फर्जी चालान के नाम पर धोखाधड़ी, ठगी के लिए साइबर चोर अपनाते हैं ये तरीके, ऐसे रहें सेफ
देशभर में ट्रैफिक ई-चालान के नाम पर साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ठग फर्जी एसएमएस या व्हाट्सएप मैसेज भेजकर लिंक क्लिक करवाते हैं, जिससे बैंक खाते खाली हो जाते हैं. सतर्क रहें, क्योंकि यह ठगी अब आम नागरिकों से लेकर अधिकारियों तक को निशाना बना रही है.
देशभर में ट्रैफिक ई-चालान के नाम पर साइबर ठगों की नई करामात सामने आ रही है. ठग एसएमएस या व्हाट्सएप पर फर्जी चालान का मैसेज भेजकर लोगों को लिंक क्लिक करवाते हैं या APK फाइल डाउनलोड करवाते हैं, जिससे बैंक खाते खाली हो जाते हैं. यह ठगी न केवल आम नागरिकों को निशाना बना रही है, बल्कि सरकारी अधिकारियों को भी शिकार बना रही है. आइए जानते हैं कि यह ठगी कैसे होती है, इससे बचाव के तरीके क्या हैं और शिकायत कहां करें.
चालान ठगी क्या है?
ट्रैफिक चालान के नाम पर होने वाली ठगी एक साइबर फ्रॉड है जिसमें ठग खुद को ट्रैफिक पुलिस या परिवहन विभाग का अधिकारी बताकर फर्जी मैसेज भेजते हैं. मैसेज में लिखा होता है कि आपके वाहन का चालान कटा है, जैसे रेड लाइट जंपिंग या ओवरस्पीडिंग का, और तुरंत जुर्माना भरने की धमकी दी जाती है. इसमें एक लिंक या APK फाइल दी जाती है, जिस पर क्लिक करने या इंस्टॉल करने से फोन में मालवेयर घुस जाता है.
इसके बाद ठग आपके बैंकिंग डिटेल्स, OTP या पर्सनल जानकारी चुराकर खाते से पैसे निकाल लेते हैं. कई मामलों में फर्जी वेबसाइट बनाई जाती है जो असली echallan.parivahan.gov.in जैसी दिखती है, लेकिन .gov.in की जगह कुछ और होती है. 2025 में ऐसे मामले तेजी से बढ़े हैं, जहां व्हाट्सएप पर mParivahan ऐप के नाम से फर्जी APK भेजी जा रही है. ठग वाहन नंबर सही बताकर विश्वास जीतते हैं, लेकिन असली ट्रैफिक पुलिस कभी व्हाट्सएप या अनजान लिंक से चालान नहीं भेजती.
बचाव के तरीके
इस ठगी से बचना आसान है अगर आप कुछ सावधानियां बरतें. सबसे पहले, किसी भी अनजान एसएमएस या व्हाट्सएप मैसेज में दिए लिंक पर क्लिक न करें और कोई APK फाइल डाउनलोड न करें. चालान की जांच हमेशा खुद करें. आधिकारिक वेबसाइट echallan.parivahan.gov.in पर जाएं या mParivahan ऐप (जो गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें) इस्तेमाल करें. वहां वाहन नंबर, चालान नंबर या चेसिस नंबर डालकर पेंडिंग चालान चेक करें.
मैसेज में अगर तुरंत पेमेंट की धमकी हो, कानूनी कार्रवाई की बात हो या अनजान नंबर से आए, तो उसे फेक मानें. फोन में अनजान सोर्स से ऐप इंस्टॉल करने का ऑप्शन बंद रखें. अगर शक हो तो लोकल ट्रैफिक पुलिस स्टेशन पर कॉल करके कन्फर्म करें. बैंकिंग ऐप्स में टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू रखें और संदिग्ध मैसेज को 1930 पर फॉरवर्ड करें. ये छोटे कदम आपको लाखों की ठगी से बचा सकते हैं.
शिकायत कहां करें?
अगर आपको फर्जी चालान का मैसेज मिले या ठगी हो जाए, तो तुरंत कार्रवाई करें. सबसे आसान तरीका है नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करना. वहां डिटेल्स भरें, मैसेज का स्क्रीनशॉट और नंबर अपलोड करें. हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके भी रिपोर्ट करें – यह 24 घंटे उपलब्ध है और ट्रांजेक्शन रोकने में मदद मिल सकती है. नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में जाकर FIR दर्ज करवाएं. अगर पैसे कट चुके हैं तो बैंक को तुरंत सूचित करें. कई राज्यों में अलग हेल्पलाइन हैं. शिकायत से न केवल आपकी मदद होगी, बल्कि ठगों पर कार्रवाई भी तेज होगी.