पुतिन और जिनपिंग जिएंगे 150 साल ! ऑडियो वायरल, जानें क्या हुआ खुलासा

रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हॉट माइक बातचीत से लंबी उम्र और अमरता की चर्चा फिर शुरू हुई. रिपोर्ट्स के अनुसार पुतिन हिरन का खून और वैज्ञानिक प्रोजेक्ट्स से उम्र बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि चीन 3D बायोप्रिंटिंग और जेनेटिक रिसर्च पर काम कर रहा है. इतिहास में भी कई शासकों ने अमरत्व पाने की कोशिशें की थीं.

मानव अपनी सभ्यता की शुरुआत से ही लंबी उम्र और अमरत्व का सपना देखते आए हैं. किस्सों कहानियों में हम अक्सर सुनते आए हैं कि किसी राजा ने टोने-टोटके, जड़ी-बूटियों और रहस्यमयी प्रयोग करके अपनी उम्र को बढ़ाने का प्रयास किया. आज साइंस इस खोज को नई दवाओं और थेरपीज के जरिए आगे बढ़ा रही है. इसी कड़ी में लंबी उम्र की चर्चा फिर से शुरू हो गई, जब चीन की विक्ट्री डे परेड के दौरान हॉट माइक पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आपसी बातचीत रिकॉर्ड हुई. इसमें दोनों ने लंबी उम्र को लेकर बातें कीं, जिसे पूरी दुनिया ने सुना. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या वाकई पुतिन और जिनपिंग अपनी उम्र बढ़ाने के लिए कोई प्रयोग कर रहे हैं. आइए जानते हैं कि इनके अलावा इतिहास में किन शासकों को अमर होने का सनक चढ़ा था और आज के समय में वैज्ञानिक क्या कर रहे हैं. क्या वाकई ऐसा संभव है.

कैसे उठा फिर से लंबी उम्र की चर्चा

3 सितंबर को चीन की विक्ट्री परेड में रूस के राष्ट्रपति पुतिन की शी जिनपिंग से हुई बातचीत हॉट माइक पर रिकॉर्ड हो गई. परेड के दौरान पुतिन, जिनपिंग और नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग साथ चल रहे थे. इसी दौरान जिनपिंग के ट्रांसलेटर ने रूसी भाषा में कहा, अब वे कहते हैं कि 70 साल की उम्र में आप बच्चे हैं. इसके बाद पुतिन के ट्रांसलेटर ने चीनी भाषा में कहा कि बायोटेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बढ़ रही है, इंसान के अंग बार-बार बदले जा सकते हैं. जितना ज्यादा जियो, उतना जवान रहो, शायद अमर भी हो जाओ. इसके जवाब में शी ने कहा, कुछ लोग कहते हैं कि इस सदी में इंसान 150 साल तक जी सकता है.

उम्र बढ़ाने के लिए पुतिन पीते हैं लाल हिरन का खून

आश्चर्य की बात यह है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों की उम्र 72 साल है. दोनों के बारे में ऐसी चर्चाएं होती रही हैं कि ये ज्यादा दिनों तक जिंदा रहने के लिए कई तरकीबें आजमा रहे हैं. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पुतिन ने साइबेरिया में लाल हिरनों के कटे हुए सींगों का खून पिया और उससे नहाया. उनका मानना है कि इससे उन्हें ताकत मिलती है और बुढ़ापे की प्रक्रिया रुकती है. यह रूस और मंगोलिया में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति मानी जाती है. इसके अलावा पुतिन की बेटी मारिया वोरोंतोवा उनकी उम्र बढ़ाने वाले प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं.

लंबी उम्र के लिए क्या कर रहे हैं पुतिन

साल 2024 में पुतिन ने रूस के वैज्ञानिकों को बुढ़ापा रोकने वाली टेक्नोलॉजी और न्यूरोटेक्नोलॉजी का रिसर्च सेंटर बनाने को कहा था, जिससे इंसान की उम्र बढ़ाने में मदद मिले. इस प्रोजेक्ट का नाम न्यू हेल्थ प्रिजर्वेशन टेक्नोलॉजीज रखा गया. रूस का दावा है कि यह प्रोजेक्ट 2030 तक 1.75 लाख लोगों को मरने से बचाएगा. वहीं रूसी मीडिया मेडुजा की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन के करीबी मिखाइल कोवालचुक रूस में अमरता पर रिसर्च कर रहे हैं. उन्होंने ऑर्गन-प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी में बड़ा निवेश किया है, जिसके तहत लैब में तैयार कोशिकाओं से इंसानी अंग बनाए जा रहे हैं. पुतिन की बड़ी बेटी मारिया वोरोंतोवा भी जेनेटिक रिसर्च प्रोग्राम में काम कर रही हैं. वह एंडोक्रिनोलॉजिस्ट हैं और हार्मोन से जुड़ी बीमारियों की विशेषज्ञ हैं. मारिया को इंसानी कोशिकाओं के रिन्यूवल और उम्र बढ़ाने पर रिसर्च के लिए रूसी सरकार से करोड़ों डॉलर मिले हैं.

लंबी उम्र के लिए चीन के लोगों का क्या है इतिहास

चीन में लंबे समय से उम्र बढ़ाने की पारंपरिक चीनी दवाएं इस्तेमाल होती रही हैं, जैसे जिनसेंग (अश्वगंधा) और लिंग्जी मशरूम. हालांकि ये पारंपरिक पद्धतियां हैं, लेकिन अब चीनी वैज्ञानिक मॉडर्न साइंस के जरिए TCM (Traditional Chinese Medicine) के तत्वों को टेस्ट कर रहे हैं, ताकि यह पता चले कि क्या वे बुढ़ापे को रोक सकते हैं.

शी जिनपिंग उम्र बढ़ाने को लेकर क्या कर रहे हैं

साल 2016 में चीनी मीडिया लूड प्रेस ने दावा किया था कि जिनपिंग सौ साल से ज्यादा जीने के लिए अमरता की दवा पर रिसर्च करवा रहे हैं. यह दवा अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च से जुड़ी थी. जिनपिंग ने इसे रेन फारोंग नाम के एक चीनी प्रीस्ट पर आजमाया. हालांकि उनकी 2021 में मौत हो गई. इसके अलावा चीन की लैब्स में वैज्ञानिक 3D बायोप्रिंटिंग तकनीक से इंसानी अंग जैसे लिवर, किडनी या दिल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. बीजिंग और शंघाई में 100 साल से ज्यादा उम्र वाले 2,178 लोगों और उनके ब्लड सैंपल्स का बड़ा बायोबैंक बनाया गया है. वैज्ञानिक इन पर टेस्ट करके लंबी उम्र के जेनेटिक कारण खोज रहे हैं. 2016 में चीन सरकार ने ऑर्गन एजिंग एंड डीजेनेरेशन प्रोग्राम भी शुरू किया.

क्या पहले भी दोनों देश के शासकों ने उम्र बढ़ाने की कोशिश की थी

चीन और रूस के कई शासकों ने अमरता पाने की अजीबोगरीब कोशिशें की थीं. चीन के पहले सम्राट किन शी हुआंग ने अपनी जिंदगी के आखिरी 10 साल अमरता का अमृत खोजने में गुजार दिए. वे जिन गोलियों को खाते थे उनमें मरकरी मिला होता था. यही गोलियां उनकी मौत का कारण बनीं. 49 साल की उम्र में मरकरी पॉइज़निंग से उनकी मौत हो गई. हान राजवंश के इतिहासकार सिमा कियान ने लिखा है कि सम्राट ने पौराणिक पेंगलाई द्वीप की खोज के लिए सैनिकों और विद्वानों को भेजा, ताकि वहां से कोई चमत्कारी औषधि मिल सके.

आधुनिक चीन के फाउंडर माओत्से तुंग ने भी उम्र बढ़ाने की कोशिश की. उनके निजी डॉक्टर ली जिसुई ने 1994 में लिखी किताब The Private Life of Chairman Mao में बताया कि माओ का मानना था कि जवान महिलाओं के साथ संबंध बनाने से उनकी ‘यिन ऊर्जा’ बढ़ेगी और उम्र लंबी होगी. इसके अलावा उन्होंने पारंपरिक चीनी दवाओं का सेवन भी किया. माओ की 1976 में 82 साल की उम्र में हार्ट अटैक से मौत हो गई.

तानाशाह किम जोंग के पिता ने लंबी उम्र के लिए चढ़वाया युवाओं का खून

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर कोरिया के पूर्व तानाशाह किम इल-सुंग ने लंबी उम्र पाने के लिए प्योंगयांग में Longevity Research Center बनवाया. इसमें 1700 से ज्यादा जड़ी-बूटियों पर रिसर्च होती थी. किम इल-सुंग को युवाओं का खून इंजेक्ट किया जाता था. 1990 में 80 साल की उम्र में उन्हें यह खून चढ़ाया गया, जिससे उन्हें इंफेक्शन हो गया और चार साल बाद उनकी मौत हो गई.

मौजूदा समय में कितने साल तक लोग जी रहे हैं

आज औसत मानव जीवनकाल लगभग 70-80 साल है. दुनिया में सबसे अधिक उम्र तक जीवित रहने वाली व्यक्ति फ्रांस की जीन कैलमेंट थीं, जो 122 साल 164 दिन तक जीवित रहीं. जापान की केन तनाका 119 साल की आयु तक जिंदा रहीं और विश्व की सबसे बुजुर्ग महिला के तौर पर दर्ज की गईं.

क्या इंसान के लिए 150 साल तक जीना मुमकिन है?

किसी सामान्य व्यक्ति के लिए 150 साल तक जिंदा रहना फिलहाल मुमकिन नहीं है. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉयस में जैविक सांख्यिकी के प्रोफेसर एस. जे. ओलशैंकी के मुताबिक, आज सिर्फ 15% महिलाएं और 5% पुरुष ही 100 साल की उम्र पा सकते हैं.

इंसानों का बुढ़ापा रोकने के लिए वैज्ञानिक किस तरह का रिसर्च कर रहे हैं

दुनिया भर में वैज्ञानिक बुढ़ापा रोकने और उम्र बढ़ाने के लिए 3 तरह की कोशिशें कर रहे हैं—उम्र बढ़ाने वाली दवाएं, स्टेम सेल थेरेपी और जीन एडिटिंग/एपिजेनेटिक थेरेपी.

किस तरह की दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है उम्र बढ़ाने के लिए

कई दवाओं पर प्रयोग चल रहे हैं. इनमें मेटफॉर्मिन (डायबिटीज की दवा) का ट्रायल एंटी-एजिंग के लिए भी किया जा रहा है. अमेरिका में TAME नामक ट्रायल चल रहा है. चूहों पर इसके इस्तेमाल से उनका लाइफस्पैन 28 फीसदी तक बढ़ा. डायबिटीज वाली महिलाओं में 90 साल तक जीने की संभावना 30 फीसदी तक बढ़ी. रेपामाइसिन दवा कोशिकाओं की ग्रोथ कम करके उन्हें जवान बनाए रखने की कोशिश करती है. यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड की स्टडी के मुताबिक, यह दवा चूहों की उम्र 20% तक बढ़ाती है. मनुष्यों पर इसके क्लिनिकल ट्रायल्स जारी हैं.

स्टेम सेल थेरेपी कैसे बढ़ाएगी उम्र

उम्र बढ़ने के साथ शरीर में स्टेम सेल्स की संख्या और गुणवत्ता घटने लगती है. इससे टिशूज कमजोर हो जाते हैं. स्टेम सेल थेरेपी में नई कोशिकाएं क्षतिग्रस्त टिशूज को रिपेयर करके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं. 2025 की DVC स्टेम रिपोर्ट के मुताबिक, इस थेरेपी से बंदरों में 10% तक जीवन बढ़ा है. इंसानों में शरीर के फंक्शन 15 फीसदी तक सुधरे हैं.

जीन एडिटिंग और एपिजेनेटिक थेरेपी से इंसानी उम्र को बढ़ाने की तरकीब

इस थेरेपी में यमांका फैक्टर्स जैसी तकनीक से कोशिकाओं की रि-प्रोग्रामिंग की जाती है, ताकि बुढ़ापे से जुड़े जीन परिवर्तनों को रिवर्स किया जा सके. हार्वर्ड-MIT यूनिवर्सिटी की 2024 की स्टडी के अनुसार इसमें शुरुआती सफलता मिली है. जापान, अमेरिका और ब्रिटेन में AI की मदद से जीन एडिटिंग के प्रयोग चल रहे हैं. हालांकि अभी तक ऐसा कोई तरीका नहीं मिला है, जिससे इंसानों की उम्र 150 साल तक बढ़ाई जा सके.

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