साइबर बुलिंग के हो रहे शिकार तो अपनाएं ये आसान तरीका, साइबर ठग से मिलेगी मुक्ति, यहां करें शिकायत
इंटरनेट ने दुनिया को जोड़ा है, लेकिन साइबर बुलिंग बच्चों के लिए बड़ा खतरा बन गई है. AI से एडिटेड फोटो, अपमानजनक पोस्ट और ट्रोलिंग से शुरू होने वाला मजाक मानसिक स्वास्थ्य को गहरा नुकसान पहुंचाता है.
इंटरनेट और सोशल मीडिया ने दुनिया को एक गांव बना दिया है, लेकिन इसी डिजिटल दुनिया में एक गंभीर समस्या तेजी से बढ़ रही है. वह है साइबर बुलिंग. खासकर बच्चे और किशोर इसके सबसे आसान शिकार बन रहे हैं. एक मजाक की तरह शुरू होने वाली ऑनलाइन टिप्पणियां, AI से एडिट की गई तस्वीरें, अपमानजनक पोस्ट और लगातार ट्रोलिंग बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को गहरा नुकसान पहुंचा रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर बुलिंग पारंपरिक बुलिंग से ज्यादा खतरनाक है क्योंकि यह 24 घंटे चलती है और पीड़ित कहीं भी छिप नहीं सकता. हाल के सर्वे बताते हैं कि भारत में हर तीन में से एक बच्चा साइबर बुलिंग का शिकार हो चुका है.
साइबर बुलिंग होती कैसे है?
साइबर बुलिंग आमतौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम, टिकटॉक, व्हाट्सएप ग्रुप्स, गेमिंग ऐप्स और चैट रूम में होती है. इसमें बुली करने वाले व्यक्ति पीड़ित की तस्वीरों को AI टूल्स से एडिट करके उन्हें शर्मनाक बनाते हैं और वायरल कर देते हैं. अपमानजनक कमेंट्स, अफवाहें फैलाना, बार-बार मैसेज भेजकर परेशान करना या फेक अकाउंट बनाकर ट्रोलिंग करना इसके आम तरीके हैं.
कई बार यह एक छोटे जोक या ग्रुप चैट में मजाक से शुरू होता है, लेकिन जल्दी ही यह व्यक्तिगत हमले में बदल जाता है. गुमनाम रहने की सुविधा के कारण बुली करने वाले बेखौफ होकर ऐसा करते हैं. लड़कियों को अक्सर बॉडी शेमिंग और सेक्शुअल कमेंट्स का शिकार बनाया जाता है, जबकि लड़कों को उनकी उपलब्धियों या दिखावे पर निशाना बनाया जाता है.
साइबर बुलिंग से बचाव के तरीके
सबसे पहले बच्चों को ऑनलाइन प्राइवेसी के बारे में शिक्षित करना जरूरी है. उन्हें सिखाएं कि सोशल मीडिया पर प्राइवेट अकाउंट रखें, अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें और अपनी पर्सनल जानकारी या तस्वीरें सार्वजनिक न करें. पैरेंट्स को अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए, लेकिन बिना विश्वास तोड़े.
स्कूलों में साइबर सेफ्टी वर्कशॉप और डिजिटल एटिकेट की क्लासेस आयोजित की जानी चाहिए. अगर कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत ब्लॉक और रिपोर्ट करें. कई प्लेटफॉर्म्स पर साइबर बुलिंग की रिपोर्ट करने की सुविधा होती है. बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि अगर वे खुद बुलिंग देखें तो चुप न रहें और पीड़ित का साथ दें. मजबूत आत्मविश्वास और दोस्तों का सपोर्टिव ग्रुप भी बचाव का बड़ा हथियार है.
बुलिंग का शिकार होने के बाद क्या करना चाहिए?
साइबर बुलिंग का शिकार होने पर सबसे पहले शांत रहें और किसी भी जवाबी हमले में न पड़ें, क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है. सभी सबूत जैसे स्क्रीनशॉट, मैसेज और पोस्ट सेव करके रखें. तुरंत किसी भरोसेमंद व्यक्ति माता-पिता, टीचर या बड़े भाई-बहन को बताएं.
प्लेटफॉर्म पर कंटेंट रिपोर्ट करें और अगर जरूरी हो तो साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराएं. भारत में साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) और हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क किया जा सकता है. मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ या काउंसलर से बात करना बहुत जरूरी है, क्योंकि साइबर बुलिंग से डिप्रेशन, चिंता और आत्मविश्वास की कमी हो सकती है. कई एनजीओ और हेल्पलाइन जैसे चाइल्डलाइन (1098) पीड़ितों की मुफ्त मदद करते हैं. याद रखें, मदद मांगना कमजोरी नहीं बल्कि साहस है.