लीगल केस पर अरबों खर्च कर रहे हैं कॉरपोरेट, Reliance Sun Pharma सबसे आगे, क्रॉस बॉर्डर डील बढ़ा रहे टेंशन
FY25 में भारत की बड़ी कंपनियों का कानूनी खर्च 62146 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. Reliance, Sun Pharma, Coforge, Infosys और L&T शीर्ष पांच खर्च करने वाली कंपनियां रही. बढ़ते क्रॉस-बॉर्डर डील्स, लिटिगेशन और कंप्लायंस लागत मुख्य कारण हैं. फार्मा, आईटी, फाइनेंस, ऑयल एंड गैस और कैपिटल गुड्स सेक्टर सबसे अधिक खर्च कर रहे हैं.

Corporate Legal Spending: भारत की बड़ी कंपनियों का कानूनी खर्च वित्त वर्ष 2025 में 62146 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. Reliance Industries, Sun Pharmaceutical, Coforge, Infosys और Larsen & Toubro शीर्ष पांच खर्च करने वाली कंपनियां रही. बढ़ते क्रॉस बॉर्डर डील्स, विवाद समाधान और बढ़ती कंप्लायंस कास्ट इस बढ़ोतरी के मुख्य कारण रहे. बदलते समय के साथ कानूनी खर्च अब ट्रेड का अनिवार्य हिस्सा बन गया है और यह आने वाले सालों में और बढ़ने की उम्मीद है.
क्यों बढ़ा कानूनी खर्च
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों ने लिटिगेशन, आर्बिट्रेशन, प्रोफेशनल फीस, रेगुलेटरी फाइलिंग, पेनाल्टी और स्टाम्प ड्यूटी पर भारी खर्च किया. बढ़ती कॉर्पोरेट एक्टिविटी और कानूनों का पालन कानूनी खर्च को बढ़ाने का मुख्य कारण हैं.
शीर्ष पांच कंपनियां
FY25 में सबसे अधिक कानूनी खर्च करने वाली कंपनियां रही Reliance Industries 3459 करोड़, Sun Pharma 3261 करोड़, Coforge 1664 करोड़, Infosys 1655 करोड़ और L&T 1615 करोड़. ये कंपनियां कुल कानूनी खर्च का बड़ा हिस्सा संभालती हैं.
कंपनी का नाम | कानूनी खर्च (₹ करोड़) |
---|---|
Reliance Industries | 3,459 |
Sun Pharma | 3,261 |
Coforge | 1,664 |
Infosys | 1,655 |
L&T | 1,615 |
टॉप 5 सेक्टर
कानूनी खर्च के मामले में सबसे ज्यादा खर्च करने वाले सेक्टर हैं, फार्मास्यूटिकल्स 10,778 करोड़, IT 19,320 करोड़, फाइनेंस 4,625 करोड़, ऑयल एंड गैस 14,136 करोड़ और कैपिटल गुड्स 3,870 करोड़. इन सेक्टरों में हाई रेगुलेटरी रिस्क होने की वजह से कानूनी खर्च अधिक होता है.
सेक्टर | कानूनी खर्च (₹ करोड़) |
---|---|
फार्मास्यूटिकल्स | 10,778 |
IT | 19,320 |
फाइनेंस | 4,625 |
ऑयल एंड गैस | 14,136 |
कैपिटल गुड्स | 3,870 |
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टोटल रिवेन्यू का कितना खर्च
FY25 में Nifty 500 कंपनियों का कुल कानूनी खर्च उनके कुल रिवेन्यू का केवल 0.29 फीसदी रहा. कुल रिवेन्यू 1,57,13,552 करोड़ और कुल मुनाफा 15,66,345 करोड़ रहा. इसका मतलब है कि खर्च बड़ा दिखाई देता है लेकिन रिवेन्यू के मुकाबले यह मामूली हिस्सा है.
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