दुनिया Nvidia की कमाई देखती रह गई और RRP Semiconductor ने 69,238% रिटर्न से सबको दे दी मात; पर सवालों के घेरे में क्यों?

AI बूम में जहां Nvidia ने 20 महीनों में करीब 98 फीसदी रिटर्न दिया, वहीं भारत की एक कम जानी-पहचानी कंपनी RRP Semiconductor के शेयर 69,000 फीसदी तक उछल गए. लेकिन इस असाधारण तेजी के पीछे की हकीकत, कमजोर कारोबार और सेबी की बढ़ती निगरानी अब निवेशकों के लिए बड़ा सवाल खड़ा कर रही है.

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में अगर किसी एक कंपनी ने दुनिया भर के निवेशकों को सबसे ज्यादा कमाई कराई, तो वह Nvidia रही, और आज वह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है. लेकिन इसी AI उत्साह के बीच भारत के शेयर बाजार में एक ऐसी कंपनी भी उभरी, जिसने Nvidia जैसे दिग्गज को भी रिटर्न के मामले में बहुत पीछे छोड़ दिया. RRP Semiconductor Ltd. नाम की इस छोटी और कम जानी-पहचानी कंपनी के शेयरों ने करीब 20 महीनों में लगभग 69,000 फीसदी की चौंकाने वाली तेजी दिखाई. हालांकि, इस असाधारण रिटर्न के पीछे की हकीकत, कंपनी का कमजोर कारोबार और वित्तीय स्थिति अब निवेशकों के लिए एक गंभीर चेतावनी बनती नजर आ रही है.

सोशल मीडिया हाइप से ‘स्टार स्टॉक’ तक का सफर

RRP Semiconductor हाल तक भारत के शेयर बाजार में लगभग अनजान कंपनी थी. अप्रैल 2024 के आसपास इसके शेयर करीब 20 रुपये के स्तर पर थे. इसके बाद अचानक सोशल मीडिया पर इस शेयर को लेकर चर्चा शुरू हुई. AI, सेमीकंडक्टर और भारत के भविष्य जैसे बड़े-बड़े दावों के साथ निवेशकों को यह बताया जाने लगा कि यह कंपनी भारत के चिप मैन्युफैक्चरिंग सपने का हिस्सा बनने जा रही है. नतीजा यह हुआ कि शेयर में लगातार खरीदारी होती रही और करीब 149 ट्रेडिंग सेशंस तक इसमें अपर सर्किट लगता रहा.

महज 20 महीनों में इस शेयर ने 69,238 फीसदी की छलांग लगा दी और इसका मार्केट कैप करीब 1.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया. दुनिया भर में एक अरब डॉलर से ज्यादा वैल्यू वाली कंपनियों में यह सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाला शेयर बन गया. वहीं, अगर इस अवधी में Nvidia की बात करें तो कंपनी के शेयरों ने समान अवधी में 98 फीसदी का रिटर्न दिया.

असलियत: न कमाई, न मैन्युफैक्चरिंग

इतनी तेजी के पीछे अगर कंपनी के असली कारोबार को देखा जाए, तो तस्वीर बेहद कमजोर नजर आती है. RRP Semiconductor ने अपनी ताजा वित्तीय रिपोर्ट में नेगेटिव रेवेन्यू दिखाया है. सितंबर तिमाही में कंपनी ने 68.2 करोड़ रुपये का नकारात्मक रेवेन्यू और 71.5 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया.

कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग में साफ कहा है कि उसने अब तक किसी भी तरह की सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग शुरू नहीं की है. न ही उसने सरकार की किसी सेमीकंडक्टर योजना के तहत कोई आवेदन किया है. इसके बावजूद निवेशकों के बीच यह धारणा बन गई कि यह शेयर भारत के सेमीकंडक्टर बूम का बड़ा फायदा उठाएगा.

रियल एस्टेट से सेमीकंडक्टर तक का नाम बदलने का खेल

RRP Semiconductor का मौजूदा अवतार दरअसल 2024 की शुरुआत में सामने आया. कंपनी पहले रियल एस्टेट से जुड़ी गतिविधियों में थी. इसके प्रमोटर राजेंद्र चोडणकर ने एक डील के तहत G D Trading and Agencies Ltd. का अधिग्रहण किया और कंपनी का नाम बदलकर RRP Semiconductor रख दिया गया.

अप्रैल 2024 में बोर्ड ने कुछ शेयर 12 रुपये के भाव पर बेचने की मंजूरी दी, जो उस समय के बाजार भाव से करीब 40 फीसदी कम थे. इस सौदे के बाद चोडणकर की हिस्सेदारी बढ़कर 74.5 फीसदी हो गई, जबकि पुराने प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 2 फीसदी से भी नीचे आ गई.

चोडणकर ने फरवरी 2024 में एक निजी कंपनी RRP Electronics Pvt. Ltd. भी बनाई, जिसका मकसद महाराष्ट्र में सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग यूनिट लगाना बताया गया. यहीं से बाजार में भ्रम और बढ़ा. कई निवेशकों ने लिस्टेड RRP Semiconductor को इस निजी कंपनी से जोड़कर देखना शुरू कर दिया.

हालांकि एक्सचेंज फाइलिंग में साफ है कि RRP Semiconductor की RRP Electronics में कोई सीधी हिस्सेदारी नहीं है. दोनों कंपनियां सिर्फ इसलिए ‘रिलेटेड पार्टी’ हैं क्योंकि दोनों के मालिक चोडणकर हैं.

बहुत कम फ्री फ्लोट, इसलिए तेजी बेकाबू

इस शेयर में आई बेतहाशा तेजी की एक बड़ी वजह इसका बेहद छोटा फ्री फ्लोट है. करीब 98 फीसदी शेयर चोडणकर और उनसे जुड़े कुछ लोगों के पास हैं. बाजार में ट्रेड के लिए बहुत कम शेयर उपलब्ध हैं. ऐसे में थोड़ी सी खरीदारी भी शेयर को तेजी से ऊपर ले जाती है.

विशेषज्ञ मानते हैं कि जब किसी शेयर में फ्री फ्लोट बहुत कम होता है और सोशल मीडिया से हाइप बनती है, तो कीमतें हकीकत से बहुत दूर निकल जाती हैं.

सेबी और एक्सचेंज की नजर

अब इस पूरे मामले पर नियामकों की नजर पड़ चुकी है. Bloomberg की रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी ने RRP Semiconductor के शेयरों में आई असामान्य तेजी की जांच शुरू कर दी है. वहीं, एक्सचेंज ने इस शेयर को हफ्ते में सिर्फ एक दिन ट्रेडिंग की इजाजत देने की सीमा में डाल दिया है.

अप्रैल 2025 में एक्सचेंज ने कंपनी के शेयर बिक्री प्रस्ताव को भी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. कंपनी ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी है और मामला अभी लंबित है.

RRP से जुड़ा एक और गंभीर मुद्दा इसके प्रमोटर ग्रुप का इतिहास है. सेबी ने सितंबर 2024 में बताया था कि कंपनी उस ग्रुप से जुड़ी है, जिस पर पहले 2017 में डीलिस्ट की गई Shree Vindhya Paper Mills के कारण 10 साल का बाजार प्रतिबंध लगाया गया था. बाद में एक्सचेंज ने माना कि आवेदन प्रक्रिया में उससे “आंतरिक चूक” हुई थी.

सेलेब्रिटी लिंक की अफवाहें

शेयर की तेजी के दौरान सोशल मीडिया पर यह भी अफवाह फैली कि कंपनी को क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का समर्थन है या उसे सरकार से सेमीकंडक्टर के लिए जमीन मिली है. कंपनी ने इन दावों को पूरी तरह खारिज किया और एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के खिलाफ पुलिस में शिकायत तक दर्ज कराई. नवंबर की एक फाइलिंग में कंपनी ने साफ कहा कि उसका किसी भी सेलेब्रिटी से कोई संबंध नहीं है.

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ऑर्डर कैंसिल और नेगेटिव रेवेन्यू की वजह

रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के नेगेटिव रेवेन्यू की वजह भी सामने आई है. नवंबर 2024 में Telecrown Infratech से 4,400 करोड़ रुपये का एक बड़ा ऑर्डर मिला था, लेकिन बाद में “कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े मतभेदों” के चलते यह ऑर्डर रद्द हो गया. इसके चलते कंपनी को पहले दर्ज की गई बिक्री को वापस लेना पड़ा, जिससे रेवेन्यू निगेटिव में चला गया.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.