले मुकदमों में कमी आने की उम्मीद है.
क्या है Title Based Property Registration?
Title-Based Property Registration में सब-रजिस्ट्रार किसी भी सौदे को मंजूरी देने से पहले विक्रेता के कानूनी स्वामित्व की जांच और पुष्टि करेगा. इसके लिए राजस्व विभाग, नगर निगम, विकास प्राधिकरण और रजिस्ट्रेशन विभाग के रिकॉर्ड को आपस में जोड़ा जाएगा. इसके तहत सिर्फ वही संपत्तियां रजिस्टर्ड होंगी जिनका टाइटल पूरी तरह सही और सत्यापित होगा. यह व्यवस्था दिल्ली और हरियाणा जैसे राज्यों की तर्ज पर लागू की जा रही है.
अभी तक क्या थी व्यवस्था?
अभी तक देश में प्रचलित दस्तावेज आधारित रजिस्ट्रेशन सिस्टम की व्यवस्था थी. जिसमें केवल बिक्री के कागजात दर्ज किए जाते थे, लेकिन यह जरूरी नहीं था कि विक्रेता वास्तव में संपत्ति का कानूनी मालिक हो. इसी खामी के चलते खरीद के बाद मालिकाना हक को लेकर विवाद सामने आते थे. इन समस्याओं को खत्म करने के मकसद से ही यूपी सरकार ने टाइटल-आधारित रजिस्ट्रेशन सिस्टम लागू करने का फैसला लिया है.
घर खरीदारों को क्या होंगे फायदे?
- खरीदार को पता चलेगा कि संपत्ति का कानूनी मालिक कौन है.
- फर्जी और भ्रामक दस्तावेजों के आधार पर होने वाले सौदों पर रोक लगेगी.
- बार-बार मैन्युअल टाइटल जांच की जरूरत कम होगी, जिससे समय और मेहनत बचेगी.
- केवल असली मालिक ही अपनी संपत्ति बेच पाएंगे.
- रीसेल और होम लोन लेना आसान होगा, क्योंकि सही टाइटल वाली संपत्तियों को बैंक ज्यादा आसानी से स्वीकार करेंगे.
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UP में कैसे लागू होगी यह व्यवस्था?
- नई प्रणाली के तहत रजिस्ट्रेशन के दौरान मालिकाना विवरण अपने आप सरकारी रिकॉर्ड से सामने आ जाएगा, जिससे मैन्युअल जांच और मानवीय गलती कम होगी.
- ग्रामीण क्षेत्रों में खसरा नंबर और जमीन के मालिकाना रिकॉर्ड डिजिटाइज्ड लैंड रिकॉर्ड से दिखेंगे. वहीं शहरी इलाकों में नगर निगम, विकास प्राधिकरण और अन्य सरकारी एजेंसियों के रिकॉर्ड से मालिकाना जानकारी प्राप्त होगी.
- सब-रजिस्ट्रार एक ही स्क्रीन पर सभी आधिकारिक रिकॉर्ड देखकर सत्यापन कर सकेगा.
- संपत्ति तभी रजिस्टर्ड होगी जब यह पुष्टि हो जाएगी कि विक्रेता वैध मालिक है और संपत्ति पर कोई विवाद, गड़बड़ी या बकाया नहीं है.
- इसके बाद रजिस्ट्रेशन पूरा होगा और मालिकाना रिकॉर्ड अपडेट कर दिया जाएगा.
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