कॉपर कराएगा कमाई, दाम में अभी और आएगी तेजी; MCX पर 1000 रुपये तक जा सकती हैं कीमतें

मोतीलाल ओसवाल ने कॉपर पर अपना बुलिश नजरिया कायम रखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में कॉपर के दाम और चढ़ सकते हैं MCX पर 1,000 रुपये और LME पर $11,000 तक पहुंचने की संभावना है. कॉपर की मांग अब केवल पारंपरिक उद्योगों तक सीमित नहीं है. डेटा सेंटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सेमीकंडक्टर्स में तेजी से बढ़ते निवेश ने कॉपर की खपत को और मजबूत किया है.

कॉपर में तेजी. Image Credit: Canva

Copper Price: कॉपर की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. इस महीने यह मेटल MCX पर करीब 9 फीसदी से ज्यादा उछलकर 950 रुपये और LME पर $10,300 तक पहुंच गया. तेजी का यह दौर सप्लाई शॉक्स और बढ़ती ग्लोबल मांग के चलते और आगे जारी रह सकता है. कॉपर पर मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट की रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट में कई अहम बातें सामने आई हैं.

सप्लाई में रुकावटें बनी बड़ी वजह

वैश्विक स्तर पर चुनौतियां

आंकड़ों से संकेत

ICSG डेटा के मुताबिक जुलाई 2025 में कॉपर में 57,000 टन का सरप्लस रहा, जबकि जून में 14,000 टन की कमी देखी गई थी. 2025 के लिए कॉपर सरप्लस 1.01 लाख टन का अनुमान है, जो 2024 के 4.01 लाख टन से काफी कम है. यह संकेत है कि सप्लाई और टाइट हो रही है.

मांग का नया सोर्स

कॉपर की मांग अब केवल पारंपरिक उद्योगों तक सीमित नहीं है. डेटा सेंटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सेमीकंडक्टर्स में तेजी से बढ़ते निवेश ने कॉपर की खपत को और मजबूत किया है.

आगे का रास्ता

मोतीलाल ओसवाल ने कॉपर पर अपना बुलिश नजरिया कायम रखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में कॉपर के दाम और चढ़ सकते हैं MCX पर 1,000 रुपये और LME पर $11,000 तक पहुंचने की संभावना है.

क्या है एक्सपर्ट की राय

इस पर Motilal Oswal Financial Services के हेड ऑफ कमोडिटी नवनीत दमानी का मानना है कि इस साल कॉपर यानी तांबे की कीमतों में करीब 20 फीसदी की तेजी देखी गई है. वजह है, सप्लाई कम होना और डिमांड लगातार बढ़ना. दुनियाभर में एनर्जी ट्रांजिशन, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs), ग्रिड अपग्रेड, रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स और अब तेजी से बढ़ते AI डेटा सेंटर्स – इन सबके लिए तांबे की खपत बहुत ज्यादा होती है. इसके साथ ही सप्लाई की स्थिति और भी तंग हो गई है. हाल ही में इंडोनेशिया की फ्रीपोर्ट ग्रासबर्ग माइन में कीचड़ बहाव की घटना हुई, जिससे दुनिया की कुल कॉपर सप्लाई का लगभग 4 फीसदी प्रभावित हुआ. अकेले इसी वजह से 2025 में करीब 2.5 लाख टन उत्पादन कम हो जाएगा. इसके अलावा, रिफाइनिंग की दिक्कतें और कॉपर कॉन्संट्रेट की कमी के कारण नई खदानों से निकलने वाला कॉपर भी तुरंत मार्केट में उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इन परिस्थितियों की वजह से कॉपर का स्टॉक कई सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. ये 5 साल के औसत से भी नीचे है.