ड्रोन-रडार बनाने के लिए नई कंपनी को मिला सरकारी लाइसेंस, खबर के बाद 4% उछला ये मल्टीबैगर स्टॉक
इस मल्टीबैगर डिफेंस कंपनी को सरकार से 15 साल का इंडस्ट्रियल लाइसेंस मिला है, जिसके बाद इसके शेयरों में 4 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखी गई. यह लाइसेंस कंपनी को ड्रोन (UAS), इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और एडवांस्ड रडार इक्विपमेंट बनाने की अनुमति देता है, जिससे उसके डिफेंस प्रोजेक्ट में बड़ी तेजी आने की उम्मीद है. कंपनी ने पिछले कुछ समय में दमदार रिटर्न भी दिया है.
Apollo Micro Systems DPIIT License Approval: भारत की मल्टीबैगर डिफेंस कंपनियों में से एक Apollo Micro Systems ने मंगलवार, 2 दिसंबर को शेयर बाजार में शानदार प्रदर्शन किया. कंपनी के शेयरों में 4 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिली और यह बीएसई पर 281 रुपये के दिन के उच्च स्तर तक पहुंच गया. निवेशकों की इस बढ़ी हुई दिलचस्पी के पीछे कारण था कंपनी को मिला एक बड़ा सरकारी लाइसेंस, जो भविष्य में उसकी डिफेंस से जुड़ी प्रोजेक्ट को नई दिशा दे सकता है.
क्या है लाइसेंस अपडेट?
सोमवार, 1 दिसंबर को कंपनी को केंद्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत डीपीआईआईटी (DPIIT) से एक अहम इंडस्ट्रियल लाइसेंस मिला. इस लाइसेंस के तहत कंपनी को एडवांस्ड और मार्डन डिफेंस इक्विपमेंट के प्रोडक्शन की अनुमति दी गई है. हैदराबाद स्थित इसका नया प्लांट अब इन तकनीकों का बड़े पैमाने पर निर्माण कर सकेगा. यह मंजूरी अपोलो माइक्रो सिस्टम्स के लिए एक बड़े पड़ाव के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि इससे कंपनी डिफेंस इंडस्ट्री में और गहराई से एंट्री कर सकेगी.

बाजार में स्टॉक ने कैसे रिएक्ट किया?
मार्केट में भी इस कदम का तुरंत असर देखने को मिला. लाइसेंस की घोषणा के बाद कंपनी के शेयर में करीब 4.50 फीसदी की तेजी आई और स्टॉक 280.15 रुपये के साथ बंद हुआ. निवेशकों ने इसे कंपनी के लंबे समय के विकास और संभावित प्रोजेक्ट पाइपलाइन के लिए एक बड़ा पॉजिटिव संकेत माना है. इससे इतर, कंपनी ने लॉन्ग टर्म में भी निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है. पिछले 3 महीने में 4.56 फीसदी वहीं, 6 महीने के दौरान स्टॉक का भाव 48 फीसदी तक बढ़ा है. सालभर में कंपनी के शेयरों में 180 फीसदी तक की तेजी आई है. 5 साल में यह बढ़कर 2293 फीसदी पर पहुंच जाता है. कंपनी का मार्केट कैप 9,510 करोड़ रुपये दर्ज किया गया.
लाइसेंस में शामिल हैं तीन अहम डिफेंस कैटेगरीज
कंपनी को 15 साल के लिए मिला यह लाइसेंस निम्नलिखित प्रमुख रक्षा तकनीकों के निर्माण की अनुमति देता है-
अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स (UAS)- ड्रोन और अनमैन्ड हेलिकॉप्टर
अब कंपनी अपने हैदराबाद स्थित प्लांट में अनमैन्ड हेलिकॉप्टर, लॉजिस्टिक्स/डिलीवरी ड्रोन और अटैक-क्लास (ऑफेंसिव) ड्रोन जैसी आधुनिक ड्रोन तकनीकें तैयार कर सकेगी. कंपनी के मुताबिक, कई ड्रोन प्लेटफॉर्म विकास के अंतिम चरण में हैं और आने वाले दो क्वार्टर में इनके फील्ड ट्रायल शुरू हो जाएंगे.
इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम्स (INS)
लाइसेंस में एडवांस नेविगेशन तकनीकों का प्रोडक्शन भी शामिल है, जैसे MEMS आधारित INS, फाइबर ऑप्टिक जाइरो (FOG) आधारित सिस्टम और रिंग लेजर जाइरो (RLG) आधारित तकनीक. अपोलो माइक्रो सिस्टम्स इन तकनीकों के लिए देश और विदेश के विशेषज्ञ पार्टनर्स के साथ मिलकर काम कर रही है. इसके लिए कंपनी अत्याधुनिक टेस्टिंग और कैलिब्रेशन इक्विपमेंट भी खरीद रही है.
रडार इक्विपमेंट
इस मंजूरी के जरिए कंपनी को पूरी तरह से रडार सिस्टम बनाने का अधिकार मिल गया है. इसमें रडार की असेंबली, सिग्नल प्रोसेसिंग यूनिट, एंटीना, ट्रांसमिट-रिसीव मॉड्यूल और दूसरे सहायक रडार उपप्रणालियां शामिल हैं. यह क्षमता कंपनी को नए रक्षा रडार प्रोडक्शन में सीधे तौर पर सक्षम बनाती है. कंपनी का कहना है कि यह लाइसेंस 15 वर्षों के लिए वैलिड है और इससे उसके वर्तमान तथा आने वाले रक्षा मंत्रालय से जुड़े प्रोजेक्ट्स को गति मिलेगी. यह लाइसेंस उन सभी बड़े रक्षा कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए जरूरी था जिनमें कंपनी पहले से शामिल है या जल्द शामिल होना चाहती है.
मैनेजमेंट ने क्या कहा?
अपोलो माइक्रो सिस्टम्स के मैनेजिंग डायरेक्टर करुणाकर रेड्डी बड्डम ने इस उपलब्धि को कंपनी के लिए एक “रणनीतिक मील का पत्थर” बताया. उनके अनुसार, यह कदम न केवल कंपनी की क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी मजबूत करेगा. उनकी माने तो यह अनुमति अपोलो को भविष्य के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रक्षा बाजारों में मजबूत स्थिति दिलाएगी.
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