बैंक के नाम पर कॉल करने वाले साइबर ठग लगा रहे चूना, जानें कैसे होती है ठगी और ऐसे रहें सेफ

देश भर में साइबर ठगों का आतंक बढ़ रहा है, जहां वे फोन पर बैंक या सरकारी एजेंसी बनकर डराते-धमकाते हैं. हाल ही में उत्तराखंड के रिटायर्ड वाइस चांसलर से 1.5 करोड़ की मांग की गई, लेकिन साइबर सेल ने समय रहते कार्रवाई की. फर्जी स्क्रीनशॉट और UPI रिफंड ट्रिक से चाल चलते हैं अपराधी. अगर आपको भी बैंक से इस तरह के कॉल या मैसेज आए तो सावधान हो जाएं.

देश भर में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहां साइबर ठग लोगों को डरा-धमका कर या छल करके पैसे ठग रहे हैं. जालसाजों का एक आम चाल यह है कि कॉल करके कहा जाता है कि आपके खाते से अवैध या अनऑथराइज्ड लेन-देनी हुई है और तुरंत “सुरक्षा/रिफंड/जांच” के लिए मदद चाहिए. जांच में यह पता चलता है कि अपराधी अक्सर बैंक, सरकारी एजेंसी या कस्टमर-केयर का निर्माण कर लोगों से ओटीपी, यूपीआई-पिन या रिमोट-ऐप इंस्टॉल करवाकर खातों से पैसे निकाल लेते हैं.

हाल ही में उत्तराखंड में एक रिटायर्ड वाइस चांसलर से ठगों ने यही तरीका अपनाकर धोखा देने का प्रयास किया. ठगों ने वीसी से वेरिफिकेशन के लिए 1.5 करोड़ रुपये का डिमांड किया. हालांकि समय रहते साइबर सेल ने अपराधों पर नकेल कस लिया.

कैसे होता है ठगी?

ऐसे रहें सेफ?

कभी भी OTP/UPI-PIN/पासवर्ड फोन पर साझा न करें. बैंक, RBI या कोई भी आधिकारिक संस्था फोन पर यह जानकारी नहीं मांगती. रिमोट-सपोर्ट ऐप से सावधान रहें. कोई भी व्यक्ति कहे कि “हम आपके फोन को लॉक कर रहे हैं/कठिन जांच कर रहे हैं” और रिमोट-ऐप इंस्टॉल कराने को बोले तो मना कर दें; आवश्यक हो तो अपने बैंक की आधिकारिक शाखा पर जाकर पूछें.

कॉल की पहचान हो सकती है कि यह असली है या नहीं, लेकिन कॉलर-ID भी स्पूफ की जा सकती है, इसलिए कॉल पर दबाव बनने पर तुरंत काट दें और बैंक के आधिकारिक नंबर से दुबारा पुष्टि करें. खाते से संदिग्ध लेन-देनी दिखाई दे तो तुरंत बैंक की आधिकारिक ऐप/नेट-बैंकिंग या कस्टमर-केयर (वेबसाइट से लिया गया नंबर) से रिपोर्ट करें; जितनी जल्दी आप रिपोर्ट करेंगे, पैसा वापस आने की संभावना उतनी ही ज्यादा रहती है.