एशियन पेंट्स में कहां गच्चा खा गए धुरंधर निवेशक, 2 दशक का चमत्कार पड़ा धुंधला; जानें- अब क्या है भविष्य
Asian Paints Share Outlook: साल 2000 से शुरू होने वाले दो दशक एशियन पेंट्स के लिए स्वर्णिम काल रहे. आंकड़े चौंका देने वाले हैं. 20 वर्षों में एशियन पेंट्स के शेयर की कीमत कुल मिलाकर 150 गुना बढ़ी. तीसरे दशक की शुरुआत यानी 2020 के बाद से कहानी मोड़ लेती है और बिल्कुल अलग तस्वीर नजर आती है.
Asian Paints Share Outlook: शायद ही कोई ऐसा एक्सपर्ट होगा, जिसने कभी एशियन पेंट्स के शेयर को खरीदने की सलाह नहीं दी होगी. लेकिन पिछले साल इस पेंट कंपनी के स्टॉक ने निवेशकों को निराशा किया और एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस साल शेयर अब तक 15 फीसदी चढ़ा है. कुछ महीने पहले ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने कहा था कि कंपनी के बुरे दिन खत्म हो गए हैं. मार्केट में एशियन पेंट्स को बिड़ला ओपस ने कड़ी चुनौती दी, जिससे इसकी बाजार हिस्सेदारी में भी गिरावट आई. हालांकि, कहा जा रहा है कि बिड़ला ओपस अब आक्रामक रूख के बजाय धीरे-धीरे ग्रोथ करने की दिशा में बढ़ सकती है. लेकिन सवाल एशियन पेंट्स के लिए बरकरार है कि क्या इसके लिए तूफान का मुश्किल दौर खत्म हो गया है?
20 साल का सुनहरा सफर
साल 2000 से शुरू होने वाले दो दशक एशियन पेंट्स के लिए स्वर्णिम काल रहे. आंकड़े चौंका देने वाले हैं. 20 वर्षों में एशियन पेंट्स के शेयर की कीमत कुल मिलाकर 150 गुना बढ़ी. इसका मतलब है कि अगर आपने थोड़ी सी भी राशि निवेश की होती, तो वह एक बड़ी संपत्ति बन जाती. इस अविश्वसनीय यात्रा को दो अलग-अलग अध्यायों में बांटकर देखा जा सकता है.
पहला दशक
पहले दशक, 2000 से 2010 तक शेयर की कीमत 15 गुना बढ़ी. यह कोई जादू नहीं था, बल्कि इस अवधि के दौरान कंपनी की कमाई 7.5 गुना बढ़ी. लेकिन शेयर की कीमत में उछाल के पीछे सिर्फ यही एक कारण नहीं था. शेयर के प्रति बाजार का प्यार भी बढ़ा, जैसा कि इसके प्राइस-टू-इनकम (PE) रेश्यो में नजर भी आता है. पीई 16 गुना से बढ़कर 32 गुना हो गया. यह एक ऐसा जादू था, जिसने रिटर्न को दोगुना बढ़ा दिया.
निवेशक दशक के अंत तक हर एक रुपये की कमाई के लिए दोगुना भुगतान करने को तैयार थे, क्योंकि उन्हें कंपनी के भविष्य पर पूरा भरोसा था.
दूसरा दशक
2010 तक, एशियन पेंट्स एक विशालकाय कंपनी बन चुकी थी. लेकिन किसी बड़े जहाज का तेजी से आगे बढ़ना मुश्किल होता है. इसी तरह कंपनी के लिए अपनी कमाई को पहले जैसी तेज गति से बढ़ाना और भी मुश्किल हो गया. देश में ओवरऑल आर्थिक विकास भी स्लो रहा, जिसके परिणामस्वरूप मार्च 2010 और मार्च 2020 के बीच कंपनी की कमाई में फिर भी प्रभावशाली तीन गुना बढ़ोतरी हुई.
लेकिन उस दशक में शेयर 10 गुना बढ़ा, क्योंकि पीई रेश्यो एक बार फिर से शेयर के लिए शेफगार्ड बन गया और ये तीन गुना बढ़ा. इससे पूरे 20 वर्षों में रिटर्न अविश्वसनीय रूप से 150 गुना हो गया.
तीसरा दशक और कहानी में मोड़
तीसरे दशक की शुरुआत यानी 2020 के बाद से कहानी मोड़ लेती है और बिल्कुल अलग तस्वीर नजर आती है. 2000 और 2010 के विपरीत जब शेयर ने अपेक्षाकृत मामूली पीई मल्टीपल के साथ अपनी यात्रा शुरू की थी, नए दशक की शुरुआत लगभग 100 गुना के पीई रेश्यो के साथ हुई.
यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है. 100 के पीई मल्टीपल का मतलब है कि निवेशक कंपनी के वार्षिक लाभ के हर एक रुपये के लिए सौ रुपये दे रहे हैं. इसके सार्थक बनाने के लिए कंपनी को कई वर्षों तक अपनी आय में अत्यधिक तेज ग्रोथ करनी होगी.
एशियन पेंट्स जैसी सुपरस्टार कंपनी के लिए भी यह एक कठिन काम था. अगर वह जोरदार ग्रोथ साकार नहीं करती, तो हाई पीई रेश्यो ताश के पत्तों के घर की तरह था, जो बिखरने की आशंका में था. प्रतीत होता है कि दशक के आधे रास्ते के करीब पहुंचते-पहुंचते ऐसा ही कुछ हुआ है. पहले चार साल अच्छे रहे. कंपनी का मुनाफा दोगुना हो गया, जिससे कंपनी का सपना जिंदा रहा.
बिगड़ने लगे हालात
लेकिन सबसे हालिया वित्तीय वर्ष FY25 से ही हालात बिगड़ने लगे. कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते कंपनी का मुनाफा 30 फीसदी से अधिक गिरा. इससे उसका हाई PE रेश्यो तुरंत गिरकर लगभग 65 गुना रह गया.
इस उतार-चढ़ाव का नतीजा ये हुआ कि कंपनी का शेयर प्राइस अब लगभग उसी स्तर पर है, जहां पांच साल पहले था जब इस दशक की शुरुआत हुई थी. सीधे शब्दों में कहें तो, जिन निवेशकों ने पीक पर खरीदारी की थी, उन्हें पांच साल तक कोई रिटर्न नहीं मिला.
चमत्कार को दोहराना मुश्किल
इक्विटीमास्टर के अनुसार, इस दर से पहले दो दशकों के 150 गुना के चमत्कार को दोहराना बहुत मुश्किल लग रहा है. वास्तव में, यह आश्चर्यजनक होगा अगर यह शेयर 2030 में इस दशक के अंत तक व्यापक बाजार के इंडेक्स भी पीछे छोड़ दे.
हालांकि शेयर की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी कुछ निवेशकों को खुश कर रही है और कुछ एनालिस्ट बदलाव की भविष्यवाणी कर रहे हैं. यह कहानी कुछ एवरग्रीन इन्वेस्टमेंट सिद्धांतों की तरफ ध्यान आकर्षित करती है.
निवेशकों के बीच बजनी चाहिए थी घंटी
इक्विटीमास्टर के अनुसार, सबसे पहले कुछ साल पहले जब शेयर का पीई रेश्यो 100 के स्तर पर पहुंचा था, तो निवेशकों के बीच खतरे की घंटी बजनी चाहिए थी.
किसी भी शेयर के लिए इतनी ऊंची कीमत चुकाना बेहद जोखिम भरा होता है. एशियन पेंट्स जैसी क्षमता वाली एक ब्लू-चिप कंपनी को भी उन निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे पाना लगभग असंभव होगा, जिन्होंने उस पीक पर खरीदारी की थी.
एक छोटे, तेजी से बढ़ते स्टार्टअप के लिए इतना हाई पीई रेश्यो एक बार समझ में भी आ सकता है. लेकिन एशियन पेंट्स जैसी विशाल, स्थापित कंपनी के लिए साल-दर-साल लगातार 20-25 फीसदी की दर से बढ़ना एक बड़ी चुनौती है.
समय मांगती हैं रणनीतियां
दूसरा, यह याद रखना चाहिए कि व्यवसाय में कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है. एशियन पेंट्स अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. वह अपने प्रॉफिट मार्जिन को बेहतर बनाने और नए, हाई-ग्रोथ वाले सेक्टर्स में डायवर्सिफिकेशन लाने की कोशिश कर रही है. लेकिन इन रणनीतियों में समय लगता है और सफलता की कोई गारंटी नहीं होती. बिड़ला ओपस जैसे प्रतिस्पर्धी लगातार अटैक कर रहे हैं और जैसा कि कंपनी ने हाल ही में सीखा है, इस तरह की लड़ाइयां आपको भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं.
कई निवेशकों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह मानने की आदत है कि हाल ही में जो हुआ वह भविष्य में भी दोहराया जाएगा. हम देखते हैं कि एक कंपनी कुछ वर्षों तक तेजी से मुनाफा बढ़ा रही है और हम मान लेते हैं कि यह हमेशा के लिए जारी रहेगा.
वास्तव में, अक्सर इसका उल्टा होता है. एक कंपनी जितनी तेजी से बढ़ती है, उतनी ही अधिक संभावना होती है कि भविष्य में यह ग्रोथ धीमी हो जाएगी या फिर उलटा भी हो सकता है. यह व्यापार और बाजारों का एक स्वाभाविक नियम है.
इसलिए, भले ही एशियन पेंट्स अपने बुरे दौर से उबर जाए. अपने मुनाफे में फिर से बढ़ोतरी शुरू कर दे और एक नया बदलाव लाए, लेकिन जिन निवेशकों ने 90-100 के पीई पर शेयर खरीदे थे, उन्हें लंबे समय तक अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न नहीं मिल सकता है. उन्होंने शेयर के लिए जो कीमत चुकाई, वह बहुत अधिक थी.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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