शेयर मार्केट की गिरावट और आत्महत्या का क्या है कनेक्शन, चौंका देंगे 117 साल तक के ये आंकड़े
शेयर बाजार हमेशा से निवेशकों हाई रिटर्न की वजह से लुभाता रहा है. लेकिन पिछले 117 साल के आंकड़े यह बताते हैं कि जब लोगों की गाढ़ी कमाई डूबती है तो बड़ा भूचाल आता है. और ऐसा अमेरिका से लेकर, भारत-चीन और यूरोप हर जगह होता है.

Stock Market And Suicide: शेयर मार्केट तो वैसे कमाई के लिए जाना जाता है लेकिन जब आप झारखंड के जमशेदपुर के टीचर संजीव कुमार, नासिक के पूर्व बैंक कर्मचारी राजेंद्र कोहली की कहानी सुनेंगे, तो एक बार आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या कोई व्यक्ति शेयर बाजार की वजह से इस हद तक पहुंच सकता है, जहां उसे मौत जीवन से ज्यादा आसान लगे. यह बात इसलिए भी अहम हो जाती है कि भारतीय शेयर बाजार पिछले 6 महीने से लगातार निवेशकों के पैसे डुबा रहा है. संजीव कुमार और राजेंद्र कोहली जैसे लाखों निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब रही है. पिछले 5 महीने में निवेशकों के करीब 94 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो चुके हैं.
जब इतनी रकम डूबे तो हलचल तो मचेगी ही. ऐसा ही कुछ संजीव कुमार के साथ बीते मंगलवार को हुआ. संजीव कुमार ऑनलाइन ट्यूटर थे और उन्होंने शेयर बाजार में बड़ी रकम लगाई थी. सारी रकम डूबने से डिप्रेशन में रहने वाले संजीव कुमार ने आत्महत्या कर ली. ऐसा ही कुछ मामला पूर्व बैंक कर्मचारी राजेंद्र कोहली का था. उन्होंने बीते फरवरी में शेयर बाजार में 16 लाख रुपये गंवाने के बाद आत्महत्या कर ली थी. ये दोनों मामले साफ तौर पर बताते हैं कि शेयर बाजार में पैसा डूबने के बाद लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं और जब उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझता है तो वह फिर मौत को गले लगाना आसान समझते हैं. जाहिर है ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. शेयर बाजार में पैसे डूबने के बाद लोगों की आत्महत्या के मामले 1907 से जारी है.
1907 में डबल हो गए थे आत्महत्या के मामले
द ओपेन यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार दुनिया जब 1907 में आर्थिक मंदी का सामना कर रही थी तो उस समय बैंकर, इनवेस्टर्स के आत्महत्या के मामलों में बड़ी तेजी आई थी. असल में 1907 में ठीक वैसा ही हो रहा था, जैसा इस समय दुनिया भर के शेयर बाजारों में हो रहा है. चाहे भारतीय शेयर बाजार हो या फिर अमेरिकी शेयर बाजार, जैसे इस समय अपने पीक से छह महीने के अंदर धड़ाम हुए हैं. वैसा ही मामला 1907 में हुआ, जब अमेरिकी शेयर बाजार अपने पीक से 50 फीसदी गिर गया. हालात यह हो गए कि 1908 आते-आते बैंक, इन्वेस्टर्स और कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के आत्महत्या के मामलों में डबल का इजाफा हो गया.
1929 और 2008 में भी ऐसा हुआ
रिपोर्ट भी इसी तरह साल 1929 में आए ग्रेट डिप्रेशन के समय आत्महत्या के बढ़ने के मामले की बात करती है. उसके अनुसार 25 अक्टूबर 1929 में न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख यह बताया गया था कि शेयर बाजार में आई गिरावट के कारण ट्रेडर्स बड़े पैमाने पर आत्महत्या कर रहे थे. ठीक ऐसा ही साल 2008 में हुआ. जब दुनिया भर के स्टॉक मार्केट धराशायी हुए तो उस समय 36 देशों में 6566 आत्महत्या के अतिरिक्त मामले सामने आए थे.
चीन की स्टडी में हुए चौंकाने वाले खुलासे
शेयर बाजार और आत्महत्या का क्या कनेक्शन है, इस पर चीन की फुडान यूनिवर्सिटी ने रिसर्च की है. उसके अनुसार चीन के शेयर बाजार में जब 1 फीसदी की गिरावट आती है तो हार्ट अटैक के मामलों में 0.74 फीसदी से लेकर 1.04 फीसदी की बढ़ोतरी होती है. वहीं हार्ट अटैक और स्ट्रोक की वजह से मौत के मामले में 1.77 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है. यूनिवर्सिटी ने यह रिसर्च साल 2003-2019 के बीच हुई मौतों के आधार पर की थी. रिपोर्ट के अनुसार इससे सबसे ज्यादा प्रभावित पुरुष हुए थे.
शेयर मार्केट में सारी जमा-पूंजी गंवाने के बाद शिक्षक ने की आत्महत्या
क्या है सबक
इन स्टडी से एक ही बात समझ आती है कि गहरा आर्थिक संकट व्यक्ति को न केवल मानसिक तनाव में लाता है, बल्कि मौत को गले लगाने के लिए मजबूर भी कर देताहै. ऐसे में हर निवेशक को शेयर बाजार का जोखिम जरूर समझना चाहिए और अपनी सारी कमाई ज्यादा रिटर्न के चक्कर में नहीं झोंक देनी चाहिए. साथ ही अपने निवेश को डायवर्सिफाई भी करना चाहिए. इसके अलावा बीच-बीच में प्रॉफिट बुकिंग भी करनी चाहिए. जिससे रिस्क कम होता जाय. एक और अहम बात कि मौत किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.
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