IPO लिस्टिंग के बाद क्यों चढ़ते हैं शेयर? सिर्फ डिमांड नहीं है वजह, Zerodha CEO निखिल कामथ ने बताई अंदर की बात
Zerodha के CEO नितिन कामथ ने समझाया है कि IPO लिस्टिंग के बाद शेयरों में तेजी सिर्फ डिमांड की वजह से नहीं आती, बल्कि शॉर्ट सेलिंग, अपर सर्किट और शॉर्ट डिलीवरी ऑक्शन जैसे तकनीकी फैक्टर भी कीमतों को ऊपर धकेलते हैं. जानें कामथ ने क्या क्या बताया. विस्तार से.
IPO Listing Share Hike Reason: भारत के जाने-माने उद्यमी और Zerodha के को-फाउंडर निखिल कामथ ने हाल ही में शेयर बाजार से जुड़ा एक अहम पहलू समझाया है. निखिल कामथ, जिन्होंने अपने भाई नितिन कामथ के साथ मिलकर Zerodha की स्थापना की, आज भारत में टेक्नोलॉजी-बेस्ड और कम लागत वाली ट्रेडिंग को लोकप्रिय बनाने के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में Zerodha के CEO नितिन कामथ ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए यह बताया कि क्यों कई नए IPO लिस्ट होने के बाद तेजी से ऊपर जाते हैं. प्राइमरी बाजार में दिलचस्पी रखने वाले निवेशकों ने अक्सर ये पैटर्न देखा होगा कि कई इश्यू लिस्टिंग के साथ तेजी से ऊपर जाने लगते हैं. उन्होंने कहा कि भले ही शेयर की कीमतें डिमांड और सप्लाई से तय होती हैं, लेकिन इसके अलावा भी कुछ तकनीकी कारण हैं जो IPO के बाद शेयरों में तेज उछाल लाते हैं.
नए IPO शेयरों में क्यों फंस जाते हैं ट्रेडर्स?
नितिन कामथ के मुताबिक, कई ट्रेडर्स नए-नए लिस्ट हुए IPO शेयरों को इंट्राडे ट्रेडिंग में शॉर्ट सेल कर देते हैं. उनका अनुमान होता है कि लिस्टिंग के बाद शेयर गिरेंगे और वे सस्ते में वापस खरीदकर मुनाफा कमा लेंगे. लेकिन कई बार इसके उलट होता है. शेयर गिरने के बजाय तेजी से चढ़ जाते हैं और अपर सर्किट में फंस जाते हैं.
अपर सर्किट लगते ही कैसे बनती है समस्या?
जब किसी शेयर में अपर सर्किट लग जाता है, तो उस दिन सेलिंग लगभग बंद हो जाती है. यानी बाजार में बेचने वाले नहीं मिलते. ऐसे में जो ट्रेडर्स पहले से शेयर शॉर्ट कर चुके होते हैं, वे चाहकर भी शेयर खरीदकर अपनी पोजिशन क्लोज नहीं कर पाते. इस स्थिति में शॉर्ट सेलर्स बुरी तरह फंस जाते हैं, क्योंकि उनके पास डिलीवरी देने के लिए शेयर नहीं होते और खरीदने का मौका भी नहीं मिलता.
शॉर्ट डिलीवरी क्या होती है?
जब कोई सेलर तय समय पर खरीदार को शेयर डिलीवर नहीं कर पाता, तो उसे शॉर्ट डिलीवरी कहा जाता है. Zerodha के डेटा के मुताबिक, यह समस्या खासतौर पर तब आती है जब शॉर्ट सेल करने वाले ट्रेडर्स शेयर उपलब्ध नहीं करा पाते.
एक्सचेंज का ऑक्शन सेशन कैसे करता है समस्या का समाधान?
शॉर्ट डिलीवरी की स्थिति में स्टॉक एक्सचेंज अगले दिन एक स्पेशल ऑक्शन सेशन आयोजित करता है. यह आमतौर पर दोपहर 2:30 बजे से 3:00 बजे के बीच होता है. इस ऑक्शन में एक्सचेंज ऐसे निवेशकों को ढूंढता है जो अपने पास मौजूद शेयर बेचने के लिए तैयार हों, ताकि खरीदारों को डिलीवरी दी जा सके.
ऑक्शन में क्यों मिलती है ज्यादा कीमत?
नितिन कामथ ने बताया कि ऑक्शन सेशन में शेयरों की कीमत अक्सर मार्केट प्राइस से कहीं ज्यादा होती है. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक मामले में Meesho का ऑक्शन प्राइस 258 रुपये तक पहुंच गया, जबकि उसी समय बाजार में शेयर करीब 226 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. इसका मतलब यह है कि ऑक्शन में शेयर बेचने वाले निवेशकों को सामान्य बाजार से कहीं बेहतर भाव मिल सकता है.
निवेशकों के लिए कमाई का एक मौका?
नितिन कामथ के अनुसार, जिन निवेशकों के पास पहले से शेयर डिमैट अकाउंट में मौजूद होते हैं, उनके लिए ऑक्शन सेशन एक अच्छा मौका हो सकता है. वे इस सेशन में अपने शेयर बेचकर ज्यादा दाम पर एग्जिट कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलता है, बल्कि एक्सचेंज को भी शॉर्ट डिलीवरी से जुड़ी समस्याएं सुलझाने में मदद मिलती है.
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