रिलायंस इंडस्ट्रीज पर कायम Morgan Stanley का भरोसा, टारगेट प्राइस ₹1701 से बढ़ाकर किया ₹1847, जानें क्यों भागेगा स्टॉक!
ग्लोबल ब्रोकरेज मॉर्गन स्टैनली ने रिलायंस इंडस्ट्रीज पर भरोसा और मजबूत करते हुए टारगेट प्राइस बढ़ाया है. ब्रोकरेज ने रिफाइनिंग, टेलीकॉम, रिटेल और एआई जैसे बिजनेस सेगमेंट्स में मजबूत कैश फ्लो और नई ग्रोथ थीम्स के चलते स्टॉक में री-रेटिंग की संभावना जताई है. आइये जानते है कि ब्रोकरेज ने क्या टारगेट प्राइस दिया है.
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली ने 16 दिसंबर को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) पर अपना नजरिया और मजबूत किया है. ब्रोकरेज ने कंपनी के लिए टारगेट प्राइस को 1,701 रुपये से बढ़ाकर 1,847 रुपये कर दिया है. मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, रिलायंस के बिजनेस मॉडल में कैश फ्लो की क्वालिटी में लगातार सुधार हो रहा है, जिसे वह ‘Monetisation 4.0’ थीम के तहत देख रहा है.
शेयर का हाल
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर बुधवार दोपहर 12:50 बजे करीब 1,541.90 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहे थे. इसका 52 हफ्तों का हाई 1,580.90 रुपये और लो 1,115.55 रुपये रहा है.

सोर्स: Groww
क्या है ब्रोकरेज की राय
ब्रोकरेज का मानना है कि 2026 में हर तिमाही रिलायंस के लिए री-रेटिंग और अर्निंग्स अपग्रेड देखने को मिल सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, Q1 FY26 में रिफाइनिंग अपसाइकिल, Q2 FY26 में टेलीकॉम में ARPU बढ़ोतरी और रिटेल टॉपलाइन ग्रोथ, Q3 FY26 में न्यू एनर्जी बिजनेस का रैंप-अप, और Q4 FY26 में केमिकल्स सेगमेंट में कॉन्फिडेंस की वापसी जैसे ट्रिगर्स कंपनी के प्रदर्शन को सपोर्ट करेंगे. मॉर्गन स्टैनली ने यह भी कहा है कि रिलायंस के AI डेटा सेंटर कैपेसिटी को लेकर अमेरिकी हाइपरस्केलर्स की अंडरराइटिंग से कंपनी के नेट एसेट वैल्यू (NAV) में होने वाली बढ़ोतरी पर निवेशकों का भरोसा और मजबूत हो सकता है. इससे आने वाले वर्षों में AI निवेश से बेहतर वैल्यू क्रिएशन की उम्मीद है.
इस समय ‘गोल्डन एज’ में है रिफाइनिंग सेक्टर
रिपोर्ट में खास तौर पर फ्यूल रिफाइनिंग बिजनेस को रिलायंस का सबसे कम आंका गया लेकिन सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाला वर्टिकल बताया गया है. मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, ग्लोबल स्तर पर रिफाइनिंग सेक्टर इस समय एक ‘गोल्डन एज’ में है, जिससे रिलायंस को 7 से 10 अरब डॉलर तक की NAV क्रिएशन का फायदा हो सकता है. मौजूदा समय में रिलायंस के फ्यूल रिफाइनिंग मार्जिन करीब 14 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं, जो मिड-साइकिल लेवल से लगभग 1.5 गुना ज्यादा हैं. यह ट्रेंड 2026 तक जारी रहने की उम्मीद जताई गई है.
ब्रोकरेज का कहना है कि दुनिया भर में नए रिफाइनिंग कैपेसिटी में कम निवेश और मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर में बार-बार आने वाली दिक्कतों के चलते डीजल मार्जिन में 30% से ज्यादा की तेजी आई है. इससे FY27 और FY28 के लिए रिलायंस की कमाई में 5–7% तक का अपसाइड रिस्क बनता है.
टेलीकॉम बिजनेस
टेलीकॉम बिजनेस में भी मजबूत कैश फ्लो की उम्मीद जताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, FY26 से FY28 के बीच ARPU करीब 9% CAGR से बढ़ सकता है. ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर ग्रोथ, 4G से 5G की ओर शिफ्ट और Gemini 3 AI ऑफरिंग से कंपनी को फायदा मिलने की संभावना है जबकि कैपिटल इंटेंसिटी में लगभग आधी कमी आ सकती है.
पीयर ग्रुप के मुकाबले 60% डिस्काउंट पर ट्रेड
मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि रिलायंस के मौजूदा वर्टिकल्स की वैल्यू पहले से ही मिड-साइकिल अर्निंग्स पर प्राइस की जा चुकी है, लेकिन नई ग्रोथ थीम्स और मोनेटाइजेशन साइकल को बाजार अब भी पूरी तरह नहीं आंक रहा है. ब्रोकरेज के अनुसार, रिलायंस अपने पीयर ग्रुप के मुकाबले 60% से ज्यादा डिस्काउंट पर ट्रेड कर रही है.
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