मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल ने SEBI के साथ मामला निपटाया, 34.85 लाख रुपये में हुआ सेटलमेंट
नियामक ने आरोप लगाया कि ब्रोकरेज ने ग्राहक के ऑर्डर निर्देशों का उचित रिकॉर्ड न रखकर और ऑर्डर एग्जीक्यूट होने के बाद सपोर्टिग डॉक्यूमेंट्स बनाने का प्रयास करके उचित स्किल और सावधानी नहीं बरती. नियामक ने कहा कि इस साल फरवरी में एक ब्रोकर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.
सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने चतुर्वेदी ग्रुप द्वारा एक बड़े ग्राहक के ट्रेड में संदिग्ध फ्रंट-रनिंग से जुड़े मामले में मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खिलाफ कार्यवाही का सेटलमेंट कर दिया है. ब्रोकर ने सेटलमेंट शुल्क के रूप में 34.85 लाख रुपये का भुगतान किया. नियामक ने आरोप लगाया कि ब्रोकरेज ने ग्राहक के ऑर्डर निर्देशों का उचित रिकॉर्ड न रखकर और ऑर्डर एग्जीक्यूट होने के बाद सपोर्टिग डॉक्यूमेंट्स बनाने का प्रयास करके उचित स्किल और सावधानी नहीं बरती. नियामक ने कहा कि इस साल फरवरी में एक ब्रोकर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.
सेटलमेंट का रास्ता चुना
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक बयान में कहा, ‘सेबी का सेटलमेंट आदेश हमारे एक अधिकृत साझेदार (AP) ओम सिक्योरिटीज की संलिप्तता और रिकॉर्ड न रखने से संबंधित है. हमें सेटलमेंट का रास्ता चुनना पड़ा और अब मामला सुलझ गया है.’
क्या था पूरा मामला?
सेटलमेंट ऑर्डर के अनुसार, सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने यह पता लगाने के लिए जांच की थी कि क्या 1 जनवरी 2022 से 8 दिसंबर 2023 की अवधि के दौरान किसी संस्था (यानी बड़े ग्राहक) के व्यापार को कुछ संस्थाओं यानी चतुर्वेदी समूह द्वारा फ्रंट रन किया गया था.
आरोप और सेटलमेंट
20 फरवरी 2025 को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. नोटिस में यह आरोप लगाया गया था कि आवेदक ग्राहक के आदेश निर्देशों का प्रूफ न रखकर और बाद की तारीख में यानी ग्राहक के आदेशों के एग्जीक्यूशन के बाद सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट बनाने की कोशिश करके रजिस्टर्ड ब्रोकर के रूप में अपने आचरण के प्रति उचित स्किल और देखभाल का प्रयोग करने में असफल रहा. आवेदक को नोटिस के जरिए कारण बताने के लिए कहा गया था.
कार्यवाही लंबित रहने तक आवेदक ने 13 मार्च 2025 के पत्र के माध्यम से तथ्यों के निष्कर्षों और कानून के निष्कर्षों को स्वीकार या अस्वीकार किए बिना, एक सेटलमेंट आदेश के जरिए अपने विरुद्ध शुरू की गई तत्काल कार्यवाही का निपटारा करने का प्रस्ताव रखा.