Ghost Malls का खतरा बढ़ा, 1.55 करोड़ वर्ग फुट जगह पड़ी वीरान, दुकान या शोरूम पर पैसा लगाने से पहले जान लें ये चौंकाने वाली बातें

देश में जितनी तेजी से मॉल्‍स खुल रहे हैं, उतनी ही स्‍पीड से ये खाली भी होते जा रहे हैं. दरअसल भारत में कई ऐसे मॉल्‍स उजाड़ हो चुके हैं, जो एक समय बहुत मशहूर थे. ऐसे शॉपिंग सेंटर्स को घोस्‍ट मॉल्‍स कहा जाता है. भारत में बढ़ते ऐसे वीरान मॉल्‍स को लेकर हाल ही में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है.

ghost malls की संख्‍या में इजाफा Image Credit: money9 live

भारत में आजकल शॉपिंग मॉल का चलन जोरों पर है. हर छोटे-बड़े शहर में ढ़ेरों मॉल्‍स खुल गए हैं. मगर देश के टॉप 32 शहरों में शॉपिंग मॉल्स को लेकर एक चौंकाने वाला सच सामने आया है. Knight Frank की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कुल 13.41 करोड़ वर्ग फुट रिटेल स्पेस में से 15.5 मिलियन स्‍क्‍वैयर फीट यानी करीब 1.55 करोड़ वर्ग फुट ऐसा है, जिसे अब Ghost Malls की कैटेगरी में रखा गया है. यानी ऐसे मॉल, जहां न दुकानें हैं, न रौनक, बस ये किसी भूतहा जगह की तरह वीरान पड़े हैं.

रिपोर्ट में दी चेतावनी

इन आंकड़ो से पता चलता है कि रिटेल रियल एस्टेट में अब सिर्फ लोकेशन ही नहीं, बल्कि क्वालिटी, मैनेजमेंट और अनुभव सबसे बड़ा फैक्टर बन चुका है. रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि कभी प्राइम माने जाने वाले इलाके भी गलत प्लानिंग के कारण घाटे का सौदा बन सकते हैं. इसलिए अगर आप भी बतौर इंवेस्‍टर इन मॉल्‍स में बनी दुकानों या शोरूम में पैसा लगाने की सोच रहे हैं तो इससे जुड़ी कुछ चौंकाने वाली बातें जान लीजिए.

उजड़ गए गुरुग्राम के ये मॉल्‍स

रिपोर्ट में गुरुग्राम की MG Road का उदाहरण दिया गया है, जिसे कभी “Mall Mile” कहा जाता था. इस एक इलाके में पांच बड़े शॉपिंग सेंटर्स खुल गए. नतीजा यह हुआ कि केवल सबसे बेहतर लोकेशन और मैनेजमेंट वाला मॉल ही टिक पाया, बाकी धीरे-धीरे पिछड़ते चले गए. MG Road के शुरुआती शॉपिंग सेंटर्स भी इसी कहानी का हिस्सा हैं. कभी ये गुरुग्राम की पहचान थे, लेकिन जैसे ही CyberHub और Golf Course Road पर नए और आधुनिक रिटेल डेस्टिनेशन उभरे, इन पुराने मॉल्स की चमक फीकी पड़ गई.

क्या होते हैं Ghost Shopping Centres?

रिपोर्ट के मुताबिक, Ghost Shopping Centres वो जगह है जहां कोई रिटेल या एक्टिविटी सेंटर मौजूद नहीं है.वहां सिर्फ खाली दुकानें हैं. कुल 1.55 करोड़ वर्ग फुट घोस्‍ट स्पेस में से 1.19 करोड़ वर्ग फुट Tier-1 शहरों में है, जबकि 36 लाख वर्ग फुट Tier-2 शहरों में है. यानी इससे पता चलता है कि मेट्राे सिटी भी इस संकट से अछूते नहीं हैं.

पुराने मॉल बन रहे हैं खाली ढांचे

Knight Frank की रिपोर्ट बताती है कि 2000 के शुरुआती वर्षों में बने कई मॉल अब वीरान बन चुके हैं. नए, बेहतर डिजाइन और प्रोफेशनली मैनेज्ड मॉल्स के सामने ये टिक नहीं पाए. Tier-2 शहरों में समस्या और जटिल है. यहां कमजोर ब्रांड पाइपलाइन, मजबूत एंकर स्टोर्स की कमी और ऑपरेशनल दिक्कतों के चलते यहां ये टिक नहीं पाएं. हालांकि, इन शहरों में कंज्यूमर डिमांड और आकांक्षाएं अब भी मजबूत हैं, जिससे सही रणनीति के साथ इन मॉल्स को दोबारा चलाया जा सकता है.

दो हिस्‍सों में बंटा बाजार

रिपोर्ट के मुताबिक अब मॉल के चलने में क्‍वालिटी सबसे ज्‍यादा अहम है. इसलिए Grade A शॉपिंग सेंटर्स लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि लोअर ग्रेड एसेट्स किरायेदारों और ग्राहकों को रोक पाने में नाकाम हो रहे हैं. Knight Frank के मुताबिक, चुनौती यह है कि बाकी मॉल्स का क्या होगा. जैसे-जैसे Grade A सेंटर्स में जगह कम होती जा रही है, नजर अंडरपरफॉर्मिंग एसेट्स यानी Ghost मॉल्‍स पर जाएगी. ऐसे में इन सेक्टर में अगली ग्रोथ छुपी हो सकती है. इसलिए समझदारी और रणनीति के साथ इनमें निवेश को लेकर एंट्री लेनी चाहिए.

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मॉल और शॉपिंग सेंटर्स के फेल होने की वजह

गलत प्लानिंग और ओवरसप्लाई

कई मॉल ऐसे इलाकों में बना दिए गए, जहां पर्याप्त ग्राहक ही नहीं थे या पहले से ही ज्यादा मॉल मौजूद थे.

पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर और मेंटेनेंस की कमी

2000 के दशक के कई मॉल समय के साथ खुद को अपडेट नहीं कर पाए. नए चमकदार कॉम्प्लेक्स आने के बाद ग्राहक पुराने मॉल्स से दूर होते चले गए.

ई-कॉमर्स का ट्रेंड

पिछले एक दशक में ई-कॉमर्स के तेज उभार ने मिड-टियर मॉल्स को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया. किताबें, म्यूजिक और बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कैटेगरी ऑनलाइन शिफ्ट हो गईं, जिससे फुटफॉल गिरता चला गया.