IDBI बैंक में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री की तैयारियां तेज! कोटक, एमिरेट्स या फेयरफैक्स, दावेदारी में कौन है आगे?
सरकार की एक अहम वित्तीय चाल ने बैंकिंग सेक्टर में हलचल मचा दी है. बड़े घरेलू और विदेशी खिलाड़ी चुपचाप सक्रिय हैं, और दांव पर है हजारों करोड़ का नियंत्रण. यह कहानी बताएगी कि किस दिग्गज की नजर इस मौके पर है और आगे तस्वीर कैसे बदल सकती है.
IDBI Bank privatization: मुंबई स्थित IDBI बैंक में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री एक बार फिर सुर्खियों में है. करीब 7.1 अरब डॉलर वैल्यू वाली 60.72 फीसदी हिस्सेदारी के लिए जल्द ही बोली प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है. बैंक के खराब दौर से उभरने और लगातार बेहतर वित्तीय प्रदर्शन के चलते यह डील भारतीय बैंकिंग सेक्टर की सबसे बड़ी निजीकरण पहल के रूप में देखी जा रही है. सरकार और LIC कुल 95 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं, जिनमें से लगभग समान अनुपात में हिस्सेदारी बेची जाएगी और प्रबंधन नियंत्रण भी नए खरीदार को सौंपा जाएगा. इन खबरों के बीच कंपनी के शेयर सुबह 11.30 बजे हरे निशान पर ट्रेड करते हुए 97.76 रुपये पर बने हुए है.
बोली प्रक्रिया के करीब पहुंची सरकार
ईटी ने अपने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया है कि, संभावित खरीदारों के साथ बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है और एक सरकारी एजेंसी इस महीने बोली प्रक्रिया आधिकारिक रूप से खोल सकती है. वित्त राज्य मंत्री के अनुसार, शॉर्टलिस्टेड बोलीकर्ता वर्तमान में ड्यू डिलिजेंस यानी विस्तृत जांच-पड़ताल कर रहे हैं. सरकार पहले भी इस बिक्री को पूरा करने की समयसीमा से चूक चुकी है, लेकिन अब लक्ष्य है कि इसे मार्च 2026 के भीतर पूरा कर लिया जाए.
पहले भारी NPA से जूझ रहे आईडीबीआई बैंक ने पिछले वर्षों में आक्रामक रिकवरी और सरकारी पूंजी मदद से खुद को खड़ा किया है. खराब लोन में तेज गिरावट और लाभप्रदता की वापसी ने इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाया. शेयरों में इस साल 30 फीसदी की बढ़त से बाजार पूंजी 1 ट्रिलियन रुपये से ऊपर पहुंच चुकी है.
कोटक, फेयरफैक्स और एमिरेट्स NBD मुख्य दावेदार
रिपोर्ट के मुताबिक, कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड इस सौदे का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है. हालांकि बैंक ने संकेत दिया है कि वह ओवरप्राइस्ड डील के पीछे नहीं भागेगा. ग्लोबल ब्रोकरेज जेफरीज का कहना है कि यह डील कोटक के विस्तार को छलांग दे सकती है, लेकिन अगर सरकार नकद भुगतान पर जोर देती है तो इससे पूंजी पर दबाव पड़ सकता है. कनाडाई निवेशक प्रेम वत्सा की कंपनी फेयरफैक्स भी दौड़ में है. वह पहले से ही भारत में सक्रिय निवेशक है. इसी तरह दुबई स्थित एमिरेट्स एनबीडी, जिसने हाल ही में आरबीएल बैंक में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी है, आईडीबीआई में भी रुचि दिखा चुका है.
2022 में सरकार लगभग 64,000 करोड़ रुपये का मूल्यांकन चाहती थी. लेकिन लगातार बढ़ते शेयर मूल्य के चलते यह स्तर बहुत पीछे छूट गया है. बाजार अब बैंक की संभावित बिक्री और उसके बाद सुधार की उम्मीदों को कीमत में शामिल कर रहा है.
अनुमतियां सौदे में देरी करा सकती हैं
भले ही उम्मीद है कि अगले मार्च तक विजेता बोलीदाता सामने आ जाएगा, लेकिन नियामकीय मंजूरियों और अन्य प्रक्रियाओं की वजह से डील पूरी होने में समय लग सकता है. वित्त मंत्रालय, LIC और बैंक की ओर से इस प्रक्रिया पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है.
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आईडीबीआई बैंक का यह निजीकरण सरकार की व्यापक विनिवेश योजना का अहम हिस्सा है. सफल बोली न केवल सरकार के लिए बड़ी रेवेन्यू जुटाने का साधन होगी, बल्कि बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा और निजी दक्षता को भी नया आयाम दे सकती है. अगले कुछ महीने तय करेंगे कि यह सौदा किस दिशा में जाता है और भारत की मजबूर निजीकरण नीति कितनी असरदार साबित होती है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.ॉ
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