न्यूक्लियर सेक्टर में मिली प्राइवेट प्लेयर्स को एंट्री! इंडस्ट्री में पहले से जमीं हैं ये 3 ‘अंडररेटेड’ कंपनियां; स्टॉक को रखें रडार में

भारत सरकार के एक अहम फैसले ने ऊर्जा क्षेत्र में नई हलचल पैदा कर दी है. कुछ कंपनियों की चर्चा पहले बेहद कम थी लेकिन वो फिर से फोकस में आ रही हैं, क्योंकि काफी वक्त से इस सेगमेंट में सक्रिय हैं. इस अपडेट से जुड़ी कुछ खास बातें निवेशकों के लिए बेहद दिलचस्प साबित हो सकती हैं.

Nuclear stocks Image Credit: Getty Images

Nuclear related stocks in india: केंद्र ने सिविल न्यूक्लियर पावर सेक्टर में प्राइवेट खिलाड़ियों की एंट्री को मंजूरी दे दी है. यह फैसला उन कंपनीयों के तरफ लोगों का ध्यान खिंच सकता है, जो अबतक बड़े पैमाने पर निवेशकों की निगाहों से बच रही थीं. बिल की मंजूरी का अर्थ केवल नीति में खुलापन नहीं, बल्कि बड़े इंजीनियरिंग, भारी इक्विपमेंट और स्पेशल कंपोनेंट बनाने वाली उन लिस्टेड कम्पनियों के लिये संभावित ऑर्डर, लॉन्गटर्म कॉन्ट्रैक्ट और रेंटिंग का मौका भी है जो न्यूक्लियर चेन में काम करती हैं.

बिल में क्या बदला है?

केंद्र ने Atomic Energy Act, 1962 और Civil Liability for Nuclear Damage (CLND) Act, 2010 में संशोधन के रास्ते खोलने के लिये बिल पारित करने की मंजूरी दी है; ऐसा माना जा रहा है कि ये संसोधन निजी कंपनियों और विदेशी टेक्नोलॉजी/इक्विपमेंट सप्लायर्स के लिए अनिश्चितताओं को कम करेंगी और निवेश आकर्षित करेंगी. सरकार ने टारगेट दोहराया है कि 2047 तक 100 GW न्यूक्लियर पावर हासिल करने का रोडमैप है.

कंपनियां और उनका न्यूक्लियर कनेक्शन

कुछ ऐसी लिस्टेड कंपनियां जो अब ध्यान में आ सकती हैं:

Patels Airtemp India (PAIL)

यह कंपनी हीट-एक्सचेंजर, प्रेशर वेसल और प्रोसैस इक्विपमेंट बनाती है; कंपनी दावा करती है कि वह न्यूक्लियर पावर चेन में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स सप्लाई करती है. यह उन चुनिंदा भारतीय कंपनियों में है जिनके पास न्यूक्लियर-ग्रेड थर्मल इक्विपमेंट बनाने की मान्यता है. ऐसे उपकरण न्यूक्लियर बॉयलर व कंटेनमेंट सिस्टम के लिये मांग में आ सकते हैं.

Hindustan Construction Company

HCC भारत की न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर स्टोरी का अंडररेटेड नामों में से एक है. राजस्थान, काकरापार और कुदनकुलम जैसे प्रमुख परमाणु संयंत्रों का सिविल कंस्ट्रक्शन HCC ने किया है. यह कहा जाता है कि भारत की कुल स्थापित परमाणु क्षमता का बड़ा हिस्सा HCC द्वारा निर्मित सिविल ढांचे पर खड़ा है. न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स में जहां सुरक्षा, मोटाई और लंबे वक्त तक मजबूती सबसे अहम होती है, वहां HCC कतार में आगे खड़ी रहती है.

Power Mech Projects Ltd

Power Mech परमाणु बिजली संयंत्रों में इरेक्शन, टेस्टिंग और कमीशनिंग (ETC) का काम करती है. यानी प्लांट बनने के बाद उसे ऑपरेशनल बनाने की जिम्मेदारी. जैसे-जैसे भारत नई परमाणु इकाइयां जोड़ता है, इस तरह की विशेषज्ञ EPC सपोर्ट कंपनियों की भूमिका बढ़ती जाती है. यह कंपनी न्यूक्लियर के अलावा थर्मल पावर में भी मजबूत मौजूदगी रखती है.

शेयर-बाजार पर संभावित असर?

इस मंजूरी का मतलब है कि प्रोजेक्ट-आधारित कैपेक्स बड़े पैमाने पर बढ़ सकते हैं; इससे इन-सप्लायर कंपनियों की ऑर्डर-बुक में संजीवनी आ सकती है और रेवेन्यू विजिबिलिटी बेहतर हो सकती है. छोटे या कम-दिलचस्प दिखने वाले स्टॉक्स (जिनकी मार्जिन संरचना मजबूत है और बैलेंस-शीट वर्केबल है) को बाजार नई प्राथमिकता दे सकता है. खासकर जब इनके पास स्पेशल-एनेबल्ड सर्टिफिकेशन या पूर्व-अनुभव हो.

हालांकि, इस सेक्टर में निजी कंपनियों की एंट्री को मिली मंजूरी एक बड़ा कदम है, लेकिन इसका असर शेयर बाजार में तुरंत नहीं दिख सकता. निवेशकों के लिए कुछ जोखिम भी बने हुए हैं, जैसे कि सरकार की तरफ से नियम कितने साफ होंगे, प्राइवेट और सरकारी कंपनियों की साझेदारी किस तरह से होगी, अगर कोई हादसा होता है तो जिम्मेदारी किसकी होगी, विदेशी टेक्नोलॉजी और उपकरण सप्लायर भारत में कितनी आसानी से काम कर पाएंगे और बड़े प्रोजेक्ट को समय पर और बजट में पूरा कर पाना कितना मुमकिन होगा. इसलिए बाजार सिर्फ नीति की खबर पर जोश में आने की बजाय, यह देखेगा कि असल में कितने ऑर्डर मिल रहे हैं, ठेके की शर्तें क्या हैं और कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति कितनी मजबूत है.

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निवेशकों को क्या देखना चाहिए?

  • Order Book और Backlog- किन कंपनियों के पास पहले से न्यूक्लियर/हेवी-इंजीनियरिंग ऑर्डर हैं; नया बिल इन्हें कैसे तैनात कर सकता है.
  • प्रमाणन और तकनीकी क्षमता- इक्विटी मास्टर की रिपोर्ट के मुताबिक, जो कंपनियां N-NPT जैसे परमाणु मानकों पर काम करती आती हैं, उनका क्लियर फायदा होगा.
  • नकदी और बैलेंस शीट- बड़े प्रोजेक्ट्स के लिये फाइनेंसिंग और बिड-बिडिंग सफर में मजबूत बैलेंस-शीट जरूरी है.
  • नियम और क्लॉज की बारीकियां- CLND और एटॉमिक-एक्ट में आने वाले संशोधनों का बाजार प्रभाव दीर्घकालिक होगा, इसलिए खाता-बही देखना जरूरी है.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.