रेलवे से लेकर पावर और ग्रीन एनर्जी तक, इस एक इंडस्ट्री के बिना अधूरी है हर कहानी, रडार में रखें ये 3 केबल स्टॉक्स

देश में इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश की रफ्तार जिस दिशा में बढ़ रही है, वहां एक ऐसी इंडस्ट्री है जो हर बड़े प्रोजेक्ट की रीढ़ मानी जाती है. इसी से जुड़ा एक संकेत कुछ चुनिंदा शेयरों को आने वाले समय में बाजार की नजर में ला सकता है.

केबल स्टॉक Image Credit: Money9 Live

Wire Stock: भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ा निवेश चक्र एक बार फिर रफ्तार पकड़ रहा है. रेलवे, पावर ट्रांसमिशन, ग्रीन एनर्जी, ईवी चार्जिंग और घरेलू विद्युतीकरण जैसे क्षेत्रों में सरकारी और निजी पूंजी खर्च लगातार बढ़ रहा है. शेयर बाजार में इसका सीधा फायदा उन कंपनियों को मिला है, जिनके नाम पहले से पहचाने जाते हैं. लेकिन बीती कहानियां बताती हैं कि हर इन्फ्रास्ट्रक्चर बूम में सबसे बड़े रिटर्न अक्सर उन कंपनियों से आते हैं, जो सुर्खियों से थोड़ा नीचे होती हैं. केबल और वायर सेक्टर इस वक्त इसी मोड़ पर खड़ा है.

शुरुआती दौर में बाजार ने Polycab और KEI जैसे बड़े नामों पर दांव लगाया. इन कंपनियों के शेयरों में पहले ही अच्छा रिटर्न दिख चुका है और उनकी वैल्यूएशन भी उसी हिसाब से बढ़ गई है. लेकिन अब सेक्टर उस स्टेज में पहुंच चुका है, जहां अगला बड़ा मौका मिड और स्मॉल साइज कंपनियों में छिपा हो सकता है. खास बात यह है कि यहां कहानी किसी टर्नअराउंड या शॉर्ट टर्म मोमेंटम की नहीं, बल्कि ऑपरेटिंग लीवरेज की है.

क्यों अहम है ऑपरेटिंग लीवरेज

अक्सर केबल कंपनियों को कमोडिटी बिजनेस मान लिया जाता है, जहां तांबे या एल्युमिनियम के दाम बढ़ते ही मार्जिन दबाव में आ जाते हैं. लेकिन हकीकत इससे अलग है. इस सेक्टर में मुनाफा तब तेजी से बढ़ता है, जब कैपेसिटी का इस्तेमाल बढ़ता है और फिक्स्ड लागत बड़ी मात्रा में बिकने वाले वॉल्यूम में बंट जाती है. हाई कैपेक्स माहौल में कीमत से ज्यादा मायने वॉल्यूम का होता है. यहीं पर छोटी कंपनियों की कमाई में अचानक बड़ा उछाल देखने को मिलता है.

Dynamic Cables

डायनामिक केबल्स आम निवेशकों की चर्चा में कम ही आती है, लेकिन कंपनी का काम सीधे देश की इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरतों से जुड़ा है. यह लो और हाई टेंशन पावर केबल बनाती है, जिनका इस्तेमाल पावर ट्रांसमिशन, सबस्टेशन, रिन्यूएबल एनर्जी, रेलवे और इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स में होता है.

FY25 में कंपनी का रेवेन्यू करीब 1,025 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के मुकाबले 33 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त दिखाता है. मुनाफे में भी मजबूत सुधार देखने को मिला है. सबसे अहम बात यह है कि कंपनी की यूटिलिटी कैपेसिटी करीब 85 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. ऐसे में मामूली डिमांड बढ़ने पर भी मुनाफे में तेज उछाल आ सकता है.

जुलाई 2022 में लिस्ट हुई कंपनी के शेयरों ने निवेशकों को अबतक 376 फीसदी तक का रिटर्न दे दिया है. बीते बुधवार कंपनी के शेयर 341 रुपये पर बंद हुए.

Universal Cables

यूनिवर्सल केबल्स का फोकस घरेलू रिटेल वायरिंग पर नहीं, बल्कि बड़े प्रोजेक्ट्स पर है. रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन, माइनिंग, एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज केबल और इंडस्ट्रियल सिस्टम्स इसकी ताकत हैं. MP बिड़ला ग्रुप से जुड़ी इस कंपनी को भारत के संगठित कैपेक्स पाइपलाइन का सीधा फायदा मिलता है.

FY25 में कंपनी का रेवेन्यू करीब 2,407 करोड़ रुपये रहा. हालांकि मुनाफा सेक्टर साइकिल के कारण उतार-चढ़ाव वाला रहा है. अच्छी बात यह है कि जैसे-जैसे प्रोजेक्ट एग्जीक्यूशन सुधरेगा और क्षमता उपयोग बढ़ेगा, कमाई में स्थिरता लौट सकती है. यह स्टॉक किसी ग्लैमर स्टोरी से ज्यादा साइकिल नॉर्मलाइजेशन की कहानी है.

कंपनी ने बीते पांच वर्षों में 530 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है. बीते कारोबारी दिन इसके शेयर 889 रुपये पर बंद हुए.

Paramount Communications

पैरामाउंट कम्युनिकेशंस इन तीनों में सबसे छोटा और सबसे कम पहचाना हुआ नाम है. कंपनी रेलवे सिग्नलिंग, पावर, डिफेंस और एक्सपोर्ट से जुड़े केबल बनाती है. FY25 में इसका रेवेन्यू करीब 1,574 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल में लगभग 47 प्रतिशत की बढ़त दिखाता है.

मुनाफे में हालिया तिमाही में दबाव जरूर दिखा, लेकिन लंबे समय में कंपनी ने कम बेस से तेज ग्रोथ दर्ज की है. इसकी वैल्यूएशन भी सेक्टर औसत से काफी नीचे है, जो रिस्क के साथ-साथ बड़ा अपसाइड भी दिखाती है.

37 रुपये के इस पेनी स्टॉक ने निवेशकों कोपांच वर्षों में 410 फीसदी का मजेदार रिटर्न दिया.

तीनों को जोड़ने वाली कड़ी

डायनामिक, यूनिवर्सल और पैरामाउंट तीनों अलग-अलग सेगमेंट में काम करती हैं, लेकिन एक बात समान है. ये सभी उस स्टेज पर हैं, जहां वॉल्यूम बढ़ते ही कमाई का स्ट्रक्चर बदल सकता है. ये कंपनियां कीमतों पर नहीं, बल्कि क्षमता उपयोग और स्केल पर खेल रही हैं. यही वह जगह है, जहां से कई बार मल्टीबैगर निकलते हैं.

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केबल सेक्टर साइक्लिकल है. तांबे और एल्युमिनियम की कीमतों में उतार-चढ़ाव से मार्जिन पर असर पड़ सकता है. छोटी कंपनियों के लिए वर्किंग कैपिटल का दबाव भी एक चुनौती है. इसके अलावा, अगर इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च की रफ्तार धीमी पड़ती है, तो शेयरों में करेक्शन तेज हो सकता है.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.

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