सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, कहा- बिल्डर पर भी लगेगा वही ब्याज, जो वह खरीदारों से वसूलता है

सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि यदि बिल्डर खरीदार से देरी पर 18 फीसदी ब्याज वसूलता है, तो कब्जा देने में देरी की स्थिति में वही ब्याज दर बिल्डर पर भी लागू होगी. पहले NCDRC ने 9 फीसदी ब्याज तय किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अपर्याप्त मानते हुए 18 फीसदी कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट Image Credit: TV9 Bharatvarsh

Supreme Court Homebuyers relief: सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदने वालों को बड़ी राहत देते हुए फ्लैट/प्लॉट के हस्तांतरण में देरी पर बिल्डरों द्वारा दिए जाने वाले ब्याज की दर 9 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी प्रति वर्ष कर दी है. लाइव लॉ के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने कहा कि एक बिल्डर जो खरीदारों से देरी से भुगतान पर 18 फीसदी ब्याज वसूलता है, वह उपभोक्ता को समय पर कब्जा नहीं देने की स्थिति में उसी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “कानून का कोई सिद्धांत नहीं है कि बिल्डर द्वारा वसूला गया ब्याज कभी भी खरीदार को नहीं दिया जा सकता.”

यह महत्वपूर्ण फैसला जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ ने एक अपील पर सुनाया. इस मामले में अपीलकर्ता ने 2006 में ग्रेटर नोएडा में एक प्लॉट बुक किया था और 28 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया था, लेकिन मई 2018 तक उन्हें प्लॉट का कब्जा नहीं दिया गया. इस देरी के कारण उन्होंने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) में उपभोक्ता शिकायत दर्ज कराई थी.

NCDRC के 9 फीसदी के फैसले को अपर्याप्त माना

NCDRC ने अपने फैसले में बिल्डर को मूल राशि वापस करने के साथ-साथ 9 फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज देने का आदेश दिया था. हालांकि, अपीलकर्ता ने इस दर को अपर्याप्त बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इसे अपर्याप्त माना. पीठ ने कहा कि बिल्डर द्वारा खरीदार पर लगाए गए 18 फीसदी ब्याज को देखते हुए, न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों की मांग है कि बिल्डर पर भी देरी के लिए उसी दर से ब्याज लगाया जाए.

जिम्मेदारी से बचने की अनुमति नहीं

अदालत ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रतिवादी (बिल्डर) के आचरण को देखते हुए, उसे अपने डिफॉल्ट के लिए नाममात्र की जिम्मेदारी से बचने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जबकि उसने अपीलकर्ता द्वारा की गई चूक पर 18 फीसदी ब्याज वसूला था.

हालांकि, बिल्डर द्वारा ली गई ब्याज दर को खरीदार को देने की कोई सामान्य नियम की बात नहीं है, लेकिन इस मामले में, न्याय और निष्पक्षता की मांग है कि प्रतिवादी को 18 फीसदी ब्याज वसूलने के लिए उसी कठोरता का सामना करना चाहिए और उन परिणामों का सामना करना चाहिए जो अपीलकर्ता पर उसकी डिफॉल्ट के लिए लगाए गए थे.

बिल्डर को दो महीने में राशि वापस करने का आदेश

अंत में, पीठ ने NCDRC के आदेश में ब्याज की दर को संशोधित करते हुए कहा, “इसलिए, हम NCDRC द्वारा दी गई ब्याज दर को 9 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी प्रति वर्ष करते हैं, जबकि अन्य शर्तों को बरकरार रखते हैं. प्रतिवादी तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर अपीलकर्ता को देय राशि का भुगतान करेगा.”

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