सस्ती डील का झांसा, आखिरी स्टेप पर बड़ा झटका, हिडन चार्ज से आपके साथ भी हो सकती है ठगी, चेतावनी जारी

ऑनलाइन खरीदारी में सस्ती डील का दावा अब उपभोक्ताओं के लिए खतरे की घंटी बनता जा रहा है. जागो ग्राहक जागो ने चेताया है कि कई कंपनियां शुरुआती कीमत कम दिखाकर ग्राहकों को लुभाती हैं और भुगतान के अंतिम चरण में छुपे चार्ज जोड़कर कुल बिल बढ़ा देती हैं, जिससे उपभोक्ता सीधे तौर पर ठगी का शिकार हो रहा है.

cyber fraud Image Credit: Canva/ Money9

ऑनलाइन खरीदारी में सस्ती डील का लालच अब उपभोक्ताओं को महंगा पड़ रहा है. सरकारी उपभोक्ता जागरूकता मंच जागो ग्राहक जागो ने चेतावनी दी है कि कई कंपनियां जानबूझकर शुरुआती कीमत कम दिखाती हैं और भुगतान के आखिरी चरण में छुपे हुए चार्ज जोड़कर कुल बिल बढ़ा देती हैं. यह भ्रामक तरीका सीधे-सीधे उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी है.

कम कीमत का जाल, आखिरी में बढ़ा हुआ बिल

जागो ग्राहक जागो के मुताबिक, कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म प्रोडक्ट या टिकट की कीमत कम दिखाकर ग्राहक को फंसाते हैं. जैसे-जैसे ग्राहक पेमेंट पेज तक पहुंचता है, सुविधा शुल्क, हैंडलिंग फीस या अन्य अनिवार्य चार्ज जुड़ते जाते हैं. नतीजा यह होता है कि जो डील सस्ती लग रही थी, वह भुगतान के वक्त कहीं ज्यादा महंगी हो जाती है.

उपभोक्ता की जेब पर सीधा हमला

इस तरह की ड्रिप प्राइसिंग रणनीति उपभोक्ता के भरोसे पर हमला है. ग्राहक कीमत देखकर निर्णय लेता है, लेकिन अंतिम बिल देखकर उसके पास पीछे हटने का विकल्प सीमित रह जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह तरीका न केवल बजट बिगाड़ता है बल्कि उपभोक्ता को मानसिक दबाव में गलत फैसला लेने पर मजबूर करता है.

चुप मत बैठो, शिकायत करो

सरकारी अभियान ने साफ कहा है कि अगर किसी कंपनी ने कीमत को लेकर गुमराह किया है तो उपभोक्ता चुप न रहें. ऐसे मामलों में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (1915) या उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज की जा सकती है. जागो ग्राहक जागो का संदेश साफ है डील चाहे जितनी आकर्षक लगे, भुगतान से पहले पूरा बिल पढ़ो, वरना ठगी तय है.

सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव

उपभोक्ता मामलों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि खरीदारी या बुकिंग से पहले फाइनल अमाउंट जरूर जांचें और अगर कोई चार्ज स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है तो तुरंत सवाल उठाएं. स्क्रीनशॉट और बिल सुरक्षित रखना भी जरूरी है ताकि शिकायत के वक्त सबूत दिए जा सकें. जागरूकता अभियान का जोर इसी बात पर है कि उपभोक्ता जितना सतर्क होगा, कंपनियों के लिए भ्रामक तरीकों से कमाई करना उतना ही मुश्किल होगा.