₹359 सस्ता मिल रहा ये सोलर स्टॉक, 52-वीक हाई से 40% लुढ़का, कंपनी पर कर्ज लगभग जीरो, ऑर्डर बुक दमदार
सोलर एनर्जी से जुड़े पंप और मोटर कारोबार में एक्टिव Oswal Pumps Limited मजबूत ऑर्डर बुक और लगभग कर्ज-मुक्त स्थिति के बावजूद अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर से भारी गिरावट पर ट्रेड कर रहा है. एक साल पहले की तुलना में अब शेयर लगभग 359 रुपये सस्ता मिल रहा है.
Oswal Pumps Limited Stocks: सोलर एनर्जी सेक्टर में तेजी से बढ़ रही Oswal Pumps Limited के शेयर अपने 52-सप्ताह के हाई (888 रुपये) से करीब 40 फीसदी की भारी डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहे हैं. कंपनी सोलर और ग्रिड सबमर्सिबल पंपिंग सिस्टम, मोनोब्लॉक पंप्स, इलेक्ट्रिक मोटर्स और सोलर मॉड्यूल्स के निर्माण और इंस्टॉलेशन का काम करती है. मजबूत ऑर्डर बुक और डेट फ्री होने के कारण यह स्टॉक निवेशकों के लिए आकर्षक लग रहा है. लेकिन कंपनी के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं.
कंपनी की वित्तीय स्थिति
Oswal Pumps की फाइनेंशियल हेल्थ मजबूत दिख रही है. Q2 FY26 में रेवेन्यू 546 करोड़ रहा, जो पिछली तिमाही से 6फीसदी और YoY 74 फीसदी है अधिक है. नेट प्रॉफिट 96 करोड़ जो पिछली तिमाही से 2 फीसदी अधिक है. Q3 में ऑपरेटिंग EBITDA मार्जिन 25.5 से 26 फीसदी, Q4 में 26.25 से 26.75 फीसदी और PAT मार्जिन 17.5 से 19 फीसदी रहने का अनुमान है.
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शेयर का प्रदर्शन
Oswal Pumps के शेयर ने 21 अगस्त 2025 को 52-सप्ताह का हाई 888.40 रुपये पर पहुंचा था. वर्तमान में यह अपने हाई से करीब 40 फीसदी डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहा है. BSE पर हालिया क्लोजिंग 529.5 रही. यानी इस कंपनी के शेयर 52-वीक हाई से 358.9 रुपये सस्ता मिल रहा है. पिछले एक महीने में स्टॉक 18 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है. इसका मार्केट कैप 6,013 करोड़ रुपये है. साथ ही कंपनी पर कर्ज ना के बराबर है क्योंकि इसका डेट-टू-इक्विटी रेशेय 0.08 है. कंपनी के पास काम की कमी नहीं है. ट्रेडब्रेन के अनुसार, Oswal Pumps के ऑर्डर बुक में 18,800 से अधिक पंप्स का काम है.

कंपनी के सामने चुनौतियां
हाल की तिमाही में कंपनी के ऑपरेटिंग EBITDA मार्जिन में 368 बेसिस पॉइंट्स की गिरावट आई, जो 23.7 फीसदी पर पहुंच गया. इसके पीछे की मुख्य वजह PM-KUSUM और Magel Tyala स्कीम्स में टेंडर रेट्स में औसतन 7.5 फीसदी की कटौती रही, जो कंपनी के 80 फीसदी से ज्यादा कोर रेवेन्यू को प्रभावित करती है.
इसके अलावा, लो-मार्जिन मॉड्यूल सेल्स करीब 40 करोड़ रुपये और सब्सिडियरी के ऑथराइज्ड कैपिटल बढ़ाने से जुड़ा 2.5 करोड़ रुपये का वन-टाइम खर्च ने मार्जिन को और दबाव डाला. वर्किंग कैपिटल पर भी असर पड़ा रिसीवेबल डेज जून 2025 के 126 से बढ़कर 138 दिन हो गए. वजह लंबी मॉनसून सीजन से RMS डेटा जेनरेशन में देरी और Magel Tyala प्रोग्राम में बैंक लोन डिस्बर्समेंट की में दरी. परिणाम यह हुआ कि तिमाही खत्म होते होते कंपनी पर नेट डेट 38 करोड़ रुपये हो गया.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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