कब होगा न्याय! IEX इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला शांत, आखिर कहां गए 173 करोड़?
15 अक्टूबर 2025 को SEBI ने एक बड़ा कदम उठाया. यह मामला Indian Energy Exchange (IEX) के शेयर और डेरिवेटिव्स में इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़ा था. 23 जुलाई 2025 को Central Electricity Regulatory Commission (CERC) ने “मार्केट कपलिंग” नीति की घोषणा की, जिससे IEX की मार्केट पोजिशन पर बड़ा असर पड़ना तय था.
हाल के दिनों में IEX के शेयर काफी चर्चा में रहे हैं. इसके पीछे की वजह है सेबी की कार्रवाई. ये किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं. 5 रुपये का IEX का कॉल प्रीमिमय कैसे 56 रुपये के आस-पास पहुंच जाता है. उसके बाद चले सेबी के डंडे ने पूरे माहौल को गरम कर दिया था. इसको कहानी के जरिए समझते हैं. मान लीजिए कोई चोर आपकी ज्वेलरी चुरा लेता है और उसे लेकर भाग जाता है. कुछ दिन बाद में पुलिस उसे पकड़ लेती है और बरामद कर लेती है. अब अगर पुलिस कहे कि हम ज्वेलरी अपने लॉकअप में सुरक्षित रखेंगे,” तो क्या आपको न्याय मिला? न्याय तब पूरा होता है जब वह ज्वेलरी आपको लौटा दी जाए जिसे असल में नुकसान हुआ था.
अब आइए असल मुद्दे पर आते हैं. अब इस कहानी को सड़क से हटाकर शेयर बाजार में लाते हैं. यहां भी इनसाइडर ट्रेडर वही चोर है, जो ऐसी गुप्त जानकारी का फायदा उठाता है जो आम निवेशकों को नहीं पता. वह उसी सूचना के आधार पर शेयरों में सौदे कर लेता है. जिससे खुद फायदा उठाता है और ईमानदार निवेशक को नुकसान पहुंचाता है.
IEX केस में क्या हुआ
15 अक्टूबर 2025 को SEBI ने एक बड़ा कदम उठाया. यह मामला Indian Energy Exchange (IEX) के शेयर और डेरिवेटिव्स में इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़ा था. 23 जुलाई 2025 को Central Electricity Regulatory Commission (CERC) ने “मार्केट कपलिंग” नीति की घोषणा की, जिससे IEX की मार्केट पोजीशन पर बड़ा असर पड़ना तय था. अगले ही दिन IEX का शेयर लगभग 30 फीसदी गिर गया. जांच में SEBI को पता चला कि कुछ ट्रेडर्स ने यह खबर सार्वजनिक होने से पहले ही शेयर बेच दिए और पुट ऑप्शन खरीदे. यानी उन्हें पहले से पता था कि कीमत गिरेगी. यह साफ तौर पर इनसाइडर ट्रेडिंग थी. यानी ऐसी जानकारी के आधार पर ट्रेडिंग करना जो अभी सार्वजनिक नहीं हुई हो.
SEBI ने SEBI Prohibition of Insider Trading) Regulations, 2015 की धारा 3 और 4(1) का उल्लंघन मानते हुए SEBI Act, 1992 की धारा 11 और 11B के तहत करीब 173 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त कर ली. यानी अवैध तरीके से कमाया गया पैसा फ्रीज कर दिया गया. लेकिन सवाल यह है. क्या यहीं पर कहानी खत्म हो जानी चाहिए?
जब SEBI चोर पकड़ ले, तो आगे क्या?
फिर से ज्वेलरी चोरी वाला उदाहरण याद कीजिए. अगर पुलिस सिर्फ यह कहे कि ज्वेलरी बरामद कर लिया गया है और अब हमारे पास सुरक्षित रहेगा, तो क्या न्याय पूरा हुआ? नहीं. जब तक ज्वेलरी अपने असली मालिक को वापस नहीं मिलती, तब तक न्याय अधूरा है. यही तर्क शेयर बाजार पर भी लागू होता है. जब SEBI इनसाइडर ट्रेडिंग से कमाई गयी रकम जब्त करता है, तो वह पैसा SEBI या सरकार का नहीं होता. वह उन निवेशकों का होता है, जिनसे यह पैसा बाजार में अनुचित तरीके से छीन लिया गया था. इस घटना के बाद ना जानें कितनों की नींद उड़ गई होगी.
कानून पहले से मौजूद
- सबसे अच्छी बात यह है कि इसके लिए SEBI को नया कानून नहीं चाहिए. कानूनी रास्ता पहले से खुला है.
- SEBI Act, 1992 की धारा 11(5) कहती है कि SEBI द्वारा वसूला गया ऐसा पैसा Investor Protection and Education Fund (IPEF) में जमा किया जा सकता है. SEBI (Investor Protection and Education Fund) Regulations, 2009 के तहत यह फंड सिर्फ इंवेस्टर एजुकेशन के लिए ही नहीं, बल्कि पहचाने जा सकने वाले प्रभावित निवेशकों को मुआवज़ा (restitution) देने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यानी जहां संभव हो, निवेशकों को उनका पैसा वापस दिलाना.
- SEBI पहले भी ऐसा कर चुकी है. जैसे IPO घोटालों और फ्रंट-रनिंग मामलों में, जहां प्रभावित निवेशकों की पहचान की गई और उन्हें मुआवजा दिया गया.
- SEBI ने पहले भी IPO घोटालों और फ्रंट-रनिंग मामलों में प्रभावित निवेशकों को मुआवजा दिया है. यानी कानूनी दरवाजा खुला है, बस SEBI को उसे पूरी तरह खोलना है.
IEX केस में असली पीड़ित कौन हैं?
इस मामले में सबसे ज्यादा नुकसान उन आम निवेशकों को हुआ, जिन्होंने IEX के शेयर खरीदे, बिना यह जाने कि बुरी खबर आने वाली है, या जिन्होंने पुट ऑप्शन बेचे, यह सोचे बिना कि अंदरूनी लोग शेयर गिराने की तैयारी में हैं. जब इनसाइडर्स ने शेयर बेचे या ऑप्शन खरीदे, तब आम निवेशक उनकी उलटी दिशा में फंस गए. एक का अवैध फायदा, दूसरे का वैध नुकसान. इसलिए जब SEBI ने 173 करोड़ रुपये जब्त किये, तो असल में यह चुराया गया निवेशकों का पैसा था. न्याय यह मांग करता है कि यह रकम वापस उन्हीं को दी जाए जिन्हें नुकसान हुआ है.
दुनिया के बाजारों से सीख ( fingineer के मुताबिक )
अमेरिका – SEC का Fair Funds मॉडल
अमेरिकी Securities and Exchange Commission (SEC) “Fair Funds” नाम की व्यवस्था चलाता है, जिसके तहत जब किसी से अवैध मुनाफा या जुर्माना वसूला जाता है, तो उसे पीड़ित निवेशकों को लौटाया जाता है. Sarbanes-Oxley Act (Section 308) इसी की अनुमति देता है. Liu vs. SEC (2020) में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि वसूला गया पैसा तभी वैध है जब वह पीड़ितों को लाभ पहुंचाए.
ब्रिटेन – FCA का Restitution आदेश
ब्रिटेन की Financial Conduct Authority (FCA) भी Financial Services and Markets Act (FSMA) की धारा 384 के तहत ऐसा आदेश दे सकती है कि गलत फायदा कमाने वाली कंपनी निवेशकों को पैसा लौटाए.
Tesco केस में देखा गया, जहां कंपनी ने निवेशकों को नुकसान की भरपाई दी थी. इन दोनों देशों में नियामक सिर्फ सजा नहीं देते, बल्कि न्याय पूरा करते हैं. SEBI भारत में इसे कैसे लागू कर सकता है.
पहचानें कि नुकसान किसे हुआ
IEX के शेयर या डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग डेटा देखकर पता लगाया जा सकता है कि इनसाइडर ट्रेडिंग अवधि में किसने खरीद-बिक्री की.
नुकसान का हिसाब लगाएं
साइंटिफिक तरीका अपनाया जा सकता है, जैसे “event study”, ताकि यह पता चले कि सूचना छुपाने से कीमत पर कितना असर पड़ा.
Claims Administrator नियुक्त करें
NSDL, CDSL या एक्सचेंज के जरिये निवेशकों की पहचान की जा सकती है और भुगतान ऑटोमेटिक तरीके से किया जा सकता है.
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IPEF के जरिये पैसा लौटाएं
जब्त 173 करोड़ रुपये और उस पर ब्याज इसी फंड के जरिये लौटाया जा सकता है.
पूरी पारदर्शिता रखें
कितने निवेशकों को कितना पैसा लौटा, कौन-सा सिस्टम अपनाया गया. यह सब सार्वजनिक किया जाए.अगर कुछ पैसा बच जाता है, तो उसे निवेशक शिक्षा में लगाया जा सकता है. यानी पैसा कहीं भी व्यर्थ नहीं जाएगा.
क्या SEBI के पास पैसा लौटाने का अधिकार है?
हां, धारा 11(5) और IPEF नियमावली के तहत पूरी कानूनी मंजूरी है. जरूरत है बस इच्छाशक्ति की. निष्कर्ष की बात करें तो जो छीना गया, वह लौटाना ही सच्चा न्याय है. ज्वेलरी बरामद हो जाए लेकिन मालिक को न मिले, तो कहानी अधूरी रहती है. वैसे ही 173 करोड़ रुपये जब्त कर लेना तभी न्याय है जब वह रकम वापस निवेशकों तक पहुंचे. जब SEBI इनसाइडर ट्रेडिंग से कमाई गयी रकम जब्त करता है, तो वह सिर्फ अपराधी को पकड़ता नहीं. वह बाजार से चुराई गई कीमत को वापस लाने का मौका बनाता है. अगर SEBI इस रकम को निवेशकों को लौटा दे, तो यह संदेश जाएगा. भारत के बाजार में अगर कोई चोरी करेगा, तो सिर्फ पकड़ा ही नहीं जाएगा, उसका फायदा भी लौटाना पड़ेगा.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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