अक्टूबर में थोड़े विराम के बाद FPIs ने फिर शुरू की बिकवाली, नवंबर में अब तक 12,569 करोड़ रुपये निकाले
अक्टूबर में खरीदारी के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नवंबर में फिर से बिकवाली शुरू की है और अब तक 12,569 करोड़ रुपये निकाले हैं. कमजोर वैश्विक संकेत, एआई बाजारों की ओर रुझान और जोखिम से बचाव की प्रवृत्ति ने भारत में पूंजी प्रवाह घटाया है, हालांकि आगे स्थिति सुधर सकती है.
अक्टूबर में थोड़े विराम के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी FPIs ने नवंबर की शुरुआत से एक बार फिर भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाली शुरू कर दी है. नवंबर में अब तक एफपीआई ने भारतीय इक्विटी बाजारों से कुल 12,569 करोड़ रुपये की निकासी की है. कमजोर वैश्विक संकेतों और निवेशकों की जोखिम से बचने की प्रवृत्ति के चलते विदेशी निवेशक एक बार फिर पूंजी निकाल रहे हैं.
किस महीने कितने रुपये निकाले
डिपॉजिटरी डेटा के मुताबिक अक्टूबर में एफपीआई ने 14,610 करोड़ रुपये का निवेश किया था. इससे पहले लगातार तीन महीनों तक विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली हुई थी. सितंबर में 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये की निकासी दर्ज की गई थी. अक्टूबर की राहत के बाद नवंबर में हर कारोबारी दिन बिकवाली का रुख देखने को मिला है, जिससे भारतीय बाजारों का प्रदर्शन अन्य वैश्विक बाजारों की तुलना में कमजोर रहा है.
ऐसे रुक सकती है बिकवाली
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि 2025 में एफपीआई की गतिविधियों की सबसे बड़ी विशेषता बाजारों में कैश फ्लो का असमान वितरण रहा है. हेज फंड्स भारत में निवेश घटा रहे हैं जबकि वे उन देशों में निवेश बढ़ा रहे हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित तेजी के प्रमुख लाभार्थी माने जा रहे हैं. इनमें अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे बाजार शामिल हैं. उनके अनुसार, इस समय भारत को एआई सेक्टर में पिछड़ने वाले बाजार के रूप में देखा जा रहा है और यही धारणा विदेशी निवेश रणनीतियों को प्रभावित कर रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि एआई से जुड़ी कंपनियों के वैल्युएशन अब काफी ऊंचे हो गए हैं और यदि वैश्विक टेक स्टॉक्स में संभावित बुलबुले का खतरा बढ़ा तो भारत में लगातार बिकवाली की संभावना सीमित हो सकती है. उन्होंने कहा कि अगर भारतीय कंपनियों की आय में सुधार जारी रहा और निवेशकों की धारणा बदली तो एफपीआई आने वाले महीनों में दोबारा खरीदार की भूमिका में लौट सकते हैं.
क्या हैं प्रमुख कारण
एंजल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट वकारजावेद खान ने कहा कि नवंबर के पहले सप्ताह में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 12,569 करोड़ रुपये की बिक्री की है. इसका प्रमुख कारण एशियाई और अन्य वैश्विक बाजारों में प्रौद्योगिकी शेयरों में आई व्यापक बिकवाली रही है. उन्होंने बताया कि भारत की कंपनियों के दूसरी तिमाही (Q2 FY26) के नतीजे उम्मीद से थोड़ा बेहतर रहे हैं, खासकर मिडकैप सेगमेंट में, लेकिन वैश्विक दबाव और ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता के चलते विदेशी निवेशक अभी सतर्क रुख बनाए रखेंगे. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे तिमाही नतीजों का दौर आगे बढ़ेगा, कुछ चुनिंदा सेक्टरों और शेयरों में पूंजी प्रवाह फिर से सकारात्मक हो सकता है. 2025 में अब तक एफपीआई भारतीय बाजारों से कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर चुके हैं.
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