भारतीय मार्केट पर लगातार दूसरे महीने FPI मेहरबान, 16 मई तक किया 18,000 करोड़ से ज्यादा का निवेश

मई 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार में अब तक 18,620 करोड़ रुपये का निवेश किया है. जनवरी से मार्च तक की भारी बिकवाली के बाद अप्रैल और मई में निवेश बढ़ा है. अमेरिका-चीन टैरिफ समझौता, भारत-पाक युद्धविराम और घरेलू स्तर पर आर्थिक मजबूती ने निवेशकों की धारणा को सुधारा है.

एफपीआई निवेश Image Credit: money9live.com

FPI Investment: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजारों में एक बार फिर भरोसा जताया है. पिछले कुछ महीनों की निकासी के बाद अब उन्होंने फिर से भारतीय मार्केट में निवेश शुरू किया है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, मई महीने की 16 तारीख तक FPI ने भारतीय इक्विटी बाजार में 18,620 करोड़ रुपये का निवेश किया. यह निवेश अप्रैल में हुए 4,223 करोड़ रुपये के निवेश के बाद आया है, जो लगातार तीन महीनों की बिकवाली के बाद पहली बार हुआ था.

शुरुआत के तीन महीनों में बिकवाली

इससे पहले, FPI ने जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये, फरवरी में 34,574 करोड़ रुपये और मार्च में 3,973 करोड़ रुपये की निकासी की थी. इन भारी निकासियों के बाद अप्रैल और मई की यह वापसी, निवेशकों के रुख में बदलाव को दिखाता है.

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इन कारणों से बढ़ रहा रुझान

FPI की इस वापसी का मुख्य कारण वैश्विक अनिश्चितताओं में कमी है. अमेरिका और चीन के बीच 90 दिन के टैरिफ समझौते और भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा से निवेशकों की धारणा में सुधार हुआ है. इन घटनाओं ने उनकी वैश्विक जोखिम उठाने की क्षमता को बढ़ाया है, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों में कैपिटल का फ्लो हुआ है. इसके अलावा, घरेलू स्तर पर भारत की मजबूत ग्रोथ रेट, कॉरपोरेट अर्निंग्स में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन और भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी ने भी FPI को आकर्षित किया है.

डेट मार्केट में मिला-जुला असर

जहां एक ओर FPI ने इक्विटी में भारी निवेश किया, वहीं उन्होंने डेट जनरल लिमिट से 6,748 करोड़ रुपये की निकासी की. हालांकि, डेट वॉलंटरी रिटेंशन (VRR) के तहत 1,193 करोड़ रुपये का निवेश भी किया गया. यानी एक तरफ कुछ हिस्सों से पैसा निकाला गया, तो दूसरी ओर कुछ खास बॉन्ड स्कीमों में पैसा लगाया गया.

इसके साथ ही, पिछले सप्ताह SEBI ने VRR और FAR (Fully Accessible Route) के तहत FPI को अतिरिक्त रियायतें देने का प्रस्ताव रखा, ताकि भारतीय बांड बाजार में निवेश को और बढ़ावा मिल सके.