Closing Bell: एक महीने में 3 फीसदी फिसला बाजार, 18 हजार करोड़ स्वाहा, इन तीन कारणों से आई गिरावट
शेयर मार्केट में जुलाई का महीना भारी उतार चढ़ाव का रहा. महीने की शुरुआत में जहां बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी करीब 6 महीने के टॉप पर पहुंच गए. वहीं, महीने आखिर में 3 फीसदी तक टूटकर करीब दो महीने के निचले स्तर पर आ गए हैं. वहीं, अगस्त की शुरुआत भी सुस्ती के साथ हुई है.

Share Market Closing Monthly Analysis: शेयर मार्केट के बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी अगस्त के पहले दिन आधा फीसदी से ज्यादा गिरावट के साथ बंद हुए. इस दौरान सेंसेक्स जहां 585.67 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 203 अंक लुढ़ककर बंद हुआ. जुलाई की शुरुआत में भारतीय बाजार में लिस्टेड कंपनियों को मार्केट कैप 46,235,985.57 रुपये था. 1 अगस्त को यह घटकर 44444252.27 रुपये रह गया. इस तरह एक महीने में मार्केट कैप में 17,91,733.3 करोड़ की गिरावट आई है. वहीं, निफ्टी इस दौरान 976.45 अंक यानी 3.82% फीसदी टूट चुका है और सेंसेक्स इस दौरान 3.70% की गिरावट के साथ 3,097.38 अंक टूट चुका है. इस तरह इसे प्रॉफिट बुकिंग का फेज भी माना जा सकता है.
इन तीन कारणों से बेयरिश ट्रेंड
भारतीय बाजार जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह के दौरान 6 महीने के शीर्ष पर पहुंच गया. इस दौरान रूस-यूक्रेन, इजराइल-ईरान और भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष, ट्रंप का टैरिफ, चीन-अमेरिका ट्रेड वार सहित तमाम तरह की बाधाएं भी आईं. लेकिन, इसके बाद भी बाजार ओवरऑल पॉजिटिव घरेलू फैक्टर्स पर राइड करते हुए इस ऊंचाई पर पहुंचा. इसके अलावा पिछले वर्ष के पैटर्न को देखते हुए निवेशकों ने इस बार प्रॉफिट वसूली भी की है. पिछले वर्ष सितंबर में बाजार टॉप पर पहुंचा, जिसके बाद लगातार भारी गिरावट का दौर चला. ऐसे में तमाम निवेशकों ने इस बार हायर हाई का इंतजार करने के बजाय एक सेफ जोन में प्रॉफिट बुकिंग की है.
1. लेकिन, अब निवेशकों को भारतीय बाजार ओवरवैल्यू नजर आने लगा है, क्योंकि कंपनियों के नतीजे उनके वैल्युएशन से मेल नहीं खा रहा है.
2. इसके अलावा लॉन्ग टर्म में FII का आउटफ्लो भी बना हुआ है. FII को अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान सहित अल्टरनेट एवेन्यूज पर अच्छे वैल्यूएशन पर मौके मिल रहे हैं. इसके अलावा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की वजह से भी FII भारत से दूर हो रहे हैं.
3. तीसरा कारण भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता है. बाजार मोटे तौर पर टैरिफ को लेकर जारी अनिश्चितता से डायरेक्शनल होने से बच रहा है. इसके अलावा चीन की तरफ से रेयर अर्थ मटेरियल पर लगाए बैन का असर भी इंडस्ट्री के आउटपुट को प्रभावित कर रहा है.
कैसा रहा सेंसेक्स-निफ्टी का प्रदर्शन?
सेंसेक्स-निफ्टी अगस्त के पहले दिन आधा फीसदी से ज्यादा लुढ़के हैं. हालांकि, निफ्टी अब भी 24400 के अहम सपोर्ट जोन से ऊपर बंद हुआ. इसी तरह सेंसेक्स 80,400 के सपोर्ट जोन से ऊपर बंद हुआ है. वहीं, ऊपर की तरफ सेंसेक्स 81,100 अंक पर बड़े रेजिस्टेंस जोन में है और निफ्टी के लिए 24,900 पर भारी रेजिस्टेंस बना हुआ है. सेंसेक्स शुक्रवार को 81,074.41 अंक पर ओपन हुआ. इसके बाद 81,317.51 अंक के इंट्रा डे हाई तक पहुंचा, यहां से फिसल कर 80,495.57 अंक के इंट्रा डे लो तक गया. दिन के आखिर में 0.72% की गिरावट के साथ 585.67 अंक टूटकर 80,599.91 अंक पर बंद हुआ. इसी तरह निफ्टी 24,734.90 अंक पर ओपन हुआ और 24,784.15 अंक के इंट्रा डे हाई तक पहुंचा, जहां से 24,535.05 के इंट्रा डे लो तक गिरा और 0.82% की गिरावट के साथ 203 अंक टूटकर 24,565.35 अंक पर बंद हुआ.
सेक्टोरल और ब्रॉड मार्केट का हाल
1 अगस्त को मार्केट ने ओपनिंग सेशन में पिछले दिनों की गिरावट से उबरते के लिए मजबूती का ट्रेंड दिखाया. खासकर FMCG और बैंकिंग स्टॉक्स ने मार्केट को सपोर्ट किया. लेकिन, ट्रंप के टैरिफ की चिंता के चलते Pharma, Metal, और Oil & Gas सेक्टर्स पर दबाव बना रहा. इसके अलावा India VIX में शुक्रवार को 3 फीसदी का उछाल आया, जो बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ने का संकेत देता है.
कैटेगरी | टॉप गेनर | % बदलाव | टॉप लूजर | % बदलाव |
---|---|---|---|---|
सेक्टर इंडेक्स | Nifty FMCG | +1.44% | Nifty Oil & Gas | −1.48% |
Nifty Financial Services 25/50 | +0.19% | Nifty Pharma | −1.31% | |
Nifty Media | +0.10% | Nifty Metal | −1.22% | |
ब्रॉड मार्केट इंडेक्स | Nifty 50 | +0.82% | Nifty Midcap Select | −1.10% |
Nifty Bank | +0.34% | Nifty Smallcap 100 | −1.05% | |
Nifty Financial Services | +0.20% | Nifty Midcap 50 | −0.95% |
क्या है एक्सपर्ट की राय?
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर का कहना है कि “भारतीय शेयर बाजार में दूसरे दिन भी गिरावट जारी रही. नए टैरिफ खतरे और पेनल्टी का दबाव भारत की वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर सकता है. बाजार को लेकर निवेशकों की धारणा और कमजोर हुई है. क्योंकि, FII ने अब डेरिवेटिव्स में दूसरी सबसे बड़ी नेट शॉर्ट पोजीशन बना ली है. वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितता के बीच बाजार नेगेटिव हो गया है.
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