तेल डिस्काउंट बनाम टैरिफ: 57 अरब डॉलर की रूस से तेल खरीद, पुतिन-मोदी की दोस्ती क्या ट्रंप पर पड़ेगी भारी
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने बदलते वैश्विक समीकरणों को और जटिल बना दिया है. रूस से सस्ते कच्चे तेल की बढ़ती खरीद ने भारत-रूस व्यापार को नई ऊंचाई दी, लेकिन यही बात ट्रंप प्रशासन को खटक रही है. अमेरिकी दबाव और बदलते वर्ल्ड ऑर्डर के बीच भारत अब दोधारी चुनौती का सामना कर रहा है.
India-Russia-USA Bilateral Trade Oil Discount vs Tariff: डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभाला है, दुनिया एक अलग ही वर्ल्ड ऑर्डर से गुजर रही है. वैसे तो कहा जाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में न तो कोई स्थायी दोस्त होता है और न ही दुश्मन, लेकिन ये संबंध इतने नाजुक होंगे, यह कह पाना भी आसान नहीं है. इन बनते-बिगड़ते संबंधों में बात भारत की करें तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए 4 और 5 दिसंबर को भारत का दौरा कर रहे हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों में काफी तेजी आई है. हालांकि दोनों देशों के बीच बढ़ता व्यापार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को खटक रहा है. नतीजा यह हुआ कि अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया, जिसमें 25 फीसदी टैरिफ रूस से तेल कारोबार करने के एवज में लगाया गया है. अमेरिकी दबाव और बदलता वर्ल्ड ऑर्डर भारत के लिए दोधारी तलवार की तरह बन गया है. इसे समझने के लिए कुछ आंकड़ों पर ध्यान देना जरूरी है.
क्या रूस से दोस्ती का खामियाजा भुगत रहा है भारत?
6 अगस्त को अमेरिका ने भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जो 27 अगस्त से लागू हो गया. इस तरह भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ हो गया है. 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ के पीछे की वजह रूस से कच्चा तेल खरीदना है. यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों के अनेक प्रकार के प्रतिबंधों के कारण रूस ने कच्चे तेल पर भारी डिस्काउंट देना शुरू कर दिया. भारत ने राष्ट्रीय हित का ध्यान रखते हुए रूस से तेल खरीदारी बढ़ा दी. यह बात अमेरिका को बुरी तरह खटकने लगी.
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3 साल में तेल खरीद में 52 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी
वर्तमान समय में भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 69 बिलियन डॉलर का है. इसमें भारत सिर्फ 4.8 बिलियन डॉलर का ही निर्यात करता है, यानी कुल व्यापार में रूस की हिस्सेदारी करीब 65 बिलियन डॉलर की है. साल 2022 तक भारत रूस से लगभग 5 बिलियन डॉलर का तेल ही खरीदता था, लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद इसमें भारी बढ़ोतरी हुई. 2023 में यह आंकड़ा 39 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. 2024 में यह 54 बिलियन डॉलर को छू गया और 2025 में बढ़कर 57 बिलियन डॉलर हो गया. यानी रूसी डिस्काउंट का भारत ने जमकर फायदा उठाया. कुल व्यापार में 84 फीसदी हिस्सेदारी अब रूसी तेल की है. यह बढ़ोतरी रूस की ओर से मिल रहे भारी डिस्काउंट के कारण है.
अमेरिका को क्यों नागवार गुजर रही भारत-रूस की दोस्ती?
भारत पर अमेरिका ने 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ इसलिए लगाया है क्योंकि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है. ट्रंप का मानना है कि भारत के पैसों से ही पुतिन युद्ध लड़ रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच 132.2 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है, जिसमें भारत अमेरिका को लगभग 86.5 बिलियन डॉलर का सामान और सेवाएं निर्यात करता है, जबकि अमेरिका भारत को 45.7 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है. इस तरह अमेरिका भारत के साथ व्यापार घाटे का सामना कर रहा है.
50 फीसदी टैरिफ लगने के बाद दोनों देशों के बीच कारोबार पर गहरा असर पड़ा है. पिछले साल अक्टूबर में भारत ने 38.98 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया था, जो इस साल घटकर 34.48 बिलियन डॉलर रह गया.
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