“DII-Street” युग की शुरुआत! अब विदेशी नहीं, भारतीय निवेशकों की चलेगी, 22 साल बाद बदली तस्वीर

अब शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की पकड़ थोड़ी ढीली हो गई है और भारतीय निवेशक ज्यादा प्रभावशाली बन गए हैं. इसका मतलब यह है कि भारतीय बाजार की दिशा अब काफी हद तक घरेलू निवेशकों की सोच और निवेश पर निर्भर करेगी. अब 22 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि भारतीय घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने विदेशी निवेशकों (FIIs) को पीछे छोड़ दिया है.

घरेलू निवेशकों का दबदबा. Image Credit: Getty Images, canva

शेयर बाजार की दिशा अब भारतीय निवेशकों के हाथों में आती दिख रही है. घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने पहली बार विदेशी निवेशकों को पीछे छोड़ दिया है. भारत के शेयर बाजार में एक ऐतिहासिक मोड़ आया है. जहां घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अब पहली बार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FIIs) को पीछे छोड़ दिया है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में लिस्टेड कंपनियों में DIIs की हिस्सेदारी अब FIIs से ज्यादा हो गई है. यह बदलाव 22 साल के लंबे इंतजार के बाद आया है और इसे बाजार में “DII-Street” की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है.

क्या हुआ है बदलाव?

ET की एक खबर के मुताबिक, 31 मार्च 2025 तक:

  • DIIs की हिस्सेदारी: 17.6 फीसदी
  • FIIs की हिस्सेदारी: 17.2 फीसदी

31 मार्च 2010 तक:

  • FIIs के पास 14.5 फीसदी हिस्सेदारी थी
  • जबकि DIIs के पास सिर्फ 11.7 फीसदी हिस्सेदारी थी.

इस आंकड़ों के आधार पर यह साफ है कि घरेलू निवेशकों की बाजार पर पकड़ मजबूत हो गई है. जिसका कन्फर्मेशन ये आंकड़े कर रहे हैं. इसकी एक झलक सितंबर 2024 में देखी गई. सितबंर के महीने से जब बाजार की बडी बिकवाली शुरु हुई थी उस दौरान जिस तरह से विदेशी निवेशकों भर-भर के बिकवाली की थी, लेकिन घरेलू निवेशकों ने खरीदारी कर करके बाजार को बहुत हद तक सम्भाला था. यानि अब भारतीय निवेशकों की पकड़ विदेशी निवेशकों से ज्यादा मजबूत हो गई है, और यह बदलाव 22 साल बाद हुआ है.

क्यों बढ़ा DIIs का प्रभाव?

घरेलू निवेशकों (DII) को बड़ी मात्रा में रिटेल इनफ्लो मिल रहा है. SIP के जरिए लोग हर महीने लगातार निवेश कर रहे हैं. भारतीय निवेशक अब विदेशी निवेशकों की तरह बड़ी संख्या में बाजार में पैसा लगा रहे हैं. इसके साथ ही म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां और पेंशन फंड्स जैसे बड़े निवेशक डोमेस्टिक मार्केट में काफी एक्टिव सक्रिय हैं. जिसके कारण ऐसा हुआ है.

विदेशी निवेशकों की बिकवाली

जनवरी में बाजार 2 से 3 फीसदी गिरा था, इस दौरान विदेशी निवेशकों ने करीब 87,000 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले हैं. वहीं 2008 के क्रैश में भी जब बाजार 25 फीसदी गिरा था, तब FIIs ने 16,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. मतलब ये हुआ कि घरेलू निवेशकों ने बाजार को सम्भाला था.

इसे भी पढ़ें- बजाज ब्रोकिंग ने बताया- मई में कहां जाएगा निफ्टी, Zomato और KEI Industries शेयर दे सकते हैं अच्छा रिटर्न!

“DII-Street” का युग शुरू

इस ऐतिहासिक बदलाव को मीडिया ने “It’s DII-Street, After 22 Years” नाम दिया है – यानी अब बाजार में विदेशियों की नहीं, घरेलू निवेशकों की चलती है. यह खबर सिर्फ आंकड़ों का बदलाव नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि अब भारतीय निवेशक शेयर बाजार की असली ताकत बन चुके हैं.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.