ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन बना रहा है मेगा डैम, भारत के इन इलाकों पर होगा सीधा असर; 167 अरब डॉलर है लागत

चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल डैम प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू कर दिया है, जिससे भारत और बांग्लादेश जैसे निचले इलाकों में बसे करोड़ों लोगों की चिंता बढ़ गई है. तिब्बत के न्यिंगची क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई है. जिसमें चीन के प्रधानमंत्री श्री ली क्यांग ने हिस्सा लिया है.

चीन का मेगा डैम

China dam on Brahmaputra River: चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बत में यारलुंग त्संगपो) पर एक विशाल डैम प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू कर दिया है, जिससे भारत और बांग्लादेश जैसे निचले इलाकों में बसे करोड़ों लोगों की चिंता बढ़ गई है. चीन की सरकारी मीडिया एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, तिब्बत के न्यिंगची क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई है. जिसमें चीन के प्रधानमंत्री श्री ली क्यांग ने हिस्सा लिया है. इस डैम को मंजूरी चीन ने दिसंबर 2023 में दी थी. इस परियोजना के तहत पांच बड़े हाइड्रोपावर स्टेशन बनाए जाएंगे और इसकी कुल लागत लगभग 1.2 ट्रिलियन युआन (करीब 167 अरब डॉलर) है.

चीन क्यों बना रहा यह डैम?

एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, बांध से उत्पादित हाइड्रोइलेक्ट्रिक बिजली मुख्य रूप से तिब्बत से बाहर के क्षेत्रों को भेजी जाएगी, हालांकि स्थानीय जरूरतों को भी इससे पूरा किया जाएगा. सरकार का दावा है कि यह परियोजना तिब्बत क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी गति देगी.

क्या भारत पर पड़ेगा असर?

इस मेगा डैम के पूरा होने पर यह चीन के पहले से ही विश्व प्रसिद्ध थ्री गोरजेस डैम को भी पीछे छोड़ सकता है. यह डैम ब्रह्मपुत्र नदी के जलप्रवाह को कंट्रोल कर सकता है, जिसका सीधा असर भारत और बांग्लादेश जैसे देशों पर पड़ सकता है, खासकर असम और पूर्वोत्तर भारत के इलाकों में, जो इस नदी पर बहुत अधिक निर्भर हैं. इसके अलावा चीन द्वारा जल प्रवाह को अपने कंट्रोल करने या मोड़ने से सूखा या बाढ़ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. इससे भारत और बांग्लादेश में खेती, मछली पालन और जनजीवन पर गंभीर असर पड़ सकता है.

भारत ने क्या कदम उठाए?

भारत सरकार ने जनवरी 2025 में ऑफिशियली रूप से चीन से इस परियोजना पर चिंता जताई थी. इसे लेकर विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा और सतत निगरानी करेगा. साथ ही भारत ने चीन से बात की है कि वह ब्रह्मपुत्र के निचले हिस्सों में बसे देशों के हितों को नुकसान न पहुंचाए.

चीन ने क्या दी सफाई?

चीन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह प्रोजेक्ट डाउनस्ट्रीम देशों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालेगा. साथ ही उसने यह भी कहा कि वह ब्रह्मपुत्र के निचले हिस्सों में बसे देशों से बातचीत बनाए रखेगा.

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पर्यावरण को लेकर बढ़ी चिंता

इस डैम को लेकर पर्यावरण को लेकर चिंता बढ़ गई है, क्योंकि तिब्बत का पठारी क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है. ऐसे में वहां इस लेवल के निर्माण कार्य से पारिस्थितिकी को गंभीर नुकसान हो सकता है. इसके अलावा क्लाइमेट चेंज और पारिस्थितिकी असंतुलन की आशंका पहले से ही बनी हुई है. बता दें, चीन इस प्रोजेक्ट को ऐसे समय में शुरू किया है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और सैन्य तैनाती को लेकर तनाव जारी है.