ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष का भारतीय मार्केट पर क्या पड़ेगा असर, अमेरिकी बाजार की फूली सांस!
मीडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बाद निवेशकों ने सुरक्षित जोन चुनना पसंद किया और अब वे 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में हैं. जैसे ही इजरायली सेना ने बताया कि ईरान ने मिसाइलें दागी हैं, अमेरिकी मार्केट लाल हो गया. क्रूड की कीमतों में आग लग गई.

ईरान के इजरायल पर मिसाइल दागने के बाद अमेरिकी मार्केट की तेजी पर ब्रेक लग गया. मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बाद निवेशकों ने सुरक्षित जोन चुनना पसंद किया और अब वे ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति में हैं. जैसे ही इजरायली सेना ने बताया कि ईरान ने मिसाइलें दागी हैं, अमेरिकी मार्केट लाल हो गया. क्रूड की कीमतों में आग लग गई और यह 71 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया. गोल्ड के भाव भी कुछ समय के लिए उछले. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले 24 घंटे यह देखने के लिए महत्वपूर्ण होंगे कि स्थिति कितनी आगे बढ़ती है और निवेशकों का सुरक्षित जोन में शिफ्ट हो जाना कितना सही साबित होता है.
अमेरिकी बाजार लाल
जानकारों का कहना है कि अगर संघर्ष खत्म हो जाता है, तो उन्हें उम्मीद है कि स्टॉक और टेक शेयरों में सुधार होगा. इसका असर इक्विटी बाजारों पर भी पड़ा, जहां दिन के दौरान एसएंडपी 500 में 1.4 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई. ऐप्पल, एनवीडिया और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक दिग्गज कंपनियों के इंडेक्स में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई. सीबीओ वोलैटिलिटी इंडेक्स, जिसे आमतौर पर VIX के रूप में जाना जाता है वो लगभग एक महीने में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया.
टेक कंपनियों के शेयर टूटे
टेक सेक्टर का सबसे खराब प्रदर्शन रहा, जिसमें एप्पल इंक और एनवीडिया कॉर्प में 3 फीसदी से अधिक की गिरावट आई. नैस्डैक 100 ने दोपहर के कारोबार में 2 फीसदी तक टूट गया. एसएंडपी 500 में 0.62 फीसदी की गिरावट आई, जबकि ट्रेजरी में बढ़त बनी रही.
दोनों देशों के बीच टकराव ने मंगलवार के आर्थिक आंकड़ों से मिले-जुले संकेतों को ग्रहण लगा दिया. यूएस आईएसएम प्राइस इंडेक्स मई 2023 के बाद से सबसे अधिक गिर गया, जबकि अगस्त में यूएस जॉब ओपनिंग तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जो अन्य रीडआउट्स के उलट है. ये श्रमिकों की मांग में कमी के संकेत देते हैं. ट्रेजरी यील्ड कम रही और 10 साल की अवधि 3.74 फीसदी के आसपास रही.
भारतीय बाजार पर क्या होगा असर?
भारतीय और दुनिया के प्रमुख शेयर बाजार अब तक जियो-पॉलिटिकल तनावों के प्रभाव को झेलने में कामयाब रहे हैं, लेकिन निवेशक अब मिडिल ईस्ट में ईरान के संघर्ष को बढ़ाने के किसी भी संकेत को लेकर बेचैन हैं. ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने मिडिल ईस्ट में अस्थिरता को लेकर टेंशन बढ़ा दी है, क्योंकि इसका असर ग्लोबल सप्लाई चेन पर पड़ सकता है.
तेल की सप्लाई पर नजर
ओपेक के सदस्य ईरान की भागीदारी ने मिडिल ईस्ट के ऑयल क्षेत्र से तेल की सप्लाई में व्यवधान की आशंकाओं को बढ़ा दिया है, जो दुनिया के लगभग एक तिहाई कच्चे तेल की आपूर्ति करता है. इसका खास तौर पर उन देशों पर असर होगा जो तेल आयात पर निर्भर हैं, जैसे भारत और चीन.
ईरान के इजरायल के बीच बढ़ते तनाव का भारतीय स्टॉक मार्केट पर असर को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि मजबूत घरेलू निवेश और लगातार लिक्विडिटी के साथ भारतीय बाजार मजबूत स्थिति में हैं. भारतीय मार्केट पहले ही कई तरह की स्थिति से निपट रहे हैं, जैसे अमेरिका में मंदी, कच्चे तेल की कीमतें और अन्य चीजें.
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