New Year सेल में न हो जाएं साइबर ठगी का शिकार, असली और नकली वेबसाइट की करें पहचान, ऐसे रहें सेफ
क्रिसमस और नए साल की रौनक के साथ जहां ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ता है, वहीं साइबर ठग भी पूरी तरह सक्रिय हो जाते हैं. फेक ऑफर्स, फिशिंग लिंक और एआई आधारित ठगी के जरिए लोग आसानी से जाल में फंस रहे हैं. त्योहारों की जल्दबाजी में की गई एक छोटी सी चूक बड़ी आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती है.
क्रिसमस और नए साल का त्योहार जहां खुशियां और खरीदारी का मौसम लेकर आता है, वहीं साइबर अपराधियों के लिए यह सबसे व्यस्त समय बन जाता है. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और एजेंसियों ने 2025 के इस सीजन में हाई अलर्ट जारी किया है, क्योंकि ऑनलाइन शॉपिंग, डिजिटल पेमेंट और कूरियर डिलीवरी में भारी उछाल के साथ फेक डील्स, फिशिंग मैसेज और एआई से चलने वाले फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. लाखों लोग आकर्षक ऑफर्स के चक्कर में फंसकर अपनी मेहनत की कमाई गंवा बैठते हैं.
साइबर ठगी आखिर है क्या?
साइबर ठगी एक तरह का डिजिटल अपराध है जिसमें ठग ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल करके लोगों के पैसे या व्यक्तिगत जानकारी चुराते हैं. यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन त्योहारों के समय यह तेजी से बढ़ता है क्योंकि लोग जल्दबाजी में खरीदारी करते हैं और सतर्कता कम हो जाती है. ठग फर्जी वेबसाइट्स, मैसेज या ईमेल के जरिए लोगों को लुभाते हैं और उनकी मेहनत की कमाई छीन लेते हैं. पिछले कुछ वर्षों में भारत में ऐसे मामों में भारी वृद्धि देखी गई है, खासकर उत्सव के मौसम में जब ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का ग्राफ ऊपर चढ़ता है.
यह ठगी होती कैसे है?
साइबर ठग कई चालाक तरीकों से शिकार करते हैं. सबसे आम है फिशिंग, जिसमें वे बैंक या पॉपुलर ई-कॉमर्स साइट्स की तरह दिखने वाले फर्जी लिंक भेजते हैं और ओटीपी या कार्ड डिटेल्स मांगते हैं. त्योहारों में फेक डिस्काउंट ऑफर्स, लकी ड्रा या गिफ्ट वाउचर के नाम पर लोग आसानी से फंस जाते हैं. इसके अलावा फर्जी ऐप्स डाउनलोड करवाना, आईडी हैक करना या सोशल मीडिया पर फेक सेलर प्रोफाइल बनाकर ठगी करना भी आम हो गया है. एक बार जानकारी हाथ लगी तो ठग तुरंत अकाउंट से पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं और पीड़ित को पता भी नहीं चलता है.
बचाव के आसान और प्रभावी तरीके
साइबर ठगी से बचना मुश्किल नहीं है अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं. सबसे पहले हमेशा ऑफिशियल वेबसाइट या ऐप से ही खरीदारी करें और यूआरएल को ध्यान से चेक करें. किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने या ओटीपी शेयर करने से बचें क्योंकि बैंक कभी मैसेज से ऐसी जानकारी नहीं मांगता. टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन जरूर चालू रखें और मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें. त्योहारों में जल्दबाजी न करें, ऑफर कितना भी लुभावना हो, पहले उसकी सत्यता जांच लें. इसके अलावा अपने फोन में अच्छा एंटीवायरस रखें और ट्रांजैक्शन के बाद बैंक स्टेटमेंट नियमित चेक करें.
ठगी हुई तो कहां करें शिकायत?
अगर दुर्भाग्य से ठगी का शिकार हो जाएं तो तुरंत कार्रवाई करें क्योंकि जितनी जल्दी शिकायत होगी, उतनी ही ज्यादा संभावना है पैसे वापस मिलने की. सबसे पहले अपने बैंक को फोन करके कार्ड या अकाउंट ब्लॉक करवाएं और ट्रांजैक्शन की जानकारी दें. इसके बाद national cyber crime reporting portal यानी cybercrime.gov.in पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें. हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी कॉल करके तुरंत मदद ली जा सकती है. पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाना भी जरूरी है ताकि जांच आगे बढ़ सके. समय पर शिकायत करने से कई मामलों में पीड़ितों को उनका पैसा वापस मिल जाता है.