ये कंपनियां शेयर बाजार से हो चुकी हैं डीलिस्ट, कभी दिया था 600% तक रिटर्न, चेक करें लिस्ट
डीलिस्टिंग से शेयरधारकों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि वे अपने शेयर आसानी से बेच नहीं पाते. इन पांच कंपनियों ने कभी निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया था, लेकिन अलग-अलग कारणों से ये शेयर बाजार से हट गईं.

Delisted Companies: कई बार हम सुनते हैं कि कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होना चाहती हैं. लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता है, जिसे डीलिस्टिंग कहते हैं. डीलिस्टिंग का मतलब है कि किसी कंपनी के शेयर को शेयर बाजार, जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE), से पूरी तरह हटा दिया जाता है. इसके बाद इन शेयरों की खरीद-बिक्री बाजार में नहीं हो सकती. यह प्रक्रिया सेबी (SEBI) के नियमों के तहत होती है.
डीलिस्टिंग दो तरह की होती है. पहला स्वैच्छिक (voluntary) और दूसरा अनैच्छिक (involuntary). voluntary डीलिस्टिंग तब होती है जब कंपनी खुद शेयर बाजार से हटना चाहती है. involuntary डीलिस्टिंग तब होती है जब कंपनी नियमों का पालन नहीं करती, दिवालिया हो जाती है, या बाजार में उसकी पूंजी (market capitalization) बहुत कम हो जाती है.
शेयरधारकों का क्या होता है?
जब कोई कंपनी डीलिस्ट हो जाती है, तो शेयरधारक के पास अभी भी उतने ही शेयर रहते हैं, जितने उसने खरीदे थे. लेकिन अब वह इन शेयरों को शेयर बाजार में बेच नहीं सकता. वह इन्हें ओवर-द-काउंटर (OTC) मार्केट में बेच सकता है, यानी बाजार के बाहर किसी खरीदार को ढूंढकर. डीलिस्टिंग का असर शेयरधारकों पर पड़ता है, खासकर अगर यह involuntary हो.
डीलिस्ट हुई 5 कंपनियों की लिस्ट
नायरा एनर्जी (Nayara Energy) एस्सार ऑयल, जिसे अब नायरा एनर्जी कहते हैं. यह कंपनी 17 फरवरी 2016 को BSE और NSE से डीलिस्ट हुई. सेबी के नियमों के तहत, रिवर्स बुक-बिल्डिंग प्रक्रिया से इसके शेयर की कीमत 262.80 रुपये तय हुई थी. डीलिस्ट होने तक इस कंपनी ने 650 फीसदी का रिटर्न दिया हुआ है. |
प्रदीप ओवरसीज (Pradip Overseas) प्रदीप ओवरसीज 16 मार्च 2022 को NSE से डीलिस्ट हुई. यह कंपनी दिवालिया हो गई थी, और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने इसके शेयर डीलिस्ट करने का फैसला किया. शेयरधारकों को कोई पैसा नहीं मिला, और 18 अक्टूबर 2021 से इसके शेयरों की ट्रेडिंग बंद थी. |
देवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) DHFL को 14 जून 2021 को शेयर बाजार से हटाया गया. यह फैसला NCLT ने लिया, जब पिरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस ने इसे खरीद लिया. यह डीलिस्टिंग भी दिवालियापन की प्रक्रिया का हिस्सा थी. |
गुजरात NRE कोक (Gujarat NRE Coke) गुजरात NRE कोक को NCLT के आदेश के बाद डीलिस्ट किया गया. 12 फरवरी 2018 से इसके शेयरों की ट्रेडिंग बंद थी. कंपनी का रिजॉल्यूशन प्लान क्रेडिटर्स ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद इसे लिक्विडेशन की प्रक्रिया में डाल दिया गया. |
क्या डीलिस्ट शेयर दोबारा लिस्ट हो सकते हैं?
हां, डीलिस्ट हुए शेयर दोबारा लिस्ट हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए सेबी के सख्त नियम हैं. अगर कंपनी खुद डीलिस्ट हुई है, तो उसे दोबारा लिस्ट होने के लिए 5 साल इंतजार करना होगा. अगर कंपनी को जबरदस्ती डीलिस्ट किया गया है, तो उसे 10 साल तक इंतजार करना पड़ता है. डीलिस्टिंग से शेयरधारकों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि वे अपने शेयर आसानी से बेच नहीं पाते. इन पांच कंपनियों ने कभी निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया था, लेकिन अलग-अलग कारणों से ये शेयर बाजार से हट गईं.
अन्य कंपनियां जो हो चुकी है डीलिस्ट

डेटा सोर्स: BSE, Groww
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