बजाज के इस स्टॉक में आ सकता है 32 फीसदी का उछाल, जानें इसका टारगेट प्राइस
रिपोर्ट में कहा गया कि, बजाज के इस स्टॉक की AUM की मजबूत ग्रोथ जारी रहेगी, ऑपरेशनल कॉस्ट में कमी आने के आसार हैं, क्रेडिट कॉस्ट सामान्य होने की संभावना है, कंपनी की रिटर्न रेशियो स्थिर बने रह सकते हैं. इन्हीं कारणों से इसे "खरीदने" की सलाह दी गई है.

Bajaj Finance Stock: बजाज फाइनेंस लिमिटेड का शेयर एक दिन पहले 0.69 फीसदी चढ़कर 7,175.10 पर बंद हुआ, पिछले हफ्ते यह स्टॉक 4.12 फीसदी तक चढ़ा है और पिछले 6 महीने में यह 2.27 फीसदी टूटा है. लेकिन अब इस स्टॉक में 32 फीसदी के उछाल की संभावना है. ये हम नहीं मिरै और शेयर खान की रिपोर्ट कह रही है. चलिए आपको विस्तार से बताते हैं क्या है इसका टारगेट प्राइस?
रिपोर्ट ने बजाज फाइनेंस को लेकर अपनी राय जारी की और इसे बाय यानी खरीदने की सलाह दी है. रिपोर्ट में इसका टारगेट प्राइस 9,500 रुपये बताया है. फिलहाल इसका शेयर 7,175 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया कि, इसके AUM की मजबूत ग्रोथ जारी रहेगी, ऑपरेशनल कॉस्ट में कमी आने के आसार हैं, क्रेडिट कॉस्ट सामान्य होने की संभावना है, कंपनी की रिटर्न रेशियो स्थिर बने रह सकते हैं. इन्हीं कारणों से रिपोर्ट में इसे “खरीदने” की सलाह दी है.
क्या करती है कंपनी?
बजाज फाइनेंस एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी यानी NBFC है जो अपने कुल क्रेडिट शेयर को वित्त वर्ष 2029 तक 3.2%-3.5% तक बढ़ाने की योजना बना रही है, जो वित्त वर्ष 2025 के पहले छह महीने में 2.1% था. कंपनी साल 2029 तक अपने ग्राहकों की संख्या को 9.2 करोड़ से 20 करोड़ तक बढ़ाने और पर्सनल लोन, गोल्ड लोन, माइक्रो फाइनेंस और टू-व्हीलर लोन में अपना वर्चस्व बनाने का लक्ष्य रखा है.
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बजाज फाइनेंस को लेकर क्या है नजरिया
बजाज फाइनेंस को डायवर्स लोन पोर्टफोलियो का फायदा मिलेगा, कंपनी के पास अलग-अलग प्रकार के लोन का मजबूत पोर्टफोलियो है. बड़ा डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क है, इस मजबूत नेटवर्क से कंपनी को ग्राहकों तक पहुंचने में मदद मिलती है. कंपनी का मैनेजमेंट भी बढ़िया और दूरदर्शी है. कंपनी ने अपनी टेक्नोलॉजी और डिजिटल क्षमताओं में सुधार किया है.
कंपनी का मानना है कि वित्त वर्ष 2026 तक उसकी कमाई और संपत्ति की ग्रोथ बराबर हो सकती है. 2025 की दूसरी छमाही बेहतर हो सकती है.
बजाज फाइनेंस से जुड़े रिस्क
रिपोर्ट के मुताबिक, रिटेल लोन सेक्टर में बढ़ता कॉम्पिटिशन कंपनी के प्रदर्शन पर असर डाल सकती है. साथ ही लोन के NPA होने का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि कंपनी रिटेल अनसिक्योर्ड लोन यानी बिना गारंटी वाले लोन में डील करती है. वहीं अगर अर्थव्यवस्था धीमी होती है, तो यह ग्रोथ और एसेट क्वालिटी को प्रभावित कर सकता है. NBFC सेक्टर के लिए नए नियम भी चुनौती बन सकते हैं.
डिसक्लेमर– मनी9लाइव आपको किसी शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां सिर्फ जानकारी दी गई है. इंवेस्टमेंट से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्य लें.
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