भारत बना रहा ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन, नहीं पकड़ पाएंगे रडार, जानें RAMA कैसे अदृश्य होकर मचाएगा तबाही
भारत पहला ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन बना रहा है, जो दुश्मन के हाई-रेज रडार और इंफ्रारेड सिग्नल से बचने के साथ-साथ सेकंड से भी कम समय में अटैक कर सकता है. इस ड्रोन पर एक खास कोटिंग मैटेरियल लगाया जा रहा है, जो इंफ्रारेड सिग्नल को भी सोख लेता है. यह ड्रोन दुश्मन की नजर से पूरी तरह छिपा रहेगा.
Dual Stealth Drone: ऑपरेशन सिंदूर में एयर डिफेंस की कामयाबी के बाद अब भारत अपनी सैन्य ताकत को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है. दरअसल देश में अब एक ऐसा ड्रोन तैयार हो रहा है, जिसे कोई भी रडार पकड़ नहीं पाएगा. भारत अपना पहला ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन बना रहा है, जो दुश्मन के हाई-रेंज रडार और इंफ्रारेड सिग्नल से बचने के साथ-साथ सेकंड से भी कम समय में अटैक कर सकता है. इस ड्रोन पर एक खास कोटिंग मैटेरियल लगाया जा रहा है, जो इंफ्रारेड सिग्नल को भी सोख लेता है. यानी यह ड्रोन दुश्मन की नजर से पूरी तरह छिपा रहेगा.
इस ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन को हैदराबाद की स्टार्टअप कंपनी वीरा डायनामिक्स और बिनफोर्ड रिसर्च लैब रक्षा मंत्रालय की मदद से तैयार कर रही हैं. अभी इस तकनीक पर अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों का कब्जा है. भारत में यह पहली बार हो रहा है कि इस तरह की एडवांस टेक्नोलॉजी वाला ड्रोन तैयार किया जा रहा है.
रामा मैटेरियल से इंफ्रारेड भी होगा फेल
ड्रोन के डिजाइन में ऐसी तकनीक लगाई जा रही है, जिससे उसकी बॉडी पर रडार सिग्नल का असर नहीं होगा. साथ ही, उस पर रडार एब्जॉर्बिंग मैटेरियल (RAMA) की कोटिंग की जा रही है. ये एक खास किस्म का मैटेरियल होता है, जो रडार से आने वाली तरंगों को सोख लेता है और उन्हें वापस नहीं भेजता. इसी वजह से ये ड्रोन रडार पर नजर नहीं आता.
रामा मैटेरियल क्या है?
रामा एक नैनोटेक बेस्ड स्टेल्थ कोटिंग है, जो रडार और इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम में ड्रोन की विजिबिलिटी यानी पकड़ में आने की संभावना को बहुत कम कर देता है. इसे ड्रोन पर पेंट या रैप के रूप में लगाया जाता है. यह कोटिंग कार्बन बेस्ड पदार्थों से बनी होती है. इससे ड्रोन का थर्मल सिग्नल यानी तापीय संकेतक 1.5° सेल्सियस प्रति सेकंड कम हो जाता है. यह टेक्नोलॉजी वीरा डायनामिक्स द्वारा विकसित की गई है.
युद्ध के मैदान में कितना असरदार है ये ड्रोन?
लड़ाई के वक्त दुश्मन सबसे पहले रडार से ड्रोन को ट्रैक करता है और फिर इंफ्रारेड से उस पर हमला करता है. लेकिन भारत का ये नया ड्रोन ‘रामा’ टेक्नोलॉजी की मदद से इन दोनों तरीकों से बच निकलता है. इसका मतलब ये है कि दुश्मन को इसे पकड़ना बहुत मुश्किल होगा.
सेना को क्या होगा फायदा?
अभी जब एक साथ 100 हमलावर ड्रोन भेजे जाते हैं, तो उनमें से सिर्फ 25 से 30 ही अपने टारगेट तक पहुंच पाते हैं. लेकिन ‘रामा’ टेक्नोलॉजी से लैस भारत का नया ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन 80 से 85 ड्रोन को सही टारगेट तक पहुंचा सकता है. इस ड्रोन का वजन करीब 100 किलो है और यह 50 किलो तक का पेलोड (बम, कैमरा या दूसरे उपकरण) ले जा सकता है.
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